कोरोना में ब्लैक फंगस या म्यूकार्मिकोसिस की मार , कोरोना से रिकवर होने पर चिकित्सक से परामर्श लें






कोरोना में ब्लैक फंगस या म्यूकार्मिकोसिस की मार , कोरोना से रिकवर होने पर चिकित्सक से परामर्श लें 

जालोर कोरोना  संक्रमण के बीच म्यूकोर्मिकोसिस का संकट गहराने लगा है। म्यूकोर्मिकोसिस एक फंगल संक्रमण है, यह संक्रमण उन लोगो को ज्यादा प्रभावित करता है जो अन्य किसी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है एवं उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. गजेन्द्र सिंह देवल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बीच ब्लैक फंगस एवं गंभीर समस्या है। राज्य सरकार की ओर से ब्लैक फंगस को भी सम्पूर्ण राज्य में महामारी घोषित किया गया है। इस रोग में काले रंग की फंगस नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उन्हे नष्ट कर रहा है और मरीजों की जान पर बन रही है। यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस चला जाता है तो साइनस या फेफडें को प्रभावित करता है।
*लक्षण*
सीएमएचओ डा. देवल ने बताया कि  ब्लैक फंगस के कारण आंख व नाक में दर्द, आंख के चारों और लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबडे की हड्डी में दर्द, चेहरे में एक तरफ सुजन, नाक तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतो का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, सांस की तकलीफ, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आदि लक्षण दिखाई दे तो तुरन्त चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। दरअसल म्यूकार्मिकोसिस हमारे माथे, नाम, चैक बोन्स के पीछे और आंखो, दातों के बीच स्थित एयर पाॅकेट्स में त्वचा के संक्रमण के रूप में प्रकट होने लगता है। डा. गजानंद शर्मा ईएनटी विशेषज्ञ जिला अस्पताल ने बताया कि कोविड 19 संक्रमित रोगी जिनकी इम्यूनिटी कम है, उन लोगो में ब्लैक फंगस संक्रमण की संभावना अधिक होती है, यह बे्रन, नाक, आंख, हड्डीयों आदि में हो सकता है। नाक की निरंतर सफाई रखें। ब्लैक फंगस संक्रमण नाक से फैलता हुआ, आंख की तरफ से दिमाग तक पंहुच जाता है, तब यह ज्यादा खतरनाक साबित होता है। शुरुआत में इसकी सर्जरी के द्वारा तथा इम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन द्वारा इसका उपचार किया जा सकता है।  इसलिये कोरोना से रिकवर होने के बाद चिकित्सक परामर्श अवश्य लें। डा. विजय कुमार मीणा, फिजिशियन जिला अस्पताल ने बताया कोरोना से ठीक होने के लिये कई रोगी बिना चिकित्सक की सलाह के स्टीराॅयड दवाईयों का सेवन कर रहे है। ऐसे मे चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही स्टीराॅयड दवाईयों का सेवन करे। साथ ही जो रोगी मधुमेह रोग से ग्रसित है उन्हे शुगर लेवल को नियंत्रित रखना चाहिए और जिन रोगीयों के आॅक्सीजन लगी हुई है तो आॅक्सीजन सिलंेडर के साथ लगी एक बोतल की निरंतर साफ सफाई करनी चाहिए। आॅक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्युमिडिफायर बोतल के लिये स्वच्छ साफ पानी का उपयोग होना चाहिए।
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