पलासिया खुर्द के स्वतंत्रता सेनानी बाबूलाल राजपुरोहित को गृह जिले जालौर में मृत्यु उपरांत भी नहीं मिला सम्मान
एक आईना भारत /
सुमेरपुर में राजगुरु सर्कल आहोर में क्यों नहीं राजगुरु सर्कल ?
सुमेरपुर के पहले सरपंच बाबूलाल राजगुरु, 1949 में ग्रामीणों ने हाथ खड़े कर सर्वसम्मति से किया था
चुनाव
अगवरी पलासिया खुर्द निवासी स्वतंत्रता सेनानी लौह पुरुष बाबूलाल राजगुरु सुमेरपुर ग्राम पंचायत बनने के बाद लगातार वे चार बार सरपंच पद पर रहे।
1911 में हुआ था इनका जन्म
उनका जन्म सन 1911 में ग्राम पलासिया खुर्द जिला जालोर के मोतीसिंह राजपुरोहित के घर हुआ था। साधारण पढ़ाई-लिखाई के बाद उन्होंने पुस्तकों और स्टेशनरी की एक दुकान खोल ली। इससे उनका लोक संपर्क तो बढ़ा ही साथ ही विविध विषयों का ज्ञान भी बढ़ता गया। उन्होंने सन 1941 में सुमेरपुर साहित्य कुल की स्थापना की। सन 1955 में पाली जिला पत्रकार संघ के उपाध्यक्ष पद पर चुने गए थे एवं सन 1948 में उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा संघ सुमेरपुर की स्थापना की और संघ के प्रथम मंत्री चुने गए। उन्होंने 1949 में सर्वोदय वाचनालय की स्थापना की थी। सन् 1958 में राजगुरु दी सुमेरपुर को.ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी लिमिटेड के अध्यक्ष पद पर चुने गए। वे जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ता रहे एवं उपाध्यक्ष, मंत्री सहित कई पदों पर वर्षों तक रहे।
अपनी कलम के माध्यम से हमेशा आवाज बुलंद करते गए
स्वतंत्रा सेनानी बाबूलाल राजगुरु पेशे से पत्रकार का भी कार्य करते थे समय-समय पर उन्होंने अपनी कलम के माध्यम से अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करते गए जिसके कारण जनता में इनका मान सम्मान बढ़ता गया
गोकुलभाई भट्ट के विशेष करीबी भी रहे थे राजगुरु
राजस्थान के गांधी गोकुलभाई भट्ट के विशेष करीबी के रूप में भी बाबूलाल जाने जाते हैं अत्याचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के कारण गोकुलभाई भट्ट के साथ उन्हें भी सन 1937 में सिरोही से निष्कासित कर दिया गया था इन्होंने अपनी कलम के माध्यम से 27 पत्रों के साथ अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए समय-समय पर सरकार का ध्यान आकर्षण करते रहे
जवाई बांध रोड पर राजगुरु का स्मारक बना
: स्वतंत्रता सेनानी बाबूलाल राजगुरु के नाम से सुमेरपुर में जवाई बांध रोड पर राजगुरु सर्कल बनवाया गया। जोधपुर संभाग के स्वतंत्रता सेनानियों ने उनके पुत्र मंगलसिंह राजगुरु को उस वक्त कहा कि पूरा सुमेरपुर राजगुरु के स्मारक के रूप में पहचाना जाता है।
सुमेरपुर के पहले सरपंच व स्वतंत्रता सेनानी राजगुरू
सुमेरपुर ग्राम पंचायत के प्रथम सरपंच रहे राजगुरु
सुमेरपुर ग्राम पंचायत बनने पर सन 1949 में पहले ग्राम पंचायत चुनावों में ग्रामीणों ने सरपंच चुना था। ग्रामीणों ने हाथ खड़े कर मतदान किया था, क्योंकि उस समय वोटर लिस्ट नहीं थी। ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से राजगुरु को सुमेरपुर ग्राम पंचायत के प्रथम सरपंच चुना था। इसके बाद वे लगातार चार बार सरपंच पद पर काबिज रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सुमेरपुर में कई सरपंच सम्मेलन करवाते हुए एक आदर्श गांव के रूप में सुमेरपुर की पहचान राजस्थान में बनवाई। गरीबों के मसीहा के रूप में जाने जाते थे राजगुरु हमेशा हर वर्ग की मदद के लिए तत्पर रहते थे
प्रदेश भर में उठ रही है राजगुरु को सम्मान देने की मांग
स्वतंत्र सेनानी और सुमेरपुर के प्रथम सरपंच और पलासिया निवासी बाबूलाल राजगुरु के द्वारा अपने जीवन में किए गए कार्यों के कारण आज भी उनका नाम बड़े आदर्श के रूप में लिया जाता है जब सुमेरपुर में राजगुरु सर्कल बन गया तो आहोर में क्यों नहीं
पलासिया खुर्द निवासी समाजसेवी जितेंद्र सिंह राजपुरोहित पूर्व पंचायत समिति सदस्य संतोष सिंह राजपुरोहित विधि के छात्र किरण सिंह राजपुरोहित ने बताया कि बाबूलाल राजगुरु की प्रतिमा आहोर उपखंड कार्यालय या पंचायत समिति कार्यालय में स्थापित की जाए हर वर्ष उनकी पुण्यतिथि पूरे जालौर जिले में मनाई जाए तखतगढ़ मार्ग से पलासिया खुर्द तक के मार्ग का नाम बाबूलाल राजगुरु के नाम पर किया जाए पलासिया खुर्द स्थानीय विद्यालय का नाम स्वतंत्रता सेनानी बाबूलाल राजगुरु के नाम पर किया जाए इन को सम्मान दिलाने के लिए प्रदेश भर में जनप्रतिनिधियों और मुख्यमंत्री जी के नाम पर ज्ञापन दिए जाएंगे और इनको इनके गृह जिले में भी मान सम्मान दिलवाया जाएगा जिससे दूसरे लोग भी प्रेरणा ले
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