एक आईना भारत - शहर के पहले काेराेना संक्रमित व अब स्वस्थ हुए हिमांशु उत्तमचंदानी के ताऊजी माेहन उत्तचंदानी का स्पेन में इसी वायरस से निधन हाे गया है। जबकि जाेधपुर में ही उनके भतीजे के साथ ही छाेटे भाई व भाभी भी कोरोना संक्रमित आए थे। भाई-भाभी के रिपीट सैंपल निगेटिव आने के बाद उन्हें संक्रामक रोग संस्थान में रखा गया है। दरअसल पूरा परिवार मार्च में तुर्की में हुई एक पारिवारिक शादी में एकत्र हुआ था। यहीं से कई लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ गए।
जोधपुर.
स्पेन: डॉक्टर ने हॉस्पिटल के बजाय घर पर इलाज कराने को कहा, जब गंभीर स्थिति हुई तो एडमिट किया, मौत
मूलतया जाेधपुर के ही 71 वर्षीय मोहन उत्तमचंदानी 45 वर्षों से स्पेन की राजधानी मैड्रिड में सैटल हैं। वे भी इस शादी में संक्रमण की चपेट में आ गए थे। मैड्रिड में ही बसे उनके छोटे भाई शंकर उत्तमचंदानी ने बताया कि स्पेन लौटने पर चैकिंग अथवा स्क्रीनिंग जैसा कुछ नहीं हुआ। वे घर आ गए। 4-5 दिन बाद जब उन्हें कुछ लक्षण दिखे तो उन्हें हॉस्पिटल में देखने की बजाय डॉक्टर घर पर ही देखने आए। डॉक्टर ने उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट होने की बजाय घर पर ही रहने व दवा लेने का कहा। उनकी तबीयत बिगड़ती ही चली गई। आखिर परिजन उन्हें 31 मार्च को प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया।
यहां भी उनकी हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती ही गई और उन्होंने 6 अप्रैल को दम तोड़ दिया। स्पेन को मेडिकल सेवाओं में दुनिया में नंबर 1 माना जाता है। शंकर ने बताया कि स्पेन में लगातार आ रहे कोरोना संक्रमितों और मौतों ने सिस्टम को ध्वस्त कर दिया है। हॉस्पिटल मरीजों से अट गए हैं। यहां मरीज काे तब तक एडमिट नहीं करते जब तक कि उनकी हालत बेहद गंभीर ना हाे जाए। आईसीयू में सैकड़ों मरीजों को रखा जा रहा है। मेलास्थल वाले पवेलियन अब अाईसीयू में बदले गए हैं।
जाेधपुर: गले में खराश दिखाने अाए तो सैंपल लिया, पूरे परिवार काे एडमिट किया, 17 दिन में स्वस्थ
तुर्की में शादी से ही हिमांशु, उनकी मम्मी, पत्नी, बेटी, चाचा व चाची भी लाैटे। एयरपाेर्ट पर जांच हुई, लेकिन किसी में लक्षण नहीं मिले। 2 दिन बाद गले में खराश हाेने पर 21 मार्च काे हिमांशु पत्नी सहित एमडीएम हाॅस्पिटल पहुंचे। यहां उनसे पूछताछ में जैसे ही टर्की से लाैटने का पता चला ताे उनका काेराेना टेस्ट करवाया गया। देर रात रिपाेर्ट पॉजिटिव आते ही अगले दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उनके पूरे परिवार, बाई एवं चाचा-चाची को घर से लाकर हॉस्पिटल में एडमिट किया।
यहां सबकी टेस्टिंग हुई। इसमें चाचा-चाची भी पॉजिटिव आए। बाकी सभी को आयुर्वेद विवि में क्वारेंटाइन किया। पूरे 17 दिन हिमांशु व चाचा-चाची का इलाज चला। कई रिपीट टेस्ट हुए। आखिर निगेटिव आने पर सोमवार को हिमांशु को तो डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं चाचा-चाची संक्रामक रोग संस्थान में हैं, उन्हें जल्द ही डिस्चार्ज किया जाएगा।
भाई बोले- भारत में अभी हालात काबू में
शंकर उत्तमचंदानी ने बताया कि स्पेन में हॉस्पिटल्स में मरीजों के लिए जगह ही नहीं है। बेहद गंभीर होने पर ही एडमिट कर रहे हैं। मोहन उत्तमचंदानी को भी पहले एडमिट नहीं किया। दूसरी ओर भारत में भतीजा तथा भाई-भाभी का सिस्टम ने पता लगा लिया। उन्हें अच्छा आइसोलेशन एवं इलाज मिला। अभी भारत में मरीज कम हैं। वहीं स्पेन में इतनी मौतें हुई हैं कि अंत्येष्टि के लिए भी 1 महीने इंतजार करना पड़ रहा है।
जोधपुर.
स्पेन: डॉक्टर ने हॉस्पिटल के बजाय घर पर इलाज कराने को कहा, जब गंभीर स्थिति हुई तो एडमिट किया, मौत
मूलतया जाेधपुर के ही 71 वर्षीय मोहन उत्तमचंदानी 45 वर्षों से स्पेन की राजधानी मैड्रिड में सैटल हैं। वे भी इस शादी में संक्रमण की चपेट में आ गए थे। मैड्रिड में ही बसे उनके छोटे भाई शंकर उत्तमचंदानी ने बताया कि स्पेन लौटने पर चैकिंग अथवा स्क्रीनिंग जैसा कुछ नहीं हुआ। वे घर आ गए। 4-5 दिन बाद जब उन्हें कुछ लक्षण दिखे तो उन्हें हॉस्पिटल में देखने की बजाय डॉक्टर घर पर ही देखने आए। डॉक्टर ने उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट होने की बजाय घर पर ही रहने व दवा लेने का कहा। उनकी तबीयत बिगड़ती ही चली गई। आखिर परिजन उन्हें 31 मार्च को प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया।
यहां भी उनकी हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती ही गई और उन्होंने 6 अप्रैल को दम तोड़ दिया। स्पेन को मेडिकल सेवाओं में दुनिया में नंबर 1 माना जाता है। शंकर ने बताया कि स्पेन में लगातार आ रहे कोरोना संक्रमितों और मौतों ने सिस्टम को ध्वस्त कर दिया है। हॉस्पिटल मरीजों से अट गए हैं। यहां मरीज काे तब तक एडमिट नहीं करते जब तक कि उनकी हालत बेहद गंभीर ना हाे जाए। आईसीयू में सैकड़ों मरीजों को रखा जा रहा है। मेलास्थल वाले पवेलियन अब अाईसीयू में बदले गए हैं।
जाेधपुर: गले में खराश दिखाने अाए तो सैंपल लिया, पूरे परिवार काे एडमिट किया, 17 दिन में स्वस्थ
तुर्की में शादी से ही हिमांशु, उनकी मम्मी, पत्नी, बेटी, चाचा व चाची भी लाैटे। एयरपाेर्ट पर जांच हुई, लेकिन किसी में लक्षण नहीं मिले। 2 दिन बाद गले में खराश हाेने पर 21 मार्च काे हिमांशु पत्नी सहित एमडीएम हाॅस्पिटल पहुंचे। यहां उनसे पूछताछ में जैसे ही टर्की से लाैटने का पता चला ताे उनका काेराेना टेस्ट करवाया गया। देर रात रिपाेर्ट पॉजिटिव आते ही अगले दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उनके पूरे परिवार, बाई एवं चाचा-चाची को घर से लाकर हॉस्पिटल में एडमिट किया।
यहां सबकी टेस्टिंग हुई। इसमें चाचा-चाची भी पॉजिटिव आए। बाकी सभी को आयुर्वेद विवि में क्वारेंटाइन किया। पूरे 17 दिन हिमांशु व चाचा-चाची का इलाज चला। कई रिपीट टेस्ट हुए। आखिर निगेटिव आने पर सोमवार को हिमांशु को तो डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं चाचा-चाची संक्रामक रोग संस्थान में हैं, उन्हें जल्द ही डिस्चार्ज किया जाएगा।
भाई बोले- भारत में अभी हालात काबू में
शंकर उत्तमचंदानी ने बताया कि स्पेन में हॉस्पिटल्स में मरीजों के लिए जगह ही नहीं है। बेहद गंभीर होने पर ही एडमिट कर रहे हैं। मोहन उत्तमचंदानी को भी पहले एडमिट नहीं किया। दूसरी ओर भारत में भतीजा तथा भाई-भाभी का सिस्टम ने पता लगा लिया। उन्हें अच्छा आइसोलेशन एवं इलाज मिला। अभी भारत में मरीज कम हैं। वहीं स्पेन में इतनी मौतें हुई हैं कि अंत्येष्टि के लिए भी 1 महीने इंतजार करना पड़ रहा है।