3 हजार की आबादी वाले गांव में रोज आते सिर्फ 2 टैंकर, कुएं में पानी डालते जुट जाती है ग्रामीणों की भीड़
3 हजार की आबादी वाले गांव में रोज आते सिर्फ 2 टैंकर, कुएं में पानी डालते जुट जाती है ग्रामीणों की भीड़
सोनाईलाखा गांव में पीने के पानी के लिए संघर्ष
पाली - गर्मी का मौसम आते ही पेयजल किल्लत की तस्वीरें, वीडियो सामने आना शुरू हो गए हैं। बात जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर आबाद सोनाईलाखा गांव की (रोहट) की करें तो यहां शनिवार को पीने के पानी के लिए तपती धूप में ग्रामीणों की मशक्कत की तस्वीर सामने आईं।
दोपहर के करीब 12 बज रहे थे। सोनाईलाखा में सड़क किनारे बने जीएलआर के निकट खुले टांके के लिए जलदाय विभाग रोहट का रोहट से पानी का टैंकर पहुंचा। टैंकर की आवाज के साथ एक घड़े पानी के लिए ग्रामीणों ने दौड़ लगा दी। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग हर कोई जैसे-तेसे साथ में लाए बर्तनों में पानी भरने की मशक्कत करते लगा। हालात यह है कि खुले टांके में टैंकर के पाइप से पानी गिरना शुरू होने के साथ ही टांके के इर्द गिर्द बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग डोलियों से रस्सी से पानी खींचकर जो भी बर्तन लाउ उसको भरने में जुट गए। यह नजारा पानी की कीमत बयां कर रहा था। साथ में जिम्मेदारों की पोल भी खोल रहा था। खुले टांके के इर्द गिर्द भीड़ में खड़े होकर डोली से पानी खींचने के दौरान धक्का लगने आदि से टांके में गिरने से जान जोखिम में आने की आशंका रहती है, लेकिन कर भी क्या सकते प्यास बुझाने के लिए जोखिम तो उठाना पड़ेगा। शायद यही सोचकर लोग बड़ी मशक्कत के बीच जैसे-तेसे पानी भरने में लगे रहे।
सोनाईलाखा गांव में पीने के पानी के लिए संघर्ष
पाली - गर्मी का मौसम आते ही पेयजल किल्लत की तस्वीरें, वीडियो सामने आना शुरू हो गए हैं। बात जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर आबाद सोनाईलाखा गांव की (रोहट) की करें तो यहां शनिवार को पीने के पानी के लिए तपती धूप में ग्रामीणों की मशक्कत की तस्वीर सामने आईं।
दोपहर के करीब 12 बज रहे थे। सोनाईलाखा में सड़क किनारे बने जीएलआर के निकट खुले टांके के लिए जलदाय विभाग रोहट का रोहट से पानी का टैंकर पहुंचा। टैंकर की आवाज के साथ एक घड़े पानी के लिए ग्रामीणों ने दौड़ लगा दी। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग हर कोई जैसे-तेसे साथ में लाए बर्तनों में पानी भरने की मशक्कत करते लगा। हालात यह है कि खुले टांके में टैंकर के पाइप से पानी गिरना शुरू होने के साथ ही टांके के इर्द गिर्द बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग डोलियों से रस्सी से पानी खींचकर जो भी बर्तन लाउ उसको भरने में जुट गए। यह नजारा पानी की कीमत बयां कर रहा था। साथ में जिम्मेदारों की पोल भी खोल रहा था। खुले टांके के इर्द गिर्द भीड़ में खड़े होकर डोली से पानी खींचने के दौरान धक्का लगने आदि से टांके में गिरने से जान जोखिम में आने की आशंका रहती है, लेकिन कर भी क्या सकते प्यास बुझाने के लिए जोखिम तो उठाना पड़ेगा। शायद यही सोचकर लोग बड़ी मशक्कत के बीच जैसे-तेसे पानी भरने में लगे रहे।
सांत ढाणिया राम भरोसे, नहीं है टैंकर व्यवस्था
इन हालातों को लेकर सरपंच महंत किशन भारती ने बताया कि पाइप लाइन से आपूर्ति लम्बे समय से बंद है। सोनाईलाखा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रोज टैंकर आते हैं। पहले मवेशियों के लिए अवाला में पानी भरते हैं। बचा हुआ पानी लोगों के लिए दो जगहों पर सार्वजनिक टांकों में खाली करते हैं। टैंकर वापस जाने के कुछ समय बाद ही टांका व अवाला खाली हो जाते थे।
उन्होंने बताया कि सोनाईलाखा की जनसंख्या साढ़े चार हजार के करीब व मवेशियों भेड़-बकरियों की संख्या 2 हजार के करीब है। ग्राम पंचायत क्षेत्र के साजी में दो टैंकर रोज आते हैं। यहां जनसंख्या 2 हजार से अधिक व एक हजार से अधिक मवेशी हैं। सज्जनपुरा में जनसंख्या 1500 के करीब है। मवेशी भी 1 हजार के करीब हैं। यहां 1 टैंकर प्रतिदिन आता है। राजपुरा व छापरिया में तीन दिन में एक बार टैंकर आता है। इन गांवों में तालाब सूखे हैं पीने लायक पानी नहीं है। सोनाईलाखा तालाब परिसर में बेरी व गड्ढों से थोड़ा बहुत पानी दिनभर व रात में भी लोग ले जाते हैं।
ग्राम पंचायत क्षेत्र के एक दो किलोमीटर की परिधि में सरगरों, स्वामियों की ढाणी, देवासियों की ढाणी, मेघवालों व मालियों की ढाणी, पटेल व तेलियों की ढाणी, दरगाह क्षेत्र में पानी के लिए न तो पाइप लाइन से आपूर्ति है न ही टैंकर व्यवस्था है। कम से कम सप्ताह में एक दिन टैंकर से पेयजल आपूर्ति के लिए रोहट एसडीएम व जलदाय विभाग के अधिकारियों को लिखित में भी दिया है। पेयजल किल्लत से मवेशियों की मौतें हो रही हैं।
इन हालातों को लेकर सरपंच महंत किशन भारती ने बताया कि पाइप लाइन से आपूर्ति लम्बे समय से बंद है। सोनाईलाखा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर रोज टैंकर आते हैं। पहले मवेशियों के लिए अवाला में पानी भरते हैं। बचा हुआ पानी लोगों के लिए दो जगहों पर सार्वजनिक टांकों में खाली करते हैं। टैंकर वापस जाने के कुछ समय बाद ही टांका व अवाला खाली हो जाते थे।
उन्होंने बताया कि सोनाईलाखा की जनसंख्या साढ़े चार हजार के करीब व मवेशियों भेड़-बकरियों की संख्या 2 हजार के करीब है। ग्राम पंचायत क्षेत्र के साजी में दो टैंकर रोज आते हैं। यहां जनसंख्या 2 हजार से अधिक व एक हजार से अधिक मवेशी हैं। सज्जनपुरा में जनसंख्या 1500 के करीब है। मवेशी भी 1 हजार के करीब हैं। यहां 1 टैंकर प्रतिदिन आता है। राजपुरा व छापरिया में तीन दिन में एक बार टैंकर आता है। इन गांवों में तालाब सूखे हैं पीने लायक पानी नहीं है। सोनाईलाखा तालाब परिसर में बेरी व गड्ढों से थोड़ा बहुत पानी दिनभर व रात में भी लोग ले जाते हैं।
ग्राम पंचायत क्षेत्र के एक दो किलोमीटर की परिधि में सरगरों, स्वामियों की ढाणी, देवासियों की ढाणी, मेघवालों व मालियों की ढाणी, पटेल व तेलियों की ढाणी, दरगाह क्षेत्र में पानी के लिए न तो पाइप लाइन से आपूर्ति है न ही टैंकर व्यवस्था है। कम से कम सप्ताह में एक दिन टैंकर से पेयजल आपूर्ति के लिए रोहट एसडीएम व जलदाय विभाग के अधिकारियों को लिखित में भी दिया है। पेयजल किल्लत से मवेशियों की मौतें हो रही हैं।
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