श्री क्षत्रिय युवक संघ ने दुर्गादास राठौड़ को दी पुष्पांजलि
एक आईना भारत। उम्मेदपुर
राष्ट्रनायक वीर दुर्गादास जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है क्योंकि उन्होंने वास्तविक अर्थों में क्षत्रिय का जीवन जिया। हमने राजपूत के घर जन्म तो लिया लेकिन रजपूती वाला क्षत्रियत्व हमारे अंदर कितने प्रतिशत है यह आकलन हम स्वयं को करना पड़ेगा। गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिए ज्ञान के अनुसार क्षत्रिय में जन्म से ही जिन गुणों का समावेश होना चाहिए उनमें शौर्य, तेज, धैर्य, दक्षता, युद्ध से पलायन नहीं करना, दानशीलता और ईश्वरीय भाव की आवश्यकता है। क्षत्रिय में जन्म से इसी भाव के कारण ही जनता ने ठाकुर की उपाधि दी थी। लेकिन इस उपाधि पर हम कितने खरे उतर रहे हैं उसका हम स्वयं को आत्मावलोकन करना होगा। दुर्गादास जी द्वारा अपने जीवन में 80 वर्ष की उम्र तक का घोड़े पर चढ़कर किया गया तप हम सबको वैसा ही जीवन जीने की प्रेरणा देता है। उस प्रेरणा पर चलकर दुर्गादास बनाने का कार्य श्री क्षत्रिय युवक संघ नियमित रूप से कर रहा है। यह बात वीर दुर्गादास राठौड़ की जयंती कार्यक्रम में संघ के संघ प्रमुख लक्ष्मणसिंह बैन्याकावास ने बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कहीं। सुभद्रा माताजी मंदिर धानपुर में आयोजित हुए जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने कहा कि गुरु होने के नाते मैं क्षत्रियों से अपील करना चाहूंगा की स्वार्थ जैसी दुष्वर्ती से जो कमियां चरित्र में आ रही है उनसे सच्चे क्षत्रिय को बचना पड़ेगा। जो त्याग और तप दुर्गादास जी ने जनता के लिए किया उसी रास्ते पर चलने पर क्षत्रिय की उपयोगिता रहेगी। कार्यक्रम के प्रारंभिक वक्ता के रूप में प्रांत प्रमुख खुमानसिंह दूधिया ने दुर्गादास जी के जीवन पर सामान्य जानकारियां प्रदान की और उनके संघर्षों के जीवन पर प्रकाश डाला।
वरिष्ठ कांग्रेसी लालसिंह धानपुर ने सतयुग के राम और द्वापर के कृष्ण से तुलना करते हुए दुर्गादास जी के तपोमय जीवन पर प्रकाश डाला। चेन्नकरण सिंह करनोत ने दुर्गादास जी द्वारा जिये संघर्षमय जीवन से सीख लेते हुए प्रेरक बनने की बात कही। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद मारवाड़ के दूसरे दुर्गादास के रूप में तनसिंह जी को प्रेरणा स्रोत कहा जाना चाहिए। वरिष्ठ जन ईश्वर लाल शर्मा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वाभिमान शब्द की व्याख्या करते हुए दुर्गादास जी से स्वामीभक्ति और त्याग,तप जैसी बात सीखने की अपील की।सुमेंरसिंह धानपुर ने ईश्वरीय भाव को पुष्ठ करते हुए उपस्थित पांडाल से आदर्श जीवन जीने की बात कही तथा क्षत्रिय युवक संघ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के लिए सभी के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
कार्यक्रम में ईश्वरसिंह धानपुर, कल्याणसिंह धानपुर, रतनसिंह भागली, हनुमंतसिंह बागरा, गंगासिंह बागरा, भीमसिंह बावतरा, उत्तमसिंह जीवाणा, दशरथसिंह सेदरिया बालोतान, विक्रमसिंह रातडी, मोतीसिंह छागाड़ी, चंदनसिंह, अर्जुनसिंह देचू , पर्वतसिंह, रतनसिंह भवरानी, अभयसिंह मूडी, श्याम करणसिंह, रामसिंह कुंडल, पदमाराम चौधरी, पूर्णसिंह बागरा, इंद्रसिंह भागली , रूपसिंह नारणावास, भगवतसिंह, सुमेरसिंह धवला, उदय सिंह, अमरसिंह सहित सैकड़ों की संख्या में राजपूत समाज के लोग और अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
महिलाएं और बालिकाएं भी गणवेश में -श्री क्षत्रिय युवक संघ की परंपरा अनुसार अनुशासित जयंती कार्यक्रम में राजपूत समाज के सैकड़ों स्वयं सेवकों सहित बालिकाएं और महिलाएं केसरिया गणवेश धारण किए हुए थी। कार्यक्रम का अनुशासन देख सभी ने संघ प्रणाली की प्रशंसा की और समाज में इसका महत्व और आवश्यकता बताई।
Tags
ummedpur