ग्यारह दिन धरने पर बैठने के बाद, किसानों के अनशन पर बैठने के बाद और सबसे बड़ी बात इतनी राजनैतिक पार्टियों के दिग्गज जन प्रतिनिधियों के साथ होने के बाद भी उन्हें मिला तो क्या...? एक उम्मीद जो शायद अब तो टूट चुकी


 11 दिन का धरना, भूखा और परेशान देश का अन्नदाता फिर भी हार न मानी   

राजनीती का शिकार हो गया देश का अन्नदाता, टूटी उम्मीद लिए आज भी शायद पानी के इंतजार में 

कौन समझाए की अब पानी नहीं आएगा, बस भविष्य के कुछ सपने जो शायद इसी तरह अधूरे रह जाये   

जवाई नदी जो जिले की जीवन रेखा कहलाती है, आज कितने ही वर्ष से किसान जिस नदी का इंतजार कर रहे हैं... सूखे कुओं और ख़राब होती फसलों से किसानों के उतरते चेहरे आज के समय में जालौर जिले के जनप्रतिनिधियों पर आज एक सवाल छोड़ रही है...... की क्या इन हालातो में इतने संघर्ष के बावजूद उन्हें मिला ही क्या.....?

 ग्यारह दिन धरने पर बैठने के बाद, किसानों के अनशन पर बैठने के बाद और सबसे बड़ी बात इतनी राजनैतिक पार्टियों के दिग्गज जन प्रतिनिधियों के साथ होने के बाद भी उन्हें मिला तो क्या...?

सिर्फ भरोसा, समझाईश और एक उम्मीद जो शायद अब तो टूट चुकी...

 बात दरअसल जालौर जिले के कुछ समय पूर्व भारतीय किसान संघ के बैनर तले, बड़े-बड़े दिग्गज जनप्रतिनिधि, सांसद, विधायक, और सैकड़ो की संख्या में किसानों के संघर्ष के रूप में  हुए  जवाई बांध के पानी को जवाई नदी मैं छोड़ने की संघर्ष और अनशन के विषय में  है, जहां किसान इस उम्मीद में कि जवाई बांध के कितने भरने के बाद तो  उनके नसीब में पानी लिखा होगा, सूखे कुएँ और  बर्बाद होती फसलें जैसे मानो उनके चेहरे का रंग फीका कर रही हो, परंतु सवाल यह बनता है कि जिले में  इतनी  राजनीतिक पार्टियों के जनप्रतिनिधि होने के बाद भी उन किसानों की उम्मीदें पूरी नहीं हुई, भाजपा कांग्रेस,  राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी सहित कई  किसान नेताओं और जनप्रतिनिधियों के साथ के बावजूद भी किसानों को उनकी  एक उम्मीद भी पूरी होती नहीं दिखी, और अब तो बस यही लगता है कि शायद किसान उसकी उम्मीद भी खो चुका है, सरकार में होने के बावजूद और जिले के ही एक दिग्गज नेता की सरकार के बावजूद भी देश का अन्न देवता बस चुप सा रह गया, जिलें में हुए धरने में भाजपा सांसद देवजी पटेल, गृह जिले के कांग्रेस के दिग्गज जनप्रतिनिधि पुखराज पारासर, जालौर विधायक जोगेश्वर गर्ग, आहोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित, किसान नेता प्रताप अंजाना, करण सिंह, रतन सिंह कानिवाड़ा, और कई जनप्रतिनिधि और हजारों में किसानों ने अपने हक़ के लिए संघर्ष किया था परन्तु उन्हें मिला सिर्फ रख टूटी हुई उम्मीद, 11 दिन के इस धरने में किसान अनशन पर भी बैठे बीमार भी हुआ परन्तु अपने हक़ के लिए संघर्ष करते रहे और अंत में जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ने एक टूटी उम्मीद देकर उन्हें वहा से उठा दिया, 10 दिन का अल्टीमेटम देकर अब उन वादों को भूल गया...... 

किसान इसलिए कर रहे थे मांग

जवाई-सुकड़ी नदी किनारे पावटा, आहोर, जालोर, सायला, बागोड़ा तहसील के 186 गांव बसे हुए हैं। इन गांवों का क्षेत्रफल 3 लाख 233 हेक्टेयर है और कृषि योग्य क्षेत्र 2 लाख 70 हजार 585 हेक्टेयर है। नदियों के प्राकृतिक बहाव बंद होने से केवल 5 फीसदी क्षेत्र ही सिंचित हो रहा है, जबकि बाकी क्षेत्र बंजर हो चुका है। इन क्षेत्रों में किसानों के कुल 16 हजार 327 कुएं और 168 ट्यूबवेल हैं। इसके अलावा पाली जिले की सुमेरपुर तहसील के 26, सिरोही जिले की शिवगंज तहसील के 20 गांव बसे हुए हैं। इन क्षेत्र की नदियों पर जवाई बांध के अलावा अन्य 16 छोटे बांध बने हुए हैं। कई सालों से जवाई नदी में पानी नहीं छोड़ने से नदी किनारे कुएं सूख चुके हैं। आने वाले समय में पीने के पानी का भी गंभीर संकट पैदा हो सकता है। ऐसी स्थिति में जवाई बांध का पानी नदी में छोड़ना ही समस्या का समाधान था 

किसानों का धरना 11 वें दिन खत्म, लेटा महंत की समझाइश पर माने, 

जालोर  दिन से जवाई बांध का पानी जवाई नदी में छोड़ने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट के बाहर चल रहा किसानों का धरना समाप्त हो गया, धरने के 11वें दिन लेटा महंत रणछोड़ भारती के आश्वासन के बाद किसानों ने धरना समाप्त किया था, सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के दिज्जग जन प्रतिनिधि जन आभाव अभियोगी निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज परासर ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए 10 दिन के भीतर इसके समाधान का आश्वासन दिया था परन्तु अब तक वही उम्मीद ही लेकर किसान बस इंतजार कर रहा है, 

पानी नहीं छोड़ने के लिए क्षेत्रीय नेताओं और विधायकों को जिम्मेदार ठहराया गया था 

जवाई बांध का पानी जवाई नदी में छोड़ने को लेकर किसानों ने जालोर में कलेक्ट्रेट के बाहर 10 दिनों तक धरना दिया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद किसानों ने बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। किसान नेता प्रताप आंजना ने आगे की रणनीति को लेकर मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जवाई नदी बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। इस दौरान उन्होंने नदी में पानी नहीं छोड़ने के लिए क्षेत्रीय नेताओं और विधायकों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता और मंत्री मामले में मुख्यमंत्री से बात नहीं कर पाए। वरना अब तक किसानो की उम्मीदे पूरी हो जाती,

आहोर और सिरोही विधायक के नेतृत्व में किसानों ने उठाई थी मांग

23 अक्टूबर को जालोर, पाली और सिरोही जिले के किसानों ने आहोर विधायक और सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के नेतृत्व में एसडीएम ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर संभागीय आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपकर बांध का पानी जवाई नदी में छोड़ने की मांग रखी थी। नदी में पानी छोड़ने को लेकर आहोर विधायक छगन सिंह ने 22 अक्टूबर को जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर बांध का पानी नदी में छोड़ने की मांग की थी। विधायक ने 7200 एमसीएफटी के ऊपर का पानी नदी में छोड़ने के लिए आदेश जारी करवाने की मांग की थी।


14 नवंबर तक बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी थी

जवाई बांध के पानी के मुद्दे को लेकर पहले किसानों और किसानो नेताओं ने 14 नवंबर तक बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी थी, पर वो वक्त भी गुजर गया, सभी अपने अपने कार्यो में लग गए और किसान उसी उम्मीद को पकड़े बस आज भी बैठे है, बस जनप्रतिनिधि उस बात को एक तरफ रखकर अब केवल भविष्य के सपने दिखा कर ज्ञापन देने में लगे है, 



जवाई पूर्णभरण - 2554 करोड़ों मंजूर, जनवरी से होगा निर्माण

 पाली जालोर व सिरोही जिले की जीवन रेखा माने जाने वाली जवाई बांध के पुनः भरण का 6 साल बाद अब रास्ता साफ हो चुका, बाँध तक पानी पहुंचाने को लेकर मुख्यमंत्री बजट घोषणा में 2 बाँध बनाने और इन दोनों बांधो का पानी जवाई में डाइवर्ट करने की 3000 करोड़ की घोषणा के बाद अब वित्त विभाग ने भी इस पर मुहर लगा दी है ।

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