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#pali कमीशनखोरी में फंसी महिला सभापति के रोने का सच, सुसाइड से पहले ठेकेदार ने मौत का जिम्मेदार बताया था, पूरी पार्टी खिलाफ, क्या कुर्सी जाएगी?



जयपुर/पाली - राजस्थान में निकाय में कमीशनखोरी के बाद सुसाइड का मामला चर्चा में है। ठेकेदार को 2 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए कमीशन मांगा जा रहा था। परेशान ठेकेदार ने सुसाइड कर लिया। सुसाइड नोट में उसने सभापति पर भी कमीशन मांगने का आरोप लगाया। कॉन्ट्रोवर्सी इतनी बढ़ गई कि पहली बार भाजपा ने बड़ा फैसला लेते हुए अपनी ही पाली नगर परिषद सभापति रेखा भाटी को पार्टी से निकाल दिया।

निकाले जाने के चार दिन बाद सभापति रेखा अपने पति राकेश भाटी के सामने फेसबुक LIVE पर आई। पति-पत्नी कैमरे पर फूट-फूटकर रोए और भाजपा विधायक विधायक ज्ञानचंद पारख, पूर्व चेयरमैन महेंद्र बोहरा, पार्षद नरेश मेहता सहित कई लोगों पर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया।

इस पूरी कंट्रोवर्सी से 4 बड़े सवाल खड़े हो गए हैं…

- क्या ठेकेदार की सुसाइड के लिए सभापति भी जिम्मेदार हैं?

- क्यों सभापति रेखा भाटी को उन्हीं की पार्टी ने निलंबित कर दिया?

- क्या सभापति का कैमरे पर रोना सिर्फ इमोशनल कार्ड था?

- पार्टी से निकाले जाने के बाद क्या सभापति की कुर्सी भी जाएगी?



कौन जारी करता है बिल : ठेकेदार द्वारा किए गए निर्माण कार्य के लिए बिल जारी करने के लिए एक कमेटी गठित की गई, जिसमें सभापति, आयुक्त, सचिव, एकाउंटेंट आदि शामिल होते हैं।

सबका कमीशन तय : नाम न बताते की शर्त पर एक ठेकेदार ने बताया कि आयुक्त के जरिए पेमेंट पास करवाने पर सभापति द्वारा 10 प्रतिशत, आयुक्त द्वारा 10 प्रतिशत, निर्माण शाखा में 7-8 प्रतिशत, कमेटी में 5-6 प्रतिशत, लेखा शाखा 4-5 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है, जिसे ठेकेदारों ने ऑफिस खर्च नाम दे रखा है।

रुपए पास कराने के 2 तरीके : आयुक्त के जरिए पेमेंट पास करवाने पर आयुक्त को 10 प्रतिशत और सभापति को 2 प्रतिशत कमीशन देना होता था। ठेकेदार सभापति के जरिए बिल पास करवाता था तो उसे सभापति को 10 प्रतिशत और आयुक्त को 2 प्रतिशत कमीशन देना होता था। 2 दलाल यह कमीशन राशि एकत्रित करते हैं।

दिखावे का 300 करोड़ का बजट

वर्ष 2022 के लिए 350 करोड़ का बजट पारित किया गया, लेकिन हकीकत में यह बजट कागजी होता है। आय के साधन कम होने के चलते इतना बजट शहर विकास में खर्च नहीं होता।

मौत के बाद भी 2 ठेकेदारों को पेमेंट नहीं, एक और सुसाइड की चेतावनी

नगर परिषद में कुल 80 ठेकेदार है। कमीशन नहीं देने के कारण कई ठेकेदारों के पेमेंट अटके हुए हैं। 2 करोड़ का पेमेंट नहीं होने के कारण ठेकेदार हनुमान सिंह राजपुरोहित ने 4 नवंबर को सुसाइड कर लिया था। इसी तरह एक ठेकेदार गोविंद सेन की मौत के 10 महीने बाद भी उसके परिवार को 1.5 करोड़ बकाया का भुगतान नहीं हुआ। इधर, ठेकेदार पंकज ने 10 प्रतिशत कमीशन का आरोप लगाते हुए सुसाइड की चेतावनी दी है। इनके भी 2 करोड़ रुपए 1 साल से अटके हुए हैं।



ठेकेदार को टेंडर देने की शर्तें

पाली नगर परिषद की स्थिति तो यह है कि नगर परिषद किसी काम को 1 करोड़ में करवाने का टेंडर जारी करती है। उस काम को लेने के लिए कई ठेकेदार 70 से 80 लाख रुपए में करने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे में निर्माण कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है। पाली नगर परिषद में जितना बजट है, उससे कई ज्यादा के निर्माण कार्य जारी कर दिए गए। इसके चलते सैकड़ों कार्य अटके हुए हैं।

अब जानिए, क्यों अपनी ही सभापति को निलंबित किया भाजपा ने

12 विवाद : सभापति V/S विधायक-पार्षद

11 अप्रैल : पट्‌टों की दलाली का आरोप

पार्षद हीना वैष्णव, पुष्पा सोमनानी, नरेश मेहता, जय जसवानी, किशोर सोमनानी ने आयुक्त बृजेश रॉय को ज्ञापन सौंपकर नगर परिषद में दलालों के जरिए पट्टे बनने का आरोप लगाया।

13 मई : पार्षद भाटी और मेहता में बहस

बैठक में पानी की टंकियां लगाने के मुद्‌दे पर पार्षद नरेश मेहता ने कहा कि नगर परिषद की काम की गति धीमी है। इस बात पर सभापति के पार्षद पति राकेश भाटी और पार्षद नरेश मेहता में बहस हो गई।

13 जून : स्वागत में नहीं गए विधायक

यात्रा से वापस पाली लौटने पर शहरवासियों ने जोरदार स्वागत किया। इस दौरान विधायक ज्ञानचंद पारख नदारद थे। भाजपा पार्षद, पदाधिकारियों की संख्या भी न के बराबर थी।

27 जुलाई: नगर परिषद में विधायक की दखल

नया गांव रोड़ पर कुछ पार्षदों ने टूटी सड़क को लेकर जाम लगाया। कुछ देर बाद वहां विधायक ज्ञानचंद पारख ने आकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सभापति रेखा-राकेश भाटी पर निशाना साधा। इसके बाद विधायक पारख नगर परिषद से जुड़े कामों में ज्यादा सक्रिय हो गए। यह बात सभापति रेखा-राकेश भाटी को रास नहीं आई।

30 जुलाई : भाटी का विधायक पर कटाक्ष

बांगड़ हॉस्पिटल में प्याऊ के उद्घाटन के दौरान पारख का नाम लिए बिना राकेश भाटी ने कहा कि बड़े नेताजी टूटी सड़कें और सड़क पर फैला कीचड़ देखने जा रहे है। सालों से आदर्श नगर में बरसात के दौरान पानी भर जाता है, पहले उसे ठीक करा दो।

अगस्त : दोनों ने एक दूसरे को बताया बीमारी

एक इंटरव्यू में विधायक ज्ञानचंद पारख ने राकेश भाटी का नाम लिए बिना कहा-बीमारी बड़ी है, इलाज में समय लगेगा। इसके बाद राकेश भाटी ने फेसबुक LIVE में कहा-बड़े नेता ने सही कहा, बीमारी बड़ी है इलाज में समय लगेगा। 25 साल पुरानी बीमारी गोली से नहीं ऑपरेशन से जाएगी।

सितंबर : भाटी बोले-बड़े नेता की कुर्सी हिल गई

बाबा रामदेव मंदिर में भजन संध्या में पार्षद राकेश भाटी ने कहा- जयपुर पैदल यात्रा से बड़े नेताजी की कुर्सी हिल गई है। उनकी पत्नी को सभापति की कुर्सी से हटाने के लिए खिलाफ वे षड्यंत्र किए जा रहे हैं।

6 नवंबर : सभापति पर निलंबन की गाज

4 नवंबर को पाली के ढाबर गांव में ठेकेदार हनुमानसिंह राजपुरोहित के सुसाइड के बाद समाज के लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया, जिसमें भाजपा पदाधिकारी और पार्षद भी शामिल हो गए। उनके विरोध को देखते हुए भाजपा प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर पाली आए। उन्होंने पार्षदों की बैठक की। जिसमें पार्षद सभापति और उनके पति राकेश भाटी के निलंबन की मांग पर अड़ गए। 6 नवम्बर को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने एक लेटर जारी कर सभापति रेखा भाटी को भाजपा से निलंबित किया।

इसलिए अपने ही सभापति के विरोध में उतरे पार्षद

सबके मन में सवाल था कि आखिर भाजपा के सभापति को हटाने को लेकर भाजपा के पार्षद ही क्यों विरोध में उतर रहे है। दरअसल पार्षदों का आरोप था कि उनके वार्ड में काम नहीं हो रहे। पट्टें नहीं बन रहे।

नगर परिषद में सभापति रेखा-राकेश भाटी ने उन पर ध्यान नहीं दिया तो वे अपने शिकायतें लेकर विधायक ज्ञानचंद पारख के पास जाने लगे। विधायक पारख ने उन्हें कई बार समझाया लेकिन वे अपने हिसाब से ही चले। विधायक की बातों को भी सभापति रेखा-राकेश भाटी ने नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। यही से सभापति रेखा-राकेश भाटी और विधायक ज्ञानचंद पारख के रिश्तों में खटास आने लगी।



सभापति और उनके पति के फेसबुक LIVE पर लगाए 5 बड़े आरोप

ठेकेदार के सुसाइड के बाद कमीशनखोरी के आरोपों से गिरे नगर परिषद सभापति रेखा भाटी और उनके पार्षद पति राकेश भाटी बुधवार देर रात को 9 बजे फेसबुक लाइव आए। रोते हुए उन्होंने खुद पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया। बोले कि नेताजी (विधायक ज्ञानचंद पारख) और उनके पार्षद पिछले 5 माह से उनके खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे सभापति की कुर्सी छोड़कर जाने वाले नहीं हैं।

आरोप 1 : विधायक पारख का नाम लिए बिना आरोप लगाते हुए रेखा भाटी और राकेश भाटी ने कहा कि एसपी ऑफिस के सामने जोधाणा स्वीट है। उसको लेकर नेताजी ने घर पर बुलाया और कहा कि इस फाइल को 10 साल तक बढ़ा दो, जबकि ये कैंटीन पूर्व चेयरमैन महेंद्र बोहरा ने अवैध रूप से तीन साल के लिए बढ़ाई थी। 2018 में बिना मीटिंग लिए ही 10 साल बढ़ा दी। मैंने कहा 2024 तक ही हमारा कार्यकाल है। इसे 2028 तक कैसे बढ़ा दें। इन फाइलों पर साइन नहीं किया तो नेताजी और माफिया पीछे पड़ गए।

​​​​​​​आरोप 2 : नेताजी ने ठेकेदार से पवन रेजीडेंसी पर 50 लाख की सड़क बनवा दी, अब कह रहे 50 लाख के ब्लॉक लगा दो, नया गांव में काम्पलेक्स बन रहा है, लाखों रुपए भरती के लिए मिट्टी डलवा दी। अब कह रहे हैं कि फाइलों पर साइन करो, कैसे करें।

​​​​​​​आरोप 3 : पूर्व सभापति महेन्द्र बोहरा ने अपने कार्यकाल में नगर परिषद के सामने पेट्रोल पम्प के पास अवैध बिल्डिंग बना दी। जिसमें 25 फीट का सेडबैक तक नहीं छोड़ा। उद्यान की भूमि पर पट्‌टे तक जारी किए।

​​​​​​​आरोप 4 : नरेश मेहता का 4 करोड़ का यूआईटी गोदाम का प्लॉट है, जो नीलाम हुआ ही नहीं, पट्‌टा बना ही नहीं, पिता के नाम मुख्तियार बेचान भी लिया। हम पर दबाव डाला, कभी बगीचे के लिए रोड पर लड़ाई की करता है तो कभी मीटिंग में।

​​​​​​​आरोप 5 : वार्डों में करोड़ों रुपए के काम करवाए, अच्छा काम कर रहे हैं तो बोल रहे कि कमीशन खाते हैं। कमीशन खाते तो एसीबी से पकड़वा देते, ये बनावटी बातें हैं।

क्योंकि

भाजपा के पास कुर्सी से हटाने का बहुमत नहीं

पाली नगर परिषद में 65 पार्षदों का सदन है। इनमें भाजपा के 27, कांग्रेस के 22, 14 निर्दलीय और दो पार्षद सभापति और उनके पति है। सदन में अविश्वास के लिए 49 पार्षद चाहिए। भाजपा सदन में अविश्वास के लिए निर्दलीय पार्षदों का समर्थन भी लेने के बाद 41 पार्षद ही जुटा पाएगी। ऐसे में रेखा भाटी की कुर्सी सुरक्षित रहेगी।

भाजपा और कांग्रेस साथ आएं, इसके आसार कम

भाजपा के 27 पार्षद और कांग्रेस के 22 पार्षद साथ मिलकर 49 पार्षदों का बहुमत बना सकते हैं, लेकिन कांग्रेस भाजपा का समर्थन करे, इसके आसार न के बराबर हैं। क्योंकि ऐसा होता तो दोनों पार्टियों में सभापति और उपसभापति के पद के लिए लड़ाई होगी।

मामले में दोषी साबित होने पर कार्रवाई

ठेकेदार हनुमान सिंह राजपुरोहित ने सुसाइड में सभापति और उनके पति को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया। इसके अलावा दंपती पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। अगर सभापति और उनके पति के खिलाफ भ्रष्टाचार और ठेकेदार की मौत के आरोप साबित होते है तो राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। ऐसे में उनके कुर्सी जाने की संभावना हो सकती है।

अगर रेखा भाटी इस्तीफा दे तो सभापति कौन बनाएगा

एक बड़ा सवाल ये भी है कि अगर रेखा भाटी इस्तीफा दे दे तो सभापति कौन बनाएगा। इस सवाल का जवाब जानने के लिए कुछ आंकड़े समझना जरूरी है।

जैसे भाजपा र्टी अपने किसी को प्रत्याशी को मैदान में उतारेगी तो उसे निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ कांग्रेस से भी कुछ प्रत्याशियों का समर्थन लेकर 49 पार्षदों का बहुमत जुटाना होगा।

कांग्रेस प्रत्याशी के लिए 49 के आंकड़े तक पहुंचना मुश्किल होगा। उन्हें कांग्रेस के 22 प्रत्याशियों के अलावा 27 पार्षदों का समर्थन चाहिएगा। इनमें 14 निर्दलीय और बाकी भाजपा के पार्षदों का समर्थन लाना होगा। नगर परिषद चुनाव के दौरान भी कांग्रेस प्रत्याशी नेतल मेवाड़ा को महज 28 वोट मिले थे।


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