श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्री कृष्ण स्वरूप है- देवी ममता


श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्री कृष्ण स्वरूप है- देवी ममता

ब्रह्मा उत्पत्ति व ध्रुव महाराज की सजी मनमोहक झांकियां

जब तक ज्ञान को व्यवहार में नहीं लाते हैं तब तक ज्ञान व्यर्थ है - महामण्डलेश्वर
 
मरुधर आईना / नागौर 

नागौर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, नागौर में हनुमान बेनीवाल ग्राम राबड़ियाद द्वारा आयोजित महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में द्वितीय दिवस की कथा में देवी ममता ने महाराज परीक्षित के जीवन चरित्र, सुखदेव जी का वृतान्त और कलयुग व महाराज परीक्षित के बिच संवाद, कलयुग का आगमन व भगवान ब्रह्मजी कि उत्पति के बारे में विस्तार से बताया। भगवान कपिल अवतार का प्रसंग बताते हुए भगवान के विभिन्न अवतारों की कथा सुनायी जिसमें भगवान ध्रुव महाराज का संक्षिप्त वृतान्त सुनाया। देवीजी ने बताया कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नहीं साक्षात श्री कृष्ण स्वरूप है। उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त से त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे भागवत कहते है।
  जसवंतगढ़ की प्रसिद्ध झांकी टीम द्वारा भगवान नारायण के नाभि कमल से ब्रह्माजी का प्राकट्य व ध्रुव महाराज की सुंदर मनमोहक सजीव झांकियों का प्रस्तुतिकरण दिया गया। कथा के मध्य मुम्बई से पधारे सुप्रसिद्ध गायक कलाकार रवी त्रिवेदी ने गुरु वंदना भजन की प्रस्तुति दी।
कथा के दौरान महामण्डलेश्वर ने  'संजीवनी विधा' का प्रसंग सुनाया इस दौरान प्रकाश जैन, तेजसिंह राजपुरोहित, पुनीत शर्मा,गौरव शर्मा,जगदीश शर्मा,हुकमसिंह जोधा ने गोहितार्थ सहयोग किया इन सभी को व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। लाइव कथा के दौरान ओमप्रकाश गोदारा,संजय बाफना, संपतलाल भूतड़ा, देवाराम जांदू, सीताराम शर्मा, मयूर रोड़वेज इत्यादि गोभक्तों ने देश के अलग-अलग कोने से गोहितार्थ ऑनलाइन सहयोग किया। कथा में पंजाब से पधारे संत इन्द्रजीतसिंह, संत गोविंदराम महाराज, संत ताजाराम महाराज व कथा आयोजनकर्ता हनुमान बेनीवाल अपने परिवार सहित उपस्थित रहे।
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