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मारवाड़ री धरती में गर्मी री मोटी आक्सीजन सिलेंडर न इम्यूनिटी री ख़ज़ान है खेजड़ी री प्यारी सांगरी, ग्रीष्म ऋतु री फल घो या सब्जी पण है घणी प्यारी आ सांगरी

मारवाड़ री धरती में गर्मी री मोटी आक्सीजन सिलेंडर न इम्यूनिटी री ख़ज़ान है खेजड़ी री प्यारी सांगरी, ग्रीष्म ऋतु री फल घो या सब्जी पण है घणी प्यारी आ सांगरी

गर्मी के शुरु होते ही खेजड़ी पर छाने लगी सांगरी, तपते खेतों के बीच लदी सांगरी ग्रामीणों को दे रही है रोज़गार 

एक आईना भारत / 



सांचोर ।  ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों ग्रीष्म कालीन सब्जी सांगरी की बहार छाई हुई है। सांगरी नामक सब्जी का नाम आते ही जेहन में आती है एक झाड़ीनुमा पौधे की तस्वीर। इन दिनों ग्रामीण अंचलों में हाथों में थैलियां लिए बच्चे खेजड़ी के पेड़ के छाँव मे सांगरी बीनते नजर आ रहे हैं और इतना ही नहीं ये काम इन्हें अच्छी खासी मजदूरी भी दिला रहे हैं।

०बिनने में लगती है पुरे दिन की मेहनत-
सांगरी बीनने वाले ग्रामीणों ने बताया कि दिनभर की कड़ी मेहनत के बाद वे कच्ची सांगरी चुनकर बाजार में ले आते हैं। जिनका भाव 200 से 300 रुपए प्रति किलोग्राम तक बेचते हैं। वहीं इस सब्जी के फायदे भी कम नहीं है। बुजुर्गों ने बताया कि केर - सांगरी की सब्जी खाने से पेट का हाजमा ठीक रहता है। वहीं केर का अचार बनाने के बाद कई दिनों तक काम में लिया जा सकता है।

०ऐसे बनाते हैं केर सांगरी की सब्ज़ी-
केर सांगरी की सब्जी बनाने की विधि भी अलग है। जानकारी के अनुसार केर सांगरी की सब्जी को अच्छी तरह से धोने के बाद कूटा जाता हैं तथा तेल में इसे पकाया जाता है। उसके बाद इस सब्जी को काफी समय तक काम में लिया जा सकता है। पुराने जमाने में मारवाड़ में पानी की कमी होती थी उस समय तत्कालीन ग्रामीण केर, सांगरी, कुमट, ग्वारफली को सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते थे। वहीं इसका दूसरा फायदा यह रहता है कि इनको सुखाकर काफी समय तक काम में लिया जा सकता है।

०प्रवास में है भारी माँग-
रेगिस्तानी इलाके में उगने वाली कैर, सांगरी, कुमटिया, काचरी की मांग अप्रवासी राजस्थानी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल सहित कई राज्यों विदेशों में भी मारवाड़ से मंगवा रहे हैं। वहां पर इनकी जबरदस्त मांग है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मारवाड़ में कैर की झाड़ सांगरी खेजड़ी के वृक्ष पर पैदा होती है। इस पर तेज बरसात का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वहीं सूखी ग्वार फली को ग्वार की हरी फली को सुखाकर सहेजा जाता है ।

०नई पीढ़ी की रुची कम-
कैर, कूमटिया, सूखी ग्वार फली,सूखी काचरी सांगरी से मारवाड़ की नई पीढ़ी का रुझान कम होता जा रहा है। इसके कारण मारवाड़ क्षेत्र के घरों में अब इसकी सब्जी अचार नाम मात्र के बनते हैं। ग्रामीण अंचल में बुजुर्ग आज भी इस सब्जी का उपयोग करते हैं। इसका एक कारण आर्थिक भी है। अधिकतर स्थानीय लोग खुद इन सब्जियों को सहेजने में रूचि नहीं दिखाते, क्योंकि इतने समय में वे अन्य काम में अधिक कमाई कर सकते हैं।

०इनका कहना...
ग्रामीण क्षेत्र में राज्य कल्प वृक्ष खेजड़ी पर सांगरी आनी शुरु हो गई  हैं हालाँकि अबकी बार खेजड़ी पर गंठुड ज्यादा लगे हैं व सांगरी कम मात्रा में हैं अभी अभी गर्मी की सीजन शुरु हुई हैं तो सांगरी लगनी शुरुआत हुआ हैं बच्चे, महिलाएं बीनते नजर आ रहे हैं कुछ लोगों के ये सांगरी आर्थिक मजबुती का जरिया बनती हैं।  

अनिल खिलेरी 
रक्त कोष फाउंडेशन ब्लॉक प्रभारी सरनाऊ

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