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ग्यारह दिन धरने पर बैठने के बाद, किसानों के अनशन पर बैठने के बाद और सबसे बड़ी बात इतनी राजनैतिक पार्टियों के दिग्गज जन प्रतिनिधियों के साथ होने के बाद भी उन्हें मिला तो क्या...? एक उम्मीद जो शायद अब तो टूट चुकी

11 दिन का धरना, भूखा और परेशान देश का अन्नदाता फिर भी हार न मानी    राजनीती का शिकार हो गया देश…

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