आसमान से आग के गोले गिरते देख लोग हैरान:पहले फाइटर प्लेन समझा, फिर गायब हो गए; नासा ने 5 ऐस्टरॉइड के गुजरने की भविष्यवाणी की थी
राजस्थान के उदयपुर, बांसवाड़ा सहित देश के कई हिस्सों में शनिवार शाम लगभग 7.45 बजे आसमान से कुछ गिरने के दृश्य दिखाई दिए। आसमान से टूटते तारों की तरह कुछ गिरता नजर आया। राजस्थान सहित देशभर के कई हिस्सों से इस तरह के नजारे दिखाई दिए। किसी ने इन्हें उल्कापिंड बताया तो किसी ने ऐस्टरॉइड तो किसी ने सैटेलाइट का टुकड़ा। हालांकि नासा ने एक दिन पहले ही 5 बड़े ऐस्टरॉइड यानी क्षुद्र ग्रह पृथ्वी से गुजरने की भविष्यवाणी की थी।
दरअसल, उदयपुर के सेमारी कस्बे के लोग शनिवार को उस समय हैरान रह गए, जब रात को आकाश से धरती की तरफ चमकीली वस्तु गिरती दिखाई दी। पहले तो ग्रामीणों ने इसे फाइटर प्लेन समझा, लेकिन धीरे-धीरे नजदीक आने पर यह चमकीली चीज तारों की तरह बिखर कर धरती की ओर गिरते हुए ओझल हो गई। बाद में उन्हें पता चला कि यह उल्कापिंड था। ग्रामीणों ने इसका वीडियो भी बनाया। सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा ने कहा कि पहले तो उन्हें भी लगा कि कोई फाइटर प्लेन जा रहा है, लेकिन पास आते ही वह अलग-अलग होता दिखाई दिया।
टूटते तारे की तरह आग का गोला नजर आया
राजस्थान समेत देश के कई हिस्सों में शाम के समय आसमान में यह नजारा लोगों को दिखाई दिया। लोगों ने पहले इसे टूटता तारा समझा। मगर जब काफी देर तक यह ओझल नहीं हुआ तो लोगों में उत्सुकता जाग गई। उदयपुर सहित दक्षिणी राजस्थान के कई लोगों ने बताया कि अचानक से उन्हें आसमान में आग का गोला गिरता हुआ दिखाई दिया। भास्कर को बांसवाड़ा के वीरेंद्र भट्ट ने यह वीडियो उपलब्ध कराया। वीरेंद्र को जब आसमान से काफी देर तक कुछ गिरता दिखा तो उन्होंने इसे अपने कैमरे में कैद किया।
देशभर में अलग-अलग तरह के नजारे
आसमान से गिरने के नजारे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग दिखाई दिए। राजस्थान और मध्यप्रदेश में जहां आसमान से काफी दूरी पर कुछ गिरता नजर आया। वहीं महाराष्ट्र के कई हिस्सों में तो आग की तरह जमीन पर कुछ गिरता दिखाई दिया। हालांकि यह क्या है इसे लेकर कोई अधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई है।
जियोलॉजिस्ट का दावा- ये उल्कापिंड थे
जियोलॉजिस्ट और रिटायर्ड प्रोफेसर विनोद अग्रवाल ने बताया कि ये उल्कापात हुआ है। ये छोटी-छोटी उल्काएं हैं, जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही जल जाती हैं। हजारों-लाखों में एक उल्कापिंड पत्थर के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं। जब एक साथ छोटे-छोटे उल्कापिंड आते हैं तो उल्कापिंड की बरसात होती है। इनमें से अधिकांश आसमान में ही जल जाती हैं। बड़ी उल्कापिंड को ऐस्टरॉइड कहते हैं। जो जमीन तक पहुंचती हैं। मगर उसकी संभावना काफी कम है। राजस्थान के बारां जिले के रामगढ़ के पास 70 करोड़ साल पहले ऐस्टरॉइड गिरा था। उससे वहां पर 4 किलोमीटर डायमीटर का गड्डा बन गया था।
18 से 40 मीटर के हो सकते हैं ऐस्टरॉइड
नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री की मानें तो पृथ्वी के करीब से पांच ऐस्टरॉइड गुजरने हैं। इनका साइज 18 से 40 मीटर के बीच माना जा रहा है। इस लैब का मानना है कि इन ऐस्टरॉइड का साइज काफी ज्यादा नहीं है, लेकिन अगर यह पृथ्वी से टकराते हैं तो काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन सभी ऐस्टरॉइड को नीओ यानी नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट कैटेगरी में रखा गया है। यह भी माना जा रहा है कि इनमें से एक ऐस्टरॉइड अपने रास्ते से भटक चुका है और यह पृथ्वी के पश्चिमी हिस्से में ग्रीनलैंड से टकरा सकता है।