कृष्ण सुदामा जैसी मित्रता वर्तमान में है दुर्लभ- देवी ममता

कृष्ण सुदामा जैसी मित्रता वर्तमान में है दुर्लभ- देवी ममता  

बिश्नोई परिवार ने भरा 1 लाख 1 हजार रुपये का प्रथम मायरा, गौशाला के भूतपूर्व व वर्तमान कर्मचारियों ने भरा 1 लाख 51 हजार का दूसरा मायरा, झोली में आये 51 हजार रुपये  

त्रिवेणी संगम की भागवत कथा समस्त पापों को तारने वाली होती है-संत रामप्रकाश महाराज
 
मरुधर आईना 

नागौर।  गो चिकित्सालय, नागौर मे गोरक्षक स्व. राजाराम बिश्नोई की पुण्य स्मृति में चल रही भागवत कथा में कथा वाचिका देवी ममता ने सुदामा चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि संसार में मित्रता श्री कृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए।
देवीजी ने बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। 'पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल से पग धोए'। अर्थात श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा के आगमन पर उनके पैर धोने के लिए पानी मंगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा को देखकर इतना दुख हुआ है कि प्रभु के आंसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर वे एक दुसरे को भूल जाते है। जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। भगवान से बनाया गया रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाता है।
उन्होंने बताया कि स्वाभिमानी सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया। सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गये।  प्रसंगानुसार जसवंतगढ़ की प्रसिद्ध झांकी टीम द्वारा 'कृष्ण सुदामा मिलन' व  'शिव भक्त महर्षि मार्केंडय' की दिव्य सजीव झांकी का प्रस्तुतिकरण दिया गया।
कथा के मध्य महामण्डलेश्वर ने विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय जोधपुर में लखारा परिवार द्वारा आयोजित होने वाली 16 दिसम्बर को सात दिवसीय भागवत कथा के पोस्टर का मंच पर विमोचन किया। कथा के दौरान उन्होंने 'स्वामी भक्त तोते' का प्रसंग सुनाया। कथा के मध्य जोधपुर से पधारे संत रामप्रकाश महाराज ने अपने आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए कहा कि ऐसी त्रिवेणी संगम की भागवत कथा का संयोग बहुत कम ही देखने को मिलता है क्योंकि एक गोलोक महातीर्थ, दुसरा महामण्डलेश्वर का सानिध्य और तीसरा श्रीमद् भागवत कथा, ऐसी त्रिवेणी संगम की भागवत कथा जीवन के समस्त पापों से मुक्त करने वाली होती है और मोक्षदायनी होती है।
 कथा प्रभारी श्रवण सेन ने बताया कि कथा विश्राम दिवस पर रामस्वरूप बिश्नोई ने परिवार सहित पीड़ित गोवंश हितार्थ 1 लाख 1 हजार का प्रथम मायरा भरा। दुसरा मायरा गो चिकित्सालय के कमठा टीम, कलर, बेल्डिंग, दूध वाले, मेडिकल स्टोर, कथा टीम, रसोई कर्मचारी, टेन्ट कर्मचारी, टांकला टोल, लाईव प्रसारण टीम, भूतपूर्व स्टाफ व राजाराम के मित्रों द्वारा 1 लाख 51 हजार का गोहितार्थ मायरा भरा गया। कथा विश्राम दिवस पर गोदान हेतु झोली फेरायी गयी जिसमें 51 हजार से अधिक राशि का सहयोग आया। मुकेश जैन, पुखराज नाहर, ओमप्रकाश पारीक, देवाराम गहलोत, मोहनलाल माली, राजेश टेलर, भंवरलाल धुंधवाल, अर्जुनराम मेघवाल, अनंतलाल भूतड़ा, सायरी बाई सहित अनेक दानदाताओं ने गोहितार्थ सहयोग किया। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। अंतिम दिन की कथा में संत गोविंदराम महाराज, संत गिरधारीराम महाराज, संत रामप्रकाश महाराज, संत भोलाराम महाराज, संत रमताराम महाराज, संत शंकरराम महाराज, संत श्यामदास महाराज उपस्थित रहे। 
और नया पुराने