स्टूडेंट की मां बोली- हमने तो हार मान ली थी, लेकिन बेटे ने नहीं मानी हार, लौट आया घर

 


Barmer / Surendra Singh 

यूक्रेन व रूस युद्ध के बीच इंडियन स्टूडेंट का वतन आने का सिलसिला लगातार जारी है। यूक्रेन से बाड़मेर लौटें स्टूडेंट प्रीतम सोनी ने भास्कर से बात करते हुए कहा कि 24 घंटे तक यूनिवर्सिटी के अलर्ट के बाद बंकर में रहे थे। प्रीतम की मां ने कहा कि वहां के हालातों को देखने के बाद हमने तो हार मान ली थी, लेकिन, बेटे ने हिम्मत नहीं हारी और घर लौट आया। मैं तो भगवान से दिन-रात एक ही प्रार्थना करती थी कि वह सही सलामत वापस घर आ जाए।

दरअसल, बाड़मेर शहर निवासी प्रीतम सोनी 2019 को MBBS करने के लिए यूक्रेन गया था। प्रीतम यूक्रेन की BuKvinian State Medical University Chernovtsy Ukrain के तीसरे ईयर का स्टूडेंट है। वहां तीन साल से पढ़ाई कर रहा था। शुक्रवार की रात को घर पहुंचने के बाद घरवालों की आंखो में खुशी के आंसू नजर आए।

दिन-रात भगवान से प्रार्थना

स्टूडेंट की मां शांतिदेवी का कहना है कि यूक्रेन में हालातों के बारे सुनने के बाद बहुत ज्यादा टेंशन हो गई। मैं तो दिन-रात भगवान से ही प्रार्थना करते थे कि बच्चा सलामत घर पहुंच जाए। हमने तो हार मान ली लेकिन बच्चे ने हार नहीं मानी थी। बच्चे जब भी बात होती थी तब आप चिंता नहीं करें मैं घर आ जाऊंगा।

स्टूडेंट प्रीतम सोनी ने कहा कि हालात 24 फरवरी से खराब होने से शुरू हो गए थे। उस दिन रुस ने पहली बार यूक्रेन में बम गिराए थे। इसके बाद फ्लाइट बुक करवाने लगे लेकिन 10 मार्च तक कोई फ्लाइट नहीं मिल रही थी। इसके बाद इंडियन ऐंबैसी से अपील करने के बाद हमें 28 फरवरी को यूनिवर्सिटी से रोमानिया बॉर्डर के लिए रवाना हुए थे। 1 मार्च को रोमानिया बॉर्डर क्रॉस कर लिया था।

प्यारी सिटी को तबाह होते देखा बहुत बुरा लगा

स्टूडेंट प्रीतम सोनी ने कहा कि तीन साल तक यूक्रेन जैसी प्यारी सिटी को प्यार से देखा था और अब यूक्रेन सिटी को तबाह होते देखना बहुत बुरा लगता है। हमने वहां पर तीन साल तक एमबीबीएस की है। हमारी पढ़ाई का पता नहीं क्या होगा। क्या यह भी नहीं पता कि हम आगे कैसे करेंगे। इंडियन गवर्नमेंट कुछ करेंगी या फिर हमारी यूनिवर्सिटी कुछ करेंगी। यूक्रेन में इंडिया के 17 हजार स्टूडेंट्स एमबीबीएस कर रहे है। सरकार को उनके भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।

बंकर में एक दिन रहना पड़ा

यूक्रेन में हमारी यूनिवर्सिटी ने अलर्ट जारी कर दिया था। इस वजह से हमें एक दिन तक बंकर में रहना पड़ा था। रोमानिया क्रॉस करते हम लोगों को बहुत कम समय लगा था, लेकिन हमसे जो पहले रोमानिया बॉर्डर पहुंचे थे उनको बॉर्डर क्रॉस करते तीन दिन लगे थे। उस वक्त रोमानिया बॉर्डर कई देशों के स्टूडेंट व लोगों के साथ यूक्रेन के लोगों की भीड़ थी। इसमें इंडियन स्टूडेंट को प्राइयोरिटी दी जा रही थी।

20 किलोमीटर तक लाइनें लगी थी

रोमानिया बॉर्डर पर भी हालात बहुत खराब थे। बॉर्डर तक 20 किलोमीटर तक लाइने लगी हुई थी। लोगों को बॉर्डर क्रॉस करने में 24 घंटे तक लग रहे थे। यूक्रेन के लोग भी छोड़-छोड़ कर बॉर्डर क्रॉस कर रहे थे। इंडियन सरकार ने सबसे पहले स्टूडेंट को यूक्रेन से निकालना शुरू किया था, लेकिन इसके बाद अन्य देशों ने भी शुरू किया था।

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