एसपी के आदेशों की उड़ रही धज्जियां, सायला में चार मौतों के बाद भी पुलिस प्रशासन मौन
जालोर (उजीर सिलावट) : जवाई नदी में अवैध खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरदारगढ़ गांव सहित आसपास के इलाकों में बजरी से भरे ट्रैक्टर बेखौफ दौड़ते देखे जा सकते हैं। इन अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए पुलिस अधीक्षक ज्ञानचंद यादव के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद खनन माफिया खुलेआम खनन कर रहे हैं, जिससे प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सायला की घटना के बावजूद प्रशासन मौन
कुछ समय पहले सायला क्षेत्र में बजरी से भरे ट्रैक्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई थी। से लेकर ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन किया था। इस घटना ने क्षेत्र में अवैध खनन के खतरनाक प्रभावों को उजागर किया। बावजूद इसके, न तो प्रशासन सख्त हुआ और न ही खनन माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए। अभी भी रात के अंधेरों में नहीं दिन के उजाले में भी बजरी माफिया पूर्ण रूप से सक्रिय होकर कार्य कर रहा है।
एसपी यादव के निर्देशों की अनदेखी
जालोर एसपी यादव ने जिले में अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे। स्थानीय पुलिस को निर्देशित किया गया था कि अवैध खनन और बजरी परिवहन पर कड़ी निगरानी रखी जाए। लेकिन जालौर, सरदारगढ़, सांकरना, भैसवाड़ा आहोर, हमीरपुर सहित आसपास क्षेत्रो में ट्रैक्टर चालकों और खनन माफियाओं को पुलिस का कोई डर नहीं दिख रहा है।
प्रशासन की उदासीनता से बढ़ रहा खतरा
खनन माफिया रात-दिन नदी से अवैध तरीके से बजरी निकालकर ट्रैक्टरों से परिवहन कर रहे हैं। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि जवाई नदी का प्राकृतिक स्वरूप भी खत्म हो रहा है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें भी इन भारी वाहनों से बदहाल हो चुकी हैं। सायला में हुए हादसे सहित कई हादसे में बजरी माफीया की वजह से हो चुके हैं परंतु पुलिस की कोई कार्यवाही नहीं करना इनके लिए शायद अच्छा साबित हो रहा हैं।
ग्रामीणों में आक्रोश
सरदारगढ़ सहित आसपास के ग्रामीणों ने अवैध खनन को लेकर आक्रोश जताया है। उनका कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासन से मांग की है कि अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
क्या कहते हैं अधिकारी?
इस संबंध में जब अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन अब तक किसी बड़े कदम की सूचना नहीं मिली है। प्रशासनिक मौन और निष्क्रियता ने अवैध खनन को बढ़ावा दिया है।
जरूरत ठोस कदम उठाने की
अगर प्रशासन जल्द ही अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम नहीं उठाता, तो न केवल पर्यावरण और सड़कें प्रभावित होंगी, बल्कि आमजन की जान भी खतरे में पड़ सकती है। ग्रामीणों और पर्यावरणविदों ने सरकार से इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।