मेरी बेटी मौत के मुंह में है। कोई उसे बचा लाओ। प्लीज..., कोई तो उसे बचाओ। उसकी जिंदगी खतरे में है। हर ओर गोलीबारी हो रही है। बम के धमाकों से पूरा इलाका थर्रा रहा है। अफरा-तफरी का माहौल है। पता नहीं, मेरी बेटी किस हाल में होगी। कोई तो उसे बचा लाओ... कहते-कहते अचानक से संतोष की आवाज बंद हो जाती है। घर वाले पानी का गिलास देते हैं। कांपते हाथ से गिलास को अपने होंठ तक ले जाती हैं। एक घूंट पानी पीने के बाद फिर गिलास रख देती हैं और आसपास खड़े परिजनों की ओर सवाल भरी निगाहों से देख रही हैं। बेटा तन्मय आश्वस्त करता है कि दीदी (नेहा) बिल्कुल ठीक है। आप फिक्र मत करो। पति नरेश भाटी भी समझाने में जुटे हैं। पर संतोष को किसी की बात पर यकीन नहीं है। उन्हें तो बस अपनी बेटी की चिंता है।
जोधपुर की बेटी कीव में फंसी
जोधपुर के पावटा इलाके में कॉस्मेटिक कारोबारी नरेश भाटी के घर आने-जाने वालों का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा। उनके नाते-रिश्तेदार, शुभचिंतक हर कोई उनको भरोसा दिला रहा है। आश्वासन दे रहा है कि उनकी बेटी नेहा ठीक है। जल्दी आ जाएगी। जिस नेहा को बचपन में हल्की चोट लग जाती थी तो उसकी मां का कलेजा मुंह को आ जाता था। पिता नरेश दौड़ पड़ते थे। वही बेटी इस समय यूक्रेन के कीव में फंसी है। डॉक्टरी की पढ़ाई करने वह 3 साल पहले कीव गई थी। वहां के तरस वचन नेशनल यूनिवर्सिटी में MBBS फाइनल ईयर की स्टूडेंट है। सोचा था कि पढ़ाई पूरी कर इंडिया लौट जाएगी। पर भगवान को शायद कुछ ही मंजूर था। पढ़ाई पूरी होने से पहले युद्ध छिड़ गया।
हर आधे घंटे में कॉल
यूक्रेन-रूस में जंग की दहशत भारत तक है। कुछ स्टूडेंट लौट चुके हैं तो कुछ युद्ध के हालात में फंसे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे जल्द अपने घर लौटेंंगे। वहां हो रही बमबारी और बार-बार बजते सायरन से पेरेंट्स परेशान हैं। उनके बच्चे वहां फंसे हैं। हाथ में बच्चों की फोटो लिए टीवी से नजर नहीं हट रही है। हर 30 मिनट में अपने कलेजे के टुकड़े को कॉल कर हाल-चाल पूछ रहे हैं। फोन नहीं लगता है तो चिंता के मारे दम निकलने लगता है। अन्य पेरेंट्स की तरह नेहा के भी पेरेंट्स का हाल कुछ ऐसा ही है। पिता नरेश भाटी का कॉस्मेटिक का बिजनेस है। मां संतोष भी बिजनेस संभालती हैं। बेटी की चिंता में मां के आंसू नहीं रुक रहे हैं। दोनों पावटा इलाके में रहते हैं और यहीं इनकी शॉप भी है।
पता है, वह मुसीबत में है
मां संतोष ने बताया कि आज वो मौत के मुंह में है तो कैसे उसके बिना रह सकती हूं। बेटी फोन पर कहती रहती है कि मम्मी-पापा आप चिंता मत करो। लेकिन, हमें पता है। वह मुसीबत में है। उसका दम घुट रहा है। एक बंकर में उसके साथ दूसरे स्टूडेंट है। न उसे ढंग से खाना मिल रहा है, न ही पानी। दहशत के माहौल में बच्चे हैं।
मां-बाप ने खाना-पीना छोड़ा
नेहा ने एक दिन पहले दैनिक भास्कर रिपोर्टर से बातचीत कर वहां के हालात के बारे में बताया था। गुहार लगाई थी कि उसे वहां से निकाला जाए। इधर, मां-बाप के साथ पूरा परिवार चिंता में है। मां, बेटी की चिंता में खाना-पीना छोड़ चुकी है। घर में सभी की चिंता बढ़ गई है।
भाई ने छेड़ा सोशल मीडिया कैंपेन
नेहा का छोटा भाई तन्मय भी अपनी बहन को भारत लाने के लिए प्रयास कर रहा है। सोशल मीडिया के जरिए वह लगातार अपनी बहन के कॉन्टैक्ट में है। तन्मय ने बताया कि उसकी दीदी से बात हुई थी। दीदी ने बताया कि हालात अच्छे नहीं हैं। दीदी की फ्रेंड भी परेशान है। परिवार के लोगों का कहना है कि स्थानीय लोग कोई मदद नहीं कर रहे हैं। नेहा के अलावा उनकी दोस्त आयुषी, खुशी और दिव्या भी साथ हैं।