-पांच अस्पतालों के चक्कर लगाते-लगाते मुम्बई से लौटे युवक की मौत । अभी तक रिपोर्ट नही आई, अगर संक्रमित तो बड़ी समस्या

यह कैसी निर्दयता

"भगवान" का नहीं पसीजा कलेजा, तड़पते-तड़पते मरीज ने दम तोड़ा,




आहोर(निस)। कोरोना महामारी के बीच चिकित्सकों की गम्भीर लापरवाही सामने आई है। एक मरीज को परिजन एक अस्पताल में ले जाते हैं जहां से उसे ईलाज के लिए मना कर दिया और जांचे कराने का बहाना बनाकर उसे वापस भेज दिया गया। आखिर बीमारी से तड़पते तड़पते मरीज ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने आहोर राजकीय अस्पताल के चिकित्सकों पर गम्भीर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए दोषी चिकित्सक को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।
       यह घटना घटित हुई हैं जालोर जिले के आहोर कस्बे में जहां कोरोना महामारी के दौरान मुम्बई से लौटे कोरोना सन्दिग्ध की रविवार को जांच रिपोर्ट आने से पूर्व ही मौत हो गई। बोटियावास निवासी मृतक गोपाराम प्रजापत के भाई रमेश कुमार ने आरोप लगाया है कि बीमार को शनिवार को कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया था जहां रविवार सुबह उसकी तबीयत बिगड़ने पर चिकित्सक ने सीटी स्कैन कराने को कहा। इस पर मरीज को सुमेरपुर ले गए वहां तीन चार अस्पतालो में घूमने के बाद भी सभी ने सीटी स्कैन करने से मना कर दिया। परिजन उसे पुनः आहोर के राजकीय अस्पताल ले आए जहां चिकित्सकों ने सीटी स्कैन नहीं कराने तक इलाज करने से ही मना कर दिया। इसके बाद परिजन उसे जालोर के राजकीय अस्पताल ले कर गए जहां से उसे जोधपुर रैफर कर दिया गया। इस दौरान उसकी तबीयत ज्यादा खराब हुई तो परिजन उसे जोधपुर के बजाय पुनः आहोर के राजकीय अस्पताल ले आए जहां उसकी मौत हो गई।
      जहां एक और पूरे देश में चिकित्साकर्मी व पुलिसकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों का का इलाज कर रहे हैं और इसे फैलने से रोकने में अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं जिसके फलस्वरूप उनका जगह जगह सम्मान भी किया जा रहा है। इधर दूसरी ओर आहोर राजकीय अस्पताल के चिकित्सकों की यह गम्भीर लापरवाही सामने आई है जिसके कारण मुम्बई से परिजनों के साथ रहने की आस में घर लौटे युवक की मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक यदि उनको यह पता होता कि आहोर अस्पताल के चिकित्सक इतने निर्दयी हो जाएंगे तो वह उसे यहां आने से ही मना कर देते जिससे उसकी मौत तो नहीं होती।
      ग्रामीणों ने इस मामले में इस अस्पताल में डिजिटल एक्सरे, सीटी स्कैन मशीन लगाने, लैब टेस्टिंग सुविधा शुरू करने की मांग की है। ग्रामीणों के मुताबिक हड्डी रोग विशेषज्ञ भी इस अस्पताल में नहीं है और मात्र दो चिकित्सकों के भरोसे यह अस्पताल चल रहा है जिसमें आसपास के करीब पचास गांवों के मरीज इलाज के लिए आते हैं और निराश होकर लौटते हैं। यहां ब्लड  बैंक तो है पर ब्लड स्टॉक में नही रहता ।

सोशल मीडिया पर रिपोर्ट को लेकर आहोर में भय का माहौल
घटित घटना के इतने समय कब बाद भी रिपोर्ट का न आना लोगो मे दिन ब दिन भय का माहौल बना जा रहा है । घटना के इतने समय के बाद भी रिपोर्ट प्राप्त नही होने से मृतक को लेकर लोग भयभीत है कि अगर पॉजिटिव है तो एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है । क्योंकि प्रशाशन ओर जनता के सहयोग से अभी तक एक भी केस पंचायत में नही है ।


इनका कहना है-

कथित "भगवान"की साफगोई


 मरीज बेहोशी व बुखार में आया था। मुम्बई से आने के कारण   सीटी स्कैन करने  वालों ने उसकी जांच करने से मना कर दिया गया उसे जिसके बाद परिजन पुनः उसे यहाँ ले आए। मरीज को काफी तेज बुखार था जबकि बुखार के टेस्ट सही थे लेकिन बार बार बेहोश हो रहा था इसलिए सीटी स्कैन जरूरी था। मरीज का ईलाज मैं ही कर रहा था।
       -डॉ पूरणमल मुणोत
      चिकित्सक, राजकीय अस्पताल, आहोर


मातहत को बचाने आ गए आला अधिकारी


अल्टर सेंसोरियम है मरीज को तो सीटी स्कैन कराना ही पड़ता है। चिकित्सक ने पूरा इलाज किया है कोई लापरवाही नहीं की है
            -डॉ वीरेन्द्र हमथानी
          बीसीएमओ, आहोर
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