संवर व निर्जरा से होती है आत्मा की शुद्धि : आचार्य मणिप्रभ
एक आईना भारत
रिपोर्ट पदमा राम
मोदरान के निकटवर्ती माण्डवला में श्रीजिनकांतिसागरसूरि स्मारक ट्रस्ट एवं जहाज मंदिर चातुर्मास समिति-2020 द्वारा आयोजित चातुर्मास के अंतर्गत हुए जहाज मंदिर परिसर के प्रवचन हॉल में आयोजित पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत जिनमणिप्रभसूरीष्वर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए चातुर्मास को आराधना, साधना और सफाई का संदेश वाहक बतलाते हुए संवर और निर्जरा के माध्यम से आत्मशुद्धि करने की प्रेरणा दी।
प्रचार संयोजक प्रकाश छाजेड ने बताया कि शासकीय आदेशों के संपन्न इस प्रवचन में आचार्यश्री ने कहा कि ठण्डी हवाओं और मंगल शकुनों के बीच यह चातुर्मास नए प्रभात के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कालखंड में प्रवेष का अवसर प्रदान कर रहा है। चातुर्मास में हमें अपनी आत्मा पर एकत्रित कचरे को संवर (रोकना) और निर्जरा (बाहर निकालना) के माध्यम से सफाई कर आत्मा को परमात्मा स्वरूप स्वार्थहीन एवं चमकदार एवं आकर्षक बनाना है। कषाय मुक्त आत्मा ही परमात्मा की करूणा पाने की हकदार होती है,किन्तु इसके लिए आत्मशुद्धि की आग का हमारे भीतर होनी आवश्यक है। अंतरात्मा की आग बिना हमारे बाह्य प्रयास के प्रभावकारी नहीं होते है। परिस्थितियों से उत्पन्न कषायों को रेखांकित करते हुए आचार्य श्री मणिप्रभसूरि महाराज ने कहा कि परिस्थितियां जो प्रतिक्षण बदलती रहती है वे हमारी धारणाओं में भी निरन्तर बदलाव लाती है। इन बदलावों से आत्मा की शुद्धता पर पड़ने वाले प्रभावों को रोकने हेतु प्रतिक्रमण की झाडू निरंतर लगाते रहना आवष्यक है। चातुर्मास का काल इस प्रतिक्रमण क्रिया का सर्वोत्तम समय है।
आचार्यश्री जी ने ''कषाय मुक्ति, किलमुक्तिरेव'' को समझाते हुए आत्मधर्म को जानने और समझने के भेद को स्पष्ट करते हुए उन्हें क्रमश: बुद्धि और आचरण का विषय उदाहरण देकर समझाया। हमें अपने उपदेश की शब्दों और आचरण में एकरूपता लाने सजग रहना चाहिए। हमारा प्रयास शून्य और एक को मिलाकर सबसे बडे अंक-9 से बड़ा अंक 10 बनने का प्रयास कर सद्भाव प्रेम और करूणा का विस्तार करना होना चाहिए। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए की सफाई करने वाली झाडू भी हमारी असावधानी से कचरा बन बिखरने लगती है। आत्मा को आंतरिक एवं बाह्य क्रियाओं से दोषमुक्त रखने के लिए ही चातुर्मास को जागरण काल का महोत्सव माना जाता है।
आषाढ़ शुक्ल चतुर्दषी से शुरू हो रहे चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में आचार्यश्री का प्रतिदिन प्रवचन सुबह 9.30 से होगा। सभा में चातुर्मासिक दिनचर्या की घोषणा के अनुसार 9.00 बजे तक स्वाध्याय कक्षा, 10.30 बजे से संस्कृत कक्षा आदि होंगे।
प्रवचन में कोषाध्यक्ष प्रकाश छाजेड, पारसमल बरडिया, सूरजमल देवडा धोका, रमेश बोहरा, गौतम मालु, मुकेश प्रजापत आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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