एक आईना भारत/
देसूरी:- देवासी क्रांति संगठन के संस्थापक मांगीलाल देवासी सुमेर ने बताया की मृत्यु भोज जरूर कुरीति है। पर यह कुरीति सदियो से नहीं बल्कि अभी जो पैसों वालों ने रखी तरह तरह के पकवान बनाकर बड़े बनने कि होड़ लगा रखी है ! मृत्यु भोज पर सरकार का यह कदम काफी सराहनीय है जिससे गरीब परिवार पर बोझ ना आ सके एवं ना कर्जे में आए ! अगर कोई संपन्न परिवार है ओर दान करना चाहते हैं तो उन गरीबों को भोजन करवाए किसी सामाजिक संस्था में दान करें या पशुओं को चारा खिलाएं ! बालिका शिक्षा , अनाथालय आदि में दान करें ! वहीं जवानाराम देवासी ने कहा कि मृत्यु भोज पर पंडितों द्वारा बताई गयी वस्तुएं मृतक की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों को दान में देना चाहिए ! मृत्यु भोज एक ऐसी विनाशक रूढ़िवादी परंपरा है जो आज तक शास्त्रों में वर्णन नहीं है यह समाज के लिए घातक है ! एक तरफ परिवार दुःख में होता है दूसरी तरफ उसके घर खाना खाना यह अच्छी बात नहीं है !
इसमें उपाध्यक्ष सखाराम देवासी श्रीसेला , हरी भाई सरथूर , सचिव नारायण लाल खिवाडा सहित भीखाराम उंदरथल , राणाराम आना, नारायण लाल सादडी, सकराम आना , भावेश दादाई, भुराराम , ओगड़राम , दौलत राईका सरपंच दुदापुरा, जवानाराम देवासी उपसरपंच प्रतिनिधि वलदरा, वरदाराम सादडा, आदि का सहयोग रहा !
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