जीवात्मा और परमात्मा के मिलन की लीला ही महारास है- देवी ममता

जीवात्मा और परमात्मा के मिलन की लीला ही महारास है- देवी ममता

बाबुलाल बिश्नोई व गो चिकित्सालय के कर्मचारियों ने कथा में 51-51 हजार रुपये का भरा मायरा

 कथा में पूज्य संत चेतनगिरी व फूले संस्थान के अध्यक्ष मोतीबाबा का हुआ आगमन

मरुधर आईना 

नागौर।  गो चिकित्सालय, नागौर में गोरक्षक स्व. राजाराम बिश्नोई की पुण्य स्मृति में आयोजित महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में गोहितार्थ श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम् दिवस की कथा सुनाते हुए कथा वाचिका देवी ममता ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ऐसी मधुर बांसुरी बजाते थे, जिसकी धुन सुनकर ब्रज की सभी गोपिया अपना कार्य बीच में छोड़कर उनकी तरफ खिची चली आती थी। देवीजी ने गोपी शब्द पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जिन गोपियों के साथ भगवान ने महारास किया है वे गोपी कोई स्त्री या पुरुष नहीं है। गोपी तो एक भाव है, जिसका प्रत्येक इंद्रिय एवं रोम-रोम परमात्मा को समर्पित है। परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण भाव को ही गोपी कहते हैं। जिसका रोम-रोम गोविंद के लिए तरसती, तड़पती व चिंतन करती है। जो दिन रात प्रभु की याद में खोया रहता है वही गोपी है। जीवात्मा एवं परमात्मा का अद्भुत मिलन ही महारास लीला है।
देवीजी ने बताया कि शरद पूर्णिमा को धवल रात्रि में भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला की थी। उन्होंने कहा रास को श्रवण करने के लिए बुद्धि नहीं हृदय की आवश्यकता होती है। भोले बाबा भी गोपी बनकर महारास लीला में प्रवेश किया भगवान कृष्ण उन्हें गोपी के रूप में देखकर बहुत प्रसन्न हुए। रास में गोपी रूप धरने के कारण महादेव गोपेश्वर कहलाए।
तत्पश्चात् कथा वाचिका ने श्री कृष्ण का रुक्मणी के साथ विवाह का सुन्दर चरित्र-चित्रण किया। कथा के दौरान 'गोपियों के साथ रासलीला' व  'रुकमणी कृष्ण विवाह' की दिव्य सजीव झांकियों को दर्शाया गया। महारास के दौरान महिलाओं और पुरुषों ने कृष्ण भजनों पर डांडिया नृत्य कर आनंद उठाया। भगवान श्री कृष्ण व रुक्मणी के विवाह की झांकी को देखने के लिए श्रद्धालु लालायित नजर आये। कथा के मुख्य यजमान दीपचंद सांखला उनकी धर्मपत्नी संगीता बने।
 
महामण्डलेश्वर ने कथा के दौरान आध्यात्मिक प्रवचन दिए। इसके पश्चात गो चिकित्सालय में 3 माह का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके 5 पशु कम्पाउण्डरों को मंच पर अनुभव प्रमाण पत्र देकर सह सम्मान विदाई दी गयी। कथा के मध्य सोजत पाली से पूज्य संत चेतनगिरी महाराज व ब्रह्मचारी संत विनय महाराज का आगमन हुआ। संत चेतनगिरी महाराज ने आध्यात्मिक प्रवचन दिए।
जिसमें भागवत कथा जिसकी अधोगति हुई है उसकी गति करवाने के लिए अर्थात् कल्याण करवाने के लिए भी भागवत और जो प्रेत बना हुआ है उसका कल्याण करवाने के लिए और जो दुनिया में नहीं है उसका भी कल्याण करवाने के लिए भी भागवत करवाना चाहिए, इस प्रकार संत ने तीन बातें बताई।
 कथा के दौरान महात्मा ज्योतिबा फूले राष्ट्रीय जागृति मंच के संस्थापक व अखिल भारतीय फूले संस्थान के अध्यक्ष मोतीबाबा फुले सैनी मोतीलाल सांखला का भी आगमन हुआ। उन्होंने गोहितार्थ सुन्दर सहयोग किया। तत्पश्चात् उन्होंने नन्दा कामधेनू की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया।
 
कथा प्रभारी श्रवण सेन ने बताया कि कथा के छठे दिन नागौर व जोधपुर शाखा की ड्राईवर टीम, पशु पक्षी रिकॉर्ड टीम व प्याऊ कर्मचारियों ने मिलकर 51 हजार रुपये का गोवंश हितार्थ मायरा भरा। इसी दौरान गोभक्त बाबूलाल बिश्नोई ने 51 हजार रुपये ऑनलाइन भेजकर गोहितार्थ मायरा भरा। श्यामा देवी ने पीड़ित गोवंश हितार्थ 1 सब्जी की गाड़ी भेजकर सहयोग किया। मदनलाल कुमावत, संजय शाह, दीपक शाह, रूपाराम मेघवाल, सरिता बिश्नोई, महिला मित्र मंडली सरासनी, जनत कंवर, राजेश चाण्डक, सरबजीतसिंह सहित अनेक दानदाताओं ने गोहितार्थ सहयोग किया। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। 
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