आखिर नेतरा के मनु का किसने किया अपहरण ? ?

आखिर नेतरा के मनु का किसने किया अपहरण  ?  ? 

अपहरणकर्ता ने चिट्ठी में मनोहर नहीं लिखकर मनु क्यों लिखा क्योंकि मनोहर को मनु सिर्फ घर वाले और गांव वाले ही कहते थे इसका मतलब कहीं ना कहीं अपहरणकर्ता मनोहर का परिचित भी हो सकता है  



  राजस्थान का इकलौता ऐसा केस, जिसमें 13 अफसराें की टीम जांच कर चुकी, नार्काे-लाई डिटेक्टर नाकाम,1 भी सुराग नहीं मिला कही बार आवाज 5 बार विधानसभा भी मे भी गूंजी दो बार राज्य सरकारें भी बदली मुख्यमंत्रीयो तक इस मामले मे हस्तक्षेप किया लेकिन नतीज़ा जीरो रहा

जब हम मंगल सुर्य ग्रहों की खोज कर सकते है जो जमीन से कोसों दूर है लेकिन धरती पर पिछले  4 वर्ष 3 माह से अपहृत मनोहर को ढूँढने नाकाम क्यों पुलिस प्रशासन ओर सरकार???

   मंत्री विधायक की भैंस और कुत्ते भी गम हो जाते हैं तो 24 घंटे में मिल जाते हैं तो आखिर मनु क्यों नहीं मिल रहा है   ? 



एक आईना भारत / भरतसिंह राजपुरोहित अगवरी

मनू के माता पिता अभी भी बेटे के वापस लौट आने की उम्मीद लगाकर बैठे हैं।

नवंबर 2016 काे फालना के काेचिंग सेंटर से रहस्यमयी गुमशुदगी, साढ़े 4 साल से यही सवाल नेतरा का मनू कहां है?

यह जिले का सबसे ओर राज्य का अनूठा केस है, जो साढ़े चार साल बाद भी रहस्य बना हुआ है। अपहरण-फिरौती के एंगल से जांच, 13 नामी पुलिस अफसराें की टीम की पड़ताल से लेकर नार्काे और लाई डिटेक्टर टेस्ट के बावजूद रहस्य खुला नहीं है। सुमेरपुर आहोर विधायक ने   विधानसभा में भी यह मामला उठाया है

सीबीआई जांच को लेकर

 सीबीआई जांच को लेकर सांसद विधायक सरपंच और सामाजिक संगठनों को मिलाकर पंद्रह सौ से ज्यादा पत्र मुख्यमंत्री को लिख चुके हैं और सब ने एक ही मांग की है कि इस केस को सीबीआई को सौंप दीजिए





यह मामला है जिले के सुमेरपुर के निकट नेतरा गांव के छात्र मनाेहर उर्फ मनू राजपुराेहित का। मनू 23 नवंबर, 2016 काे फालना के एक काेचिंग सेंटर से रहस्यमय ढंग से गायब हाे गया था। तब वह 15 का था। परिजनाें काे फिल्मी स्टाइल में सिलसिलेवार 6 बार फिराैती के पत्र मिल चुके हैं, जिसमें मनाेहर काे छाेड़ने की एवज में पहले 20 ताे बाद में 25 लाख रुपए की डिमांड की गई।

यह ताे साफ है कि मनाेहर काे किसी ने किडनैप किया था और फिराैती के रुपए नहीं मिलने पर उसे जान से मारने की धमकी दी थी। मगर अपहरणकर्ता काैन थे और उन्हाेंने फिराैती की रकम हासिल करने के बजाय परिजनाें काे इधर-उधर क्याें घुमाया। मनाेहर के साथ क्या किया हाेगा। यह सिर्फ भगवान ही जाने। बहरहाल, साढ़े चार साल बाद भी मनाेहर घर नहीं लाैटा और न ही उसके बारे में काेई सुराग मिल पाए हैं।

इन साढ़े चार साल में पुलिस ने मनाेहर काे ढूंढ़ने के लिए वाे सारे हथकंडे अपना लिए, जाे जिले में एक साथ पहले कभी इस्तेमाल नहीं किए। यानी संदेह के दायरे में आए लाेगाें का नार्काे टेस्ट कराया, लाई डिटेक्टर मशीन से गुजारा व पाेलीग्राफी टेस्ट कराया। संदिग्धाें के माेबाइल डाटा की एफएसएल से जांच कराई, काॅल रिकार्ड एनालिसिस कराया।

किडनेपर्स का पता लगाने अलग-अलग 14 बार जांच अधिकारियाें ने जाेर लगाया। इनमें तेज-तर्रार माने जाने वाले 7 एएसपी भी शामिल हैं। मगर इस बहुचर्चित केस में किडनैपर ताे दूर अब तक इस पहेली से भी पर्दा नहीं उठ पाया कि मनाेहर काे जमीन खा गई या आसमां निगल गया।

पहला पत्र : 20 लाख की फिरौती मांगी, यहीं से रहस्य और बढ़ गया

5 दिसंबर काे नेतरा गांव में घर के बाहर मनू का स्कूल बैग मिला, रजिस्टर और एक लिफाफा मिला। लिफाफे पर मनू के ताऊ रणजीतसिंह का नाम हुआ था, धमकी भरे खत में लिखा था- मैंने 1 दिसंबर, 2016 काे भी पत्र भेजा था जाे तुझे नहीं मिला।

अब 20 लाख रुपए तैयार कर उसमें 5 लाख के नए नाेट व 15 लाख के पुराने नाेट। 10 दिसंबर तक का समय है। पुलिस के पास गया ताे मनु मरा मिलेगा। सात दिसंबर के अखबार में गुमशुदगी छपवाना। होशियारी नहीं। 10 दिसंबर लास्ट है।

हुआ क्या: रणजीत सिंह ने यह जानकारी रिश्तेदार मांगू सिंह काे दी, जिसने कहा कि एक गाड़ी मनाेहर का स्कूल बैग घर के बाहर फेंक कर चली गई। हालांकि जांच में यह बात गलत निकली। पुलिस ने घर के बाहर गुप्त कैमरे लगाए, जिन्हें परिजनाें ने बताए बगैर शिफ्ट कर दिया।

दूसरा पत्र : काेचिंग सेंटर में मिला, फिरौती 5 लाख रु. और बढ़ा दी
12 दिसंबर, 2016 काे काेचिंग सेंटर के गेट के अंदर छात्र गाैरव काे मनू का एक और पत्र मिला। पत्र में लिखा था- मैंने पुलिस के पास जाने काे मना किया था, मगर तुम पुलिस के पास गए। तुम्हे मनू जिंदा नहीं चाहिए। मैंने मनू की एक अंगूली काट कर भेजी थी, लेकिन तेरे घर के बाहर से कुत्ता लेकर चला गया। तू जितना पुलिस से बात करेगा उतने उसके शरीर के टुकड़े करूंगा। अब 25 लाख रुपए 15 दिसंबर तक तैयार कर रखना। 5 लाख नए व 20 लाख पुराने नाेट। और पत्र मिलने की सूचना 14 दिसंबर को इश्तिहार देकर करना। यह आखिरी माैका है।

हुआ क्या: परिजनाें ने इश्तिहार छपवाया। पुलिस भी सतर्क हाे गई और गांव में मुखबिर 24 घंटे तैनात किए। हालांकि आरोपियों ने यह नहीं बताया कि फिराैती का पैसा किसे और कहां देना है। और मामला यहीं अटक गया।

तीसरा पत्र:हाेशियारी मत करना, हर हरकत की जानकारी है मुझे
16 दिसंबर काे काेचिंग सेंटर के मालिक ओम सिंह काे मनू का एक और रजिस्टर मिला, जिसमें धमकी भरा खत था। लिखा था- रणजी सिंह (मनू के ताऊ) काे यहीं बुला। पैसे बैग में लेकर साथ में इसे भी ले ले। दाेनाें यहां से पैसे लेकर रवाना हाे जाओ। तेरी हर हरकत की जानकारी मुझे है। कैमरे लगा कर हटाना या पुलिस के पास जाना, सब मुझे पता है। तेरी हर हरकत मनू काे नुकसान देगी। जाेधपुर आज रात 12 बजे से पहले पहुंचाे, सूरजपाेल। हाेशियारी मत करना। पाली से पैसाें वाला बैग नया ले लेना।

हुआ क्या: रणजीतसिंह, ओमसिंह, मांगूसिंह व महेश शर्मा रात 12 बजे जाेधपुर में मेहरानगढ़ स्थित सूरजपाेल पहुंचे। सिविल ड्रेस में पुलिस भी आसपास में सक्रिय थी। अपहरणकर्ता नहीं पहुंचे। परिजनाें ने 12 व 16 दिसंबर वाले धमकी भरे पत्र पुलिस काे साैंप दिए।

चौथा पत्र : खिलाने के पैसे नहीं बचे, पैसे दे दे, वरना लाश मिलेगी
30 दिसंबर, 2016 काे काेचिंग सेंटर के निकट अंकुर मेडिकल स्टाेर के नाैकर काे लिफाफा मिला, जिस पर एडुकाे, ओमजी लिखा हुआ था। खत में लिखा था- मेरे पास अब लड़के काे खिलाने के पैसे खत्म हाे गए हैं। फिर तुझे भी पता है कि मैं क्या करूंगा। तेरा लड़का अभी जिंदा है। बिना चालाकी के पैसे दे दे और अगले दिन तुझे तेरा बच्चा सही सलामत मिल जाएगा। ये तेरे लिए आखिरी चिट्ठी है। रविवार काे 12 बजे तक 25 लाख रुपए के नए नाेट बिना किसी चालाकी के तैयार रख, वरना इस बार मेरा वादा रहा तुझे मनू की लाश मिलेगी।

हुआ क्या: पुलिस ने छानबीन की, लेकिन काेई नई बात सामने नहीं आई। पुलिस ने प्लान भी बनाया, लेकिन आरोपियों ने यह नहीं बताया था कि पैसे कहां और किसकाे देने हैं। काेचिंग सेंटर के आसपास मुखबिर को भी सक्रिय कर दिया गया था, लेकिन यहां कोई हलचल नहीं दिखी।

वह आखिरी बार 23 नवंबर को दिखा था

मनाेहर फालना में एडुकाे काेचिंग क्लास में पढ़ता था। स्कूल में अवकाश होने से 23 नवंबर, 2016 काे सुबह 11.30 बजे घर जाने के लिए स्कूल से निकला, उसके बाद से गायब है। अंतिम बार सहपाठी ने एक गली में जाता हुआ देखा था।

5वां पत्र : काेचिंग वाले को लिखा- 25 लाख रु. लेकर फालना आना है
17 जनवरी काे एडुकाे काेचिंग सेंटर संचालक ओम सिंह काे बाइक के साइड स्टैंड के पास लिफाफा मिला। लिखा था- रणजीतसिंह काे आज रात 8 बजे तक 25 लाख रुपए लेकर फालना आना है। ओमसिंह ने रणजीतसिंह काे बताई ताे रणजीतसिंह व रिश्तेदार मांगू सिंह जाेधपुर से कार लेकर सुमेरपुर आए। सुमेरपुर में रुपयाें की व्यवस्था कर दाेनाें नेतरा में तत्कालीन भाजपा जिला अध्यक्ष करण सिंह से सलाह लेने गए। करणसिंह ने सांडेराव में अपने परिचित से व्यवस्था कराई। रणजीत सिंह व मांगू सिंह कार लेकर रात करीब 8.30 बजे फालना में काेचिंग सेंटर संचालक के पास पहुंचे।

हुआ क्या: पांचवें खत के बारे में भाजपा नेता करण सिंह ने अफसराें काे बता दिया। सादा कपड़ाें में पुलिस काे अलग गाड़ियाें में फालना रवाना कराया। भाजपा नेता अपनी कार से गए थे, जिसकी जानकारी रणजीतसिंह काे थी। मगर काेई हलचल नहीं हुई।

छठा पत्र: आखिरी खत भी काेचिंग सेंटर में, मारवाड़ जंक्शन बुलाया
17 जनवरी की रात 10.15 बजे काेचिंग सेंटर में संचालक ओम सिंह के साथ रणजीत सिंह व मांगू सिंह चिट्ठी मिलने वाली जगह पर थे। मांगू सिंह काे एक खत मिला, लिखा था- रणजीत सिंह और ओम सिंह ट्रेन से मारवाड़ जंक्शन आ जाओ। एस-2 काेच के सीट नंबर 5 के नीचे चिट्ठी मिलेगी। सब ठीक रहा ताे मारवाड़ जंक्शन पूछताछ के पास अगला संदेश मिलेगा।

हुआ क्या: रणजीत सिंह, मांगू सिंह व ओम सिंह फालना स्टेशन पर पहुंचे। मांगू सिंह व ओम सिंह टिकट लेने गया ताे रणजीतसिंह ने एक जगह पहले से ही खड़े भाजपा नेता काे वह पत्र दिखाया, जिन्हाेंने अपने माेबाइल से पत्र का फाेटाे खिंच और पुलिस को भेज दिया। सादा वस्त्राें में पुलिस ट्रेन में चढ़ गई। ओम सिंह ने रणजीत से कहा-क्या तुमने पुलिस काे बुलाया है? उधर न तो चिट्ठी मिली न ही पूछताछ केंद्र के पास काेई संदिग्ध दिखा। दाेनाें देर गांव लाैट गए।

घर, परिवार काे अब भी इंतजार

नेतरा में इस घर, मां-बाप और 2 बहनों को अब भी उम्मीद है कि हमारा मनू एक दिन लौट आएगा। इस लड़ाई में   सतीश कौम के लोग शामिल हो गए हैं   


अखिल भारतीय राजपुरोहित समाज संघर्ष समिति लगातार पिछले 3 महीनों से मुख्यमंत्री कार्यालय और गांव गांव ढाणी ढाणी घूम कर मनोहर के परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष कर रही है इस संघर्ष समिति ने इस मुहिम में एक नई जान फूंकी हैं नहीं तो इस मामले में सभी लोग हार मान कर बैठ गए थे और सभी ने उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन जब संघर्ष समिति मैदान में आई तब धीरे-धीरे इस आंदोलन की ज्वाला पूरे भारतवर्ष में फैल गई  विदेशों से भी प्रवासियों का भी समर्थन मिल रहा है मार्च महीने में संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच के लिए करेगा मुलाकात
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