2 मंजिला मकान के बराबर शिवजी की एक आंख:72 फीट का सीना, 250 टुकड़ों से बना 191 फीट का त्रिशूल



जयपुर- नाथद्वारा में बनी विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा की चर्चा विश्वभर में हो रही है। इसे विश्वास स्वरूपम यानी स्टैच्यू ऑफ बिलीफ नाम दिया गया। जिस तरह से इस खूबसूरत प्रतिमा को बनाया गया है, उसके पीछे की कहानी भी काफी रोचक है।

प्रतिमा आर्ट और टेक्नोलॉजी का जोड़कर तैयार की गई है। प्रतिमा कितनी विशाल है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक आंख 19 फीट की है, यानी 2 मंजिला मकान जितनी ऊंची।इसके अधिकांश हिस्से गुरुग्राम के स्टूडियो में तैयार किए गए हैं। भगवान शिव का त्रिशूल भी छोटे-छोटे 250 स्ट्रक्चर को जोड़ बनाया गया। अब तक आपने पढ़ा या देखा होगा कि आखिर यह प्रतिमा दिखती कैसी और इसे बनाने में कितने साल लगे।



पहली प्रतिमा, जो सॉफ्टवेयर व रोबोटिक मशीन से तैयार की गई

मूर्तिकार नरेश कुमावत ने बताया कि यह प्रतिमा आर्ट और टेक्नोलॉजी का सबसे बेहतर उदाहरण है। इतनी बड़ी प्रतिमा बिना टेक्नोलॉजी के संभव नहीं थी। यह एक मात्र ऐसी प्रतिमा है जो सॉफ्टवेयर व रोबोटिक मशीन से तैयार किया गया। उन्होंने बताया कि इस प्रतिमा को सबसे पहले थ्री डी सॉफ्टवेयर में तैयार किया गया था। इसके बाद रोबोटिक मशीन (CNC) के जरिए इसके ढांचे बनाए गए।



70 से ज्यादा मॉडल तैयार किए, एक-एक अंग सॉफ्टवेयर में डिजाइन

विश्वास स्वरूप की प्रतिमा के हर अंग पर बड़ी बारीकी से काम किया गया है। चेहरे के भाव से लेकर उनके आसन के डिजाइन के लिए कई लोगों की टीम जुटी रही। प्रतिमा के 70 से ज्यादा मॉडल तैयार किए गए। इनमें से एक मॉडल जो आज बनकर तैयार है इसे फाइनल किया गया। बताया गया कि बाहर से नजर आने वाला पूरा स्ट्रक्चर सॉफ्टवेयर में डिजाइन किया गया।

मॉडल फाइनल होने के बाद इसी हाइट और स्ट्रक्चर के साथ इसे थ्री-डी स्कैनिंग में ढाला गया। इसके बाद इसी टेक्नोलॉजी से भगवान शिव के अलग-अलग स्ट्रक्चर गुरुग्राम के स्टूडियो में तैयार किए गए।



350 लोगों की टीम जुटी

इस प्रतिमा को गुरुग्राम के मूर्तिकार नरेश कुमावत की ओर से तैयार किया गया। 10 साल पहले तद पदम उपवन संस्था के ट्रस्टी मदन पालीवाल की ओर से इस प्रोजेक्ट का प्लान सौंपा था। इसे पूरा करने के लिए करीब 350 लोगों की टीम स्टूडियों में दिन-रात जुटी रही। इसके अलावा साइट पर करीब 1500 लोग हर समय अलग-अलग शिफ्ट में मौजूद थे।



चैलेंज कम समय में प्रतिमा को तैयार करना, कनाड़ा मंगाई मशीन

मूर्तिकार नरेश कुमावत ने बताया कि सबसे बड़ा चैलेंज था कि कम समय में कैसे इस प्रतिमा को तैयार किया जाए। इसके लिए कुछ मशीनों की जरूरत थी। इसके लिए मदन पालीवाल के सामने प्रपोजल रखा गया। स्ट्रक्चर को तैयार करने के लिए कनाड़ा से मशीन मंगवाई गई, जिससे कम समय में भगवान शिव के स्ट्रक्चर को तैयार किए गए।




सबसे अनूठे नंदी, पैरों में घूंघरू और डांसिंग मुद्रा में

नरेश कुमावत ने बताया कि शिव प्रतिमा के किसी भी हिस्से को स्टूडियों में तैयार करते तो उस पर मदन पालीवाल से डिस्कशन जरूर होता था। वे कई बार स्टूडियों भी आए और इस दौरान उन्होंने अपने आइडिया को शेयर किया।इसी का नतीजा था कि उनके साथ काम करते-करते हमें आइडिया मिल गया था कि नंदी कैसे बनाने हैं और टीम ने डिसाइड किया कि नंदी की अनूठी प्रतिमा बनानी है।


विश्वास स्वरूपम…ये विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा है। हाइट 369 फीट।

जब आप उदयपुर-राजसमंद हाईवे से गुजरेंगे तो आपको भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में नजर आएंगे।

29 अक्टूबर  इसके लोकार्पण समारोह की शुरुआत हो रही है। मुरारी बापू की रामकथा से इसकी शुरुआत होगी। CM अशोक गहलोत भी इस दिन मौजूद रहेंगे। 9 दिन चलने वाले इस समारोह में 7 से 8 स्टेट के CM समेत कई मिनिस्टर और सेलिब्रिटी शामिल होंगे।

अब तक आपने प्रतिमा के बाहर के स्वरूप के दर्शन किए होंगे, लेकिन दैनिक भास्कर पहली बार इसके अंदर के व्यू को दिखा रहा है।

बाहर से दिखने वाली इस प्रतिमा की खूबी ये है कि इसके अंदर बने हॉल में 10 हजार लोग एक साथ एक समय में आ सकते हैं, यानी एक गांव या कस्बा इस प्रतिमा में बस सकता है।

विश्व की सबसे ऊंची 369 फीट की शिव प्रतिमा का शनिवार शाम राजसमंद जिले के नाथद्वारा में लोकार्पण हो गया। हालांकि इस सिलसिले में आयोजन 9 दिन तक चलना है। जितनी बड़ी भगवान शिव की प्रतिमा है, उतना ही बड़ा ये आयोजन। 42,016 की आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) वाले नाथद्वारा में इस दौरान दुनियाभर से आए 1 लाख शिव भक्त इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे। डोमिनिका (72,167), मोनाको (39,511) जैसे देशों की तो इतनी आबादी भी नहीं है, जितने शिव भक्त नाथद्वारा में लोकार्पण समारोह में मौजूद रहे।

दुनिया में शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा कहां है?

जवाब- नाथद्वारा

करीब 10 साल में ये प्रतिमा बनकर तैयार हुई, अनावरण भी हो चुका है। ...लेकिन इस प्रतिमा को बनाने वाले दो चेहरे ऐसे हैं, जिन्होंने हर हाल में इसे पूरा करने की ठानी। ये हैं मूर्ति को बनवाने वाले मदन पालीवाल और मूर्ति बनाने वाले नरेश कुमावत।

मदन पालीवाल और नरेश कुमावत ने भास्कर से उनकी लाइफ और शिव प्रतिमा बनने के 10 सालों के सफर को शेयर किया।

तद पदम उपवन संस्था के ट्रस्टी मदन पालीवाल ने बताया कि कभी वह इसी शहर में एक प्याऊ पर लोगों को पानी पिलाया करते थे। बीमारी के चलते खून की उल्टियां होती थीं, लेकिन काम करना नहीं छोड़ा। आज उसी शहर में दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का निर्माण करवाया है।

इन 10 ल में कैसे मूर्ति को तैयार किया गया, क्या चुनौतियों सामने आईं, ये सब बताएंगे मूर्तिकार नरेश कुमावत।

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