IAS Success Story: निशांत जैन का वरीयता सूची में 13वां स्थान - जालोर के नए जिला कलेक्टर निशांत जैन की कहानी, हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाले निशांत जैन ने यूपीएससी में कैसे पाई सफलता


IAS Success Story: निशांत जैन का वरीयता सूची में 13वां स्थान




जालोर के नए जिला कलेक्टर निशांत जैन की कहानी

 हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाले निशांत जैन ने यूपीएससी में कैसे पाई सफलता, जानिए उनका सक्सेस मंत्र




तमाम लोग मानते हैं कि यूपीएससी में वे लोग जल्दी सफलता प्राप्त कर लेते हैं जिनका पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी होता है. लेकिन हर साल हिंदी मीडियम के कैंडिडेट इस मिथक को तोड़ते हैं.

आज के दौर में अंग्रेजी को योग्यता से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें यह नहीं पता होता कि अंग्रेजी सिर्फ एक भाषा है. यह योग्यता का पैमाना नहीं हो सकता. आज आपको आईएएस अफसर निशांत जैन की कहानी बताएंगे, जो एक हिंदी मीडियम के स्टूडेंट रहे. यहां तक कि उन्होंने यूपीएससी में भी अपना माध्यम हिंदी ही रखा और दूसरे प्रयास में आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया. उनकी कहानी ऐसे लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने के बाद यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं.


 

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC - Union Public Service Commission) परीक्षा में हर साल लाखों उम्मीदवार शामिल होते हैं। सबसे पहले प्रारंभिक और फिर आता है मुख्य परीक्षा देने का समय। इन दोनों पड़ावों को पार करने के बाद उम्मीदवार आखिर में साक्षात्कार के पड़ाव तक पहुंचते हैं। यूपीएससी परीक्षा 2014-15 में उत्तर प्रदेश के मेरठ के निशांत जैन हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वालों में अव्वल रहे। वरीयता सूची में उनका 13वां स्थान रहा। इतनी बड़ी सफलता निशांत ने आखिर कैसे पाई? आगे पढ़ते हैं इनकी पूरी स्ट्रेटजी...

हाईस्कूल के बाद नौकरी शुरू की
निशांत बेहद ही साधारण बैकग्राउंड में पले-बढ़े. वे अपना खुद का खर्चा उठाने में यकीन रखते थे, ऐसे में उन्होंने दसवीं के बाद कोई ना कोई नौकरी करने का फैसला किया. आपको जानकर हैरानी होगी कि निशांत ने 12वीं ग्रेजुएशन और एमए के दौरान भी नौकरी नहीं छोड़ी. इसके बाद निशांत जैन ने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला लिया. उनकी पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई थी. इसलिए उन्होंने यूपीएससी का सफर भी हिंदी मीडियम के साथ जारी रखने का प्लान बनाया.


 

हिंदी को बनाया मजबूती
निशांत की हिंदी पर शुरू से ही काफी अच्छी कमांडर रही. ऐसे में उन्होंने सोचा कि अगर यूपीएससी में भी अपने सवालों का जवाब प्रभावशाली तरीके से देना है तो हिंदी भाषा को ही मजबूत करना होगा. इसके साथ उन्होंने अपनी रणनीति बनाई और तैयारी में जुट गए. उन्होंने कड़ी मेहनत कर यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाए. इससे घबराए बिना उन्होंने दूसरा प्रयास और बेहतर तरीके से किया. यूपीएससी 2014 की परीक्षा में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 13 प्राप्त की. इस तरह एक हिंदी माध्यम का युवा आईएएस अफसर बन गया.

अन्य कैंडिडेट्स को निशांत की सलाह
निशांत का मानना है कि अगर आपको यूपीएससी में सफलता प्राप्त करनी है तो हिंदी के अलावा अंग्रेजी पर भी अच्छी कमांड बना लें. वे कहते हैं कि आज के दौर पर इंटरनेट पर बहुत सा ऐसा मटेरियल उपलब्ध है, जो यूपीएससी के लिए अच्छा है. लेकिन इसमें से ज्यादातर मटेरियल इंग्लिश में है. ऐसे में अगर आपको अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान होगा तो आप उसे आसानी से समझ सकते हैं. इसके अलावा आप भाषा को बैरियर बनाए बिना कड़ी मेहनत करें और अच्छी रणनीति बनाएं. लगातार मेहनत करने पर आप किसी भी भाषा में परीक्षा देकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

रिश्तेदारों को नहीं था यकीन; दूसरे अटेम्प्ट में IAS बन निशांत ने दिया जवाब
देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC क्लीयर करने के लिए व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ता है. असफलता, परिवार, रिश्तेदारों की बातें और एग्जाम की तैयारी इंसान को दबाव में डाल सकती हैं. कई अभ्यर्थी इन परेशानियों से हार कर अपना टारगेट बदल लेते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे रहते हैं जो अंत तक डटे रहते हैं और लक्ष्य हासिल कर के ही मानते हैं.  ऐसा ही कुछ कर दिखाया उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला निवासी IAS निशांत जैन (IAS Nishant Jain) ने, जिनके लक्ष्य का रिश्तेदारों ने मजाक उड़ाया, नौकरी छोड़नी पड़ी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. पहले अटेम्प्ट में फेल होने के बाद दूसरे अटेम्प्ट में परीक्षा क्लीयर कर दिखाई. उनके सामने लैंग्वेज की दिक्कत भी आई, लेकिन उन्होंने हिंदी मीडियम से एग्जाम क्लीयर कर अपने लक्ष्य को हासिल किया.

पहली नौकरी छोड़ करने लगे तैयारी
ग्रेजुएशन करने के बाद निशांत की नौकरी पोस्ट ऑफिस डिपार्टमेंट में क्लर्क के पद पर लग गई. लेकिन नौकरी के दौरान उन्हें पढ़ाई के लिए टाइम नहीं मिल पाता, फिर उन्होंने नौकरी छोड़ी और UPSC की तैयारी करना शुरू कर दिया. फर्स्ट अटेम्प्ट में फेल होने के बाद संसद में ट्रांसलेटर के रूप में नौकरी करने लगे, वह नौकरी के साथ ही तैयारी भी कर रहे थे. नौकरी करने के साथ ही उन्होंने UPSC का दूसरा अटेम्प्ट दिया और एग्जाम क्लीयर कर दिखाई. राजस्थान कैडर लेकर वे इस वक्त जयपुर पर्यटन विभाग में डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे हैं.


 



अपनी मां को याद करते हुए एक कविता लिखी थी- 'एक पैग़ाम माँ के नाम'।

"भावों की तू अजब पिटारी, अरमानों का तू सागर,
नाज़ुक से अहसासों की एक, नर्म-मुलायम सी चादर।
खट्टी-मीठी फटकारें और कभी पलटकर वही दुलार,
जीवन का हर पल तुझमें माँ, तुझसे है सारा संसार।
जिसकी खातिर सब कुछ वारा,अपनी खुशियाँ जानी ना,
वक़्त कहाँ उस पर अब माँ, तेरे दुःख-दर्द चुराने का।
उम्मीदों को पंख लगाने, बड़े शहर को निकला जब,
छुपी रुलाई देखी तेरी, प्यार का तब समझा मतलब।
मिट्टी की तू सोंधी खुशबू, सम्बन्धों की नर्म नमी,
नए शहर में हर मुकाम पर, बस तेरी ही खली कमी।
हैरत है हर चेहरे पर थे, कई मुखौटे और नकाब,
तुझसा भी क्या कोई होगा,चलती-फिरती खुली किताब।
रिश्तों की गर्माहट तुझसे, तुझसे प्यार भरा अहसास,
ले भरपूर दुआयें अपनी, हरदम थी तू मेरे पास।
किसने कहा फरिश्तों के जग में दीदार नहीं होते,
माँ की गोद में एक झपकी, सपने साकार सभी होते।"

- निशांत जैन
( वर्तमान जिला कलेक्टर जालोर )
( पूर्व निदेशक निदेशक पर्यटन विभाग जयपुर )



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