करूणा, त्याग और प्रेम के प्रणेता गुरू तेग बहादुर - महामण्डलेश्वर
नागौर । विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय में सिखों के नौवें गुरू, गुरू तेग बहादुर सिंह की जयंती के उपलक्ष में महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में शोभायात्रा निकाली गई गो चिकित्सालय के व्यवस्थापक श्रवणराम बिश्नोई ने बताया कि इस कार्यक्रम के दौरान कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए सर्वप्रथम गुरू तेग बहादुर सिंह चित्रपट के समक्ष पुष्प एवं पुष्पमाला अर्पित की गई, गो चिकित्सालय के परिक्रमा मार्ग में महिला-पुरूषों ने मास्क लगाकर एवं सामाजिक दूरी बनाकर शोभायात्रा निकालकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। साथ ही पंजाब से आये सरबजीतसिंह गील द्वारा अरदास कर सिख ग्रन्थ का प्रकाशन कर गुरूवाणी का पाठ किया गया। महामण्डलेवर ने बताया कि गुरू तेग बहादुर सिंह एक क्रांतिकारी युग पुरूष थे। इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शो एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरू तेग बहादुर का स्थान अद्वितीय है। गुरू तेग बहादुर सिंह सिखों के नौवें गुरू थे, इन्होंने गुरूवाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ शस्त्रों तथा घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की। मात्र 14 वर्ष की आयु में मुगलोें के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया।
शस्त्र और शास्त्र, संघर्ष और वैराग्य, लौकिक और अलौकिक, रणनीति और आचार-नीति, राजनीति और कूटनीति, संग्रह और त्याग आदि का ऐसा संयोग मध्ययुगीन साहित्य व इतिहास में बिरला है। गुरू तेग बहादुर सिंह ने धर्म की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया और सही अर्थो में 'हिन्द की चादर' कहलाए। गुरू तेग बहादुर सिंह में ईश्वरीय निष्ठा के साथ समता, करूणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे मानवीय गुण विद्यमान थे इस कार्यक्रम के दौरान पंजाब से आये गुरू सरणसिंह, बंटीसिंह, गुरजीतसिंह, गुरदीपसिंह,संदीपसिंह, सरणसिंह, सुखदीप कौर, हरप्रीतसिंह, परमजीतसिंह ने भाग लिया
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