ऊर्जा संरक्षण दिवस।
म्हारा तावड़ा का धणी, थारी जरुरत घणी।
दिसम्बर महिना की 14 तारीख नै आंपळा देश मैं ऊर्जा संरक्षण को दिन मनायो जावे छः। और सब लोग बाग ईंका संरक्षण की बात कर छः पण देख्यो जावै तो आंपा संरक्षण तो दूर ईंकी रुखाळी भी कोन कर संका सा। कई जगहा पै दिन मैं लोग लाईटा जळी ही छोड़ देवै छः, तो की जगहा पै बिजळी को दुरुपयोग भी हो रियो छः। आज आंपळी जिंदगी मैं उर्जा को बहुत उपयोग छः कारखाना, बोपार कै साथ अब तो खेती-बाड़ी मैं भी इंसू बड़ो बड़ो काम निपट रियो छः। गावां मैं गाय भैंस को चारो कड़बी की कटाई भी बिजळी सूं चालबाळी कुट्टी काटबा की मशीन सूं हो री छः। पण धीरै धीरै ऊरजा की खपत ज्यादा होबा सूं ईंकी बचत भी जरूरी छः अर ईंको सबसू बढ़िया इलाज या उपाय यो तावड़ा को धणी सुरज भगवान छः। आज काल सूरज की किरणां सूं भी ऊरजा या बिजळी बण री छः जीनै सौर ऊरजा कहवै छः, अर इंसू चालबाळा कई उपकरणा कै साथ अब तो सौर ऊरजा का गाढी घोड़ा अर साधन भी चालगा। इंको उपयोग आंपळा घरां मैं भी कर सकां छा। अर मुकान का डागळा यानी छत पै ही सौर ऊरजा की पलैटां लगवा सकां छा। खेती बाड़ी करबा कै लिया कोटी (कुआं) पै इंनै लगाबा कै लिये किसान भाई सरकारी योजना को लाभ भी ले सकै छः। कुल मिलार इं तावड़ा का धणी सुरज भगवान की आंपानै घणी जरुरत छः। तो कम पड़ती बिजळी नै देखता हुंया सुरज भगवान की पूजा कै साथ इंकी किरणा को उपयोग कर बिजळी भारी खपत नै रोक सकां छा। जय राम जी की।।
आर.एन.गौतम
राजस्थानी लेखक
गांव दयापुरा, चाकसू
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