धरा को पाप मुक्त करने को अवतरित होते है भगवान- देवी ममता
कृष्ण जन्म होते ही जयकारों से गूंजा कथा पंडाल
भलाई करने वाले का कभी उपकार नहीं भूलना चाहिए- महामण्डलेश्वर
मरुधर आईना / नागौर
नागौर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, नागोर में हनुमान बेनीवाल ग्राम राबड़ियाद द्वारा आयोजित महामण्डलेश्वर कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में गोहितार्थ भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा वाचिका देवी ममता ने गजेन्द्र मोक्ष,वामन अवतार, राम जन्म और कृष्ण जन्म की कथा सुनाई। देवीजी ने कहा, जब अमृत की प्राप्ति के लिए देवों व असुरों ने समुद्र मंथन शुरू किया तब भगवान ने कच्छप का अवतार लिया व अपने ऊपर मथनी को रखा, जिससे समुद्र का मंथन हुआ, समुद्र मंथन में 14 रत्न की प्राप्ति हुई थी। सबसे पहले हताहत विष निकला, जिससे सभी देव व असुर डर गए। तब उन्होंने भगवान शंकर को पुकारा। भगवान शंकर ने उक्त विष को ग्रहण किया, विष को गले में संग्रहित रखा तभी से भगवान शंकर नीलकंठ कहलाए। देवीजी ने भगवान विष्णु के भीन्न-भीन्न अवतारो के बारे में बताते हुए कहा कि जब-जब अत्याचार , अनाचार, अधर्म और पाप बढ़ता है, तो भगवान धरा पर अवतरित होते है। दैत्यराज महाराज बलि के अहंकार को चकनाचूर करने के लिए विष्णु ने वामन अवतार धरा, रावण के अत्याचारों का संहार करने के लिए भगवान राम ने अवतार लिया कंस के अत्याचारों से जब धरती पर चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई अनाचार का साम्राज्य फैल गया तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें गर्भ के रूप मे जन्म लेकर कंस का संहार किया कथा के दौरान भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल 'नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' के जयकारों से गूंज उठा और श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य कर आनंद उठाया। भगवान श्री कृष्ण के वेष में नन्हें बालक के दर्शन के लिए लोग लालायित नजर आये। भगवान के जन्म की खुशी में महिलाएं पीले वस्त्र धारण करके आयी। चतुर्थ दिवस की कथा के प्रसंगानुसार 'वामन अवतार' 'राम दरबार' व 'भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव' की सुंदर मनमोहक सजीव झांकियों का प्रस्तुतिकरण दिया गया कथा के दौरान महामण्डलेश्वर ने देवराज इंद्र और धर्मात्मा तोते का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि जीवन में बुरे समय में मदद करने वालों को कभी नहीं भूलना चाहिए। मदद करने वालों का जीवन भर उपकार मानना चाहिए। जो व्यक्ति समय पर मदद करने वालों को नहीं भूलते हैं ईश्वर ऐसे लोगों का सदैव ही भला करते हैं। दुख के समय में मदद करने वालों को जो अच्छा समय आने पर भूल जाते है। ऐसे लोग स्वार्थी होते हैं और आधुनिक युग में स्वार्थी ज्यादा है। उन्होंने बताया कि तोता की उस पेड़ के प्रति इतनी स्वामीभक्ति थी की पेड़ के सुख जाने के बाद भी तोते ने उसका साथ नही छोड़ा क्योंकि पेड़ ने तोते के बुरे वक्त में छांव, फल व आश्रय दिया था। आगे उन्होंने बताया कि हमें जीवन में कभी भी किसी के उपकार को नहीं भुलना चाहिए, उसके दुख में साथ खड़ा रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि माता-पिता और गुरू के उपकार को कभी नही भुलना चाहिए कथा प्रभारी श्रवण सैन ने बताया कि कथा में हर्षित अरौड़ा, नरेन्द्र देवड़ा, ज्ञान रावत, रामाराम गोलीया, विश्राम जाट, हुकमसिंह जोधा, मदनसिंह रावत ने गोहितार्थ सहयोग किया इन सभी को व्यास पीठ की ओर से सम्मानित किया गया। लाइव कथा के माध्यम से अनेक गौ भक्तों ने ऑनलाइन सहयोग किया। कथा विश्राम के दौरान भागवतजी की आरती की गई जिसमें हनुमान बेनीवाल (कथा आयोजनकर्ता) व संत गोविंदराम महाराज, संत रूपदास महाराज, संत इन्द्रजीतसिंह, किरण कंवर बाईसा उपस्थित रहे।
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