लॉकडाउन में शादी, राजपूत समाज में चल रहे दहेज मुक्त शादी के अभियान को आगे बढ़ा रहे युवा टीके में दिए एक लाख रुपए लौटाए

भविष्य में यह रिवाज बन जाए तो लाखों बेटियों के पिता कर्जदार होने से बच जाएंगे
एक आईना भारत / जयवर्धन सिंह
मारवाड़ जंक्शन, टुंगज
दुदोड़ गांव में महेन्द्र सिंह कुम्पावत की पुत्री डिम्पल कंवर की शादी राजसमन्द आमेट के पास टुंगज गांव निवासी भोपाल सिंह चुण्डावत के पुत्र किशन सिंह के साथ हुई। दूल्हे किशन सिंह ने पहल करते हुए टीके में मिले एक लाख रुपए वापस लौटा दिए। एक तरफ जहां कई समाजों में दहेज को लेकर सुसराल पक्ष की ओर से बेटियों को लेकर प्रताड़ित किया जाता है। वहीं वर्तमान समय में किशन सिंह चुण्डावत जैसे दुल्हे ने इन कुरीतियों का विरोध करते रहे व टीके की राशि लैटाकर समाज के युवाओं को जागरूकता का संदेश दिया।
  विवाह  समारोह में टीका दस्तूरी की इस राशि को लौटाने में दुल्हे के पिताजी व बारातियों ने भी उनके फैसले का समर्थन किया।
नवीनपाल सिंह कुम्पावत, पारितोष सिंह व लोकेन्द्र सिंह ने कहा की टीका प्रथा अपने आप में एक अभिशाप है। समय रहते इसमें बदलाव जरूरी है। आज के वक्त में हमारी असल पुंजी तो संस्कारित परिवार की पढ़ी लिखी युवती ही रहे। इसकी महक पूरे समाज में फैलेगी।

लॉकडाउन में शादी होने के कारण सरकार के नियमों के अनुसार बारात में दुल्हें समेत 20 लोग आए। लॉकडाउन से शादी में भारी भरकम होने वाले खर्च की बचत हो रही हैं। समाज के लोगों का मानना हैं की शादी ब्याहों में अनावश्यक दिखावा व खर्चा बंद हो व भविष्य में इसे रिवाज बनाया जाए तो लाखों बेटियों के पिता कर्ज के बोझ तले डुबने से बच जाएंगे। इस ओर समाज के वरिष्ठ लोगों को पहल करनी चाहिए।
और नया पुराने