चोटिला में मीणा समाज का मेला:मेले में 3 लाख की भीड़ जुटेगी, लॉ एंड ऑर्डर मीणा समाज का ही, 3 किमी दायरे में पुलिस को नो एंट्री
जिला मुख्यालय से करीब 35 KM दूर अरावली की पहाड़ियों में बसे चोटिला गांव स्थित गौतम ऋषि महादेव मंदिर के यहां मीणा समाज का मेला इस बार 13 से 15 अप्रैल तक चलेगा। मेला बुधवार सुबह लोगों के आगमन के साथ ही शुरू हो गया है। संभवत: यह देश का इकलौता ऐसा मेला है, जहां करीब तीन लाख की भीड़ जुटने पर भी पुलिस की नो एंट्री रहती है। भीड़ का प्रबंधन सिर्फ समाज के हाथों में रहता है।
मेले के लिए पुलिस चौकी भी मेला सीमा से 3KM दूर लगती है। मेले में सिविल ड्रेस में ही पुलिसकर्मी पहुंच सकेंगे, उनके वर्दी में आने पर पाबंदी होती है। समाज के स्तर पर कंट्रोल रूम जैसी व्यवस्था रहती है। दशकों पुराना मेला कोरोना की वजह से पिछले 2 सालों से नहीं भरा। इस बार यहां ढाई से 3 लाख से ज्यादा लोगों के जुटने की उम्मीद है। समाज के लोग परिवार सहित 2 दिन तक यहां रुकते हैं। मीणा समाज के अध्यक्ष उमा राम मिलर ने बताया कि मेले में किसी भी तरह का हथियार लेकर आना मना होता है। नशा करने वालों को एंट्री बिल्कुल नहीं दी जाती है। यहां कोई भी व्यक्ति झगड़ा नहीं कर सकता।
वीडियो शूटिंग और फोटोग्राफी पर रोक
मेले में वीडियो शूटिंग और फोटोग्राफी की दुकान लगाने पर पाबंदी रहती है। मेले में कोई भी व्यक्ति या संस्थान किसी भी तरह की वीडियोग्राफी नहीं करते तथा महिलाएं रात 8 बजे के बाद नहीं घूमेंगे। मेले में किसी भी तरह की कोई समस्या होने की स्थिति में मेला व्यवस्था कमेटी के कंट्रोल रूम में संपर्क कर सकेंगे। मेले में कोई भी स्त्री या पुरुष मुंह पर कपड़ा बांधकर नहीं घूम सकेगा। इस मेले में 14 अप्रैल को सुबह 8:40 बजे गंगा मैया का अवतरण होगा। इस दौरान समाज बंधु उनके पितरों का तर्पण भी करते हैं। मेले में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालु अपने बच्चों के रिश्ते नाते भी यहीं पर तय करते हैं।
पुलिस भी करती है नियमों का पालन
इस मेले में पुलिस विभाग के लोग भी नियमों का पूरा पालन करते हैं। इनके नियमों के अनुसार वर्दी में कोई भी पुलिसकर्मी या अधिकारी प्रवेश नहीं करता है। पुलिस चौकी भी मेले के करीब 3 किलोमीटर दूर स्थापित की गई है। मेले में सिविल ड्रेस में आने वालों के लिए किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं होती है।
निर्धारित समय पर रहेगा गंगा मैया का अवतरण
मेला कमेटी के अध्यक्ष उमा राम मिलर ने बताया कि इस मेले की सबसे बड़ी खूबी और विशेषता यही रहती है कि यहां श्री गंगा मैया का अवतरण निर्धारित मुहूर्त के समय पर ही होता है। सालभर सुखी रहने वाली नदी में 14 अप्रैल को कोई भी साधारण व्यक्ति अगर नदी के अंदर 1 फुट से भी कम गहराई तक बजरी हटाता है तो उसे गंगा मैया के दर्शन हो जाते हैं। मेले में इस वर्ष 1150 से अधिक दुकानों को सजाया गया है।
मेला स्थल के करीब 3 किलोमीटर दायरे के बाहर तैनात रहेंगे 2 अफसर, 4 महिला कांस्टेबल व 30 कांस्टेबल
इस बार मेले की तैयारियों के लिए 29 मार्च को कलेक्टर डॉ. भंवरलाल व विधायक संयम लोढ़ा की मौजूदगी में गौतम ऋषि महादेव मंदिर ट्रस्ट पदाधिकारियों, मीणा समाज 11 परगनों के पंचों के साथ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई थी। डीएसपी परसाराम चौधरी समाज को आश्वस्त किया है कि मेले में वर्दीधारी पुलिस का प्रवेश नहीं होगा। मेले से बाहर लगने वाली अस्थाई चौकी में 2 पुलिस अफसर, 4 महिला कांस्टेबल व 30 कांस्टेबल वर्दी में रहेंगे, जो मेला कमेटी की इजाजत पर ही कोई कार्रवाई करेंगे।
मेले की व्यवस्थाएं संभालने के लिए पुलिस की तरह मीणा समाज खुद का कंट्रोल स्थापित करता है। सालों पहले जब टेलीफोन, मोबाइल, वायरलैस जैसी सुविधाएं नहीं थी, तब सिरोही, जालोर, पाली मीणा समाज 11 ंपरगनावार 20-20 कार्यकर्ताओं की टीम बनाई जाती थी जो अपने-अपने परगने में गश्त करता थे और सूचनाएं कंट्रोल रूम तक पहुंचाते थे।
कुछ सालों से मीणा समाज के पुलिसकर्मियों की सादे कपड़ों में यहां ड्यूटी लगती है। इसके अलावा छुट्टी लेकर आने वाले और सेवानिवृत पुलिसकर्मी भी परगनों की टीम के साथ मिलकर वॉकी टॉकी से कम्यूनिकेशन बनाते हुए व्यवस्थाएं संभालते हैं। गौतम ऋषि ट्रस्ट के सदस्य सुखदेव मीणा (90) ने बताया कि दशकों पहले से मेले में वर्दीधारी पुलिस व पुलिस वाहन का प्रवेश प्रतिबंधित है। मेले में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
अनुशासन: शराब पीने, फोटो-वीडियो पर प्रतिबंध
प्रबंधन: सभी परगनों के 500 से ज्यादा कार्यकर्ता व्यवस्था संभालते हैं। मेले में व्यवस्थाएं समाज के ग्यारह परगनों के पंचों की होती है। 3 किमी से ज्यादा क्षेत्रफल में मेला लगता है।
एकजुटता: मेले में आने वाले लोग दो रातें और तीन दिन अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं। यहां बड़े ओहदे का व्यक्ति भी समाज की जाजम पर पंचों के साथ ही बैठता है।
प्रतिबंध : मेले में हथियार लेकर आने, शराब पीने, ओरण भूमि से हरे पेड़ काटने, वीडियो शूटिंग व फोटोग्राफी पर प्रतिबंध है। महिला-पुरुष मुंह पर कपड़ा बांधकर नहीं घूम सकते।
परंपरा: मेला परिसर में एताइयां बनाकर लोग रुकते हैं। यहां बेटा-बेटी के रिश्ते तय करते हैं। मन-मुटाव दूर होते हैं। यह परंपरा मेले की स्थापना से चली आ रही है।
पस के बाहर 195 पुलिसकर्मी रहेंगे
मेले में ढाई से 3 लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान है। मेला स्थल पर सादे कपड़ों में 81 पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। इसमें 3 एसआई, 5 एएसआई, 13 हेड कांस्टेबल और 24 महिला-पुरूष जवान शामिल हैं। मेला परिसर से बाहर 195 वर्दीधारी पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। -धर्मेंद्र सिंह, एसपी, सिरोही
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