ढोल-नगाड़ों की गूंज और आतिशबाजी के बीच तखतगढ़ में हुआ रावण दहन, बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक पर्व दशहरा पर उमड़ा जनसैलाब

 ढोल-नगाड़ों की गूंज और आतिशबाजी के बीच तखतगढ़ में हुआ रावण दहन

बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक पर्व दशहरा पर उमड़ा जनसैलाब\



रिपोर्ट : सोहनसिंह रावणा, तखतगढ़

तखतगढ़। विजयादशमी के पावन पर्व पर नगर पालिका तखतगढ़ की ओर से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन इस बार भी पूरे उत्साह और धार्मिक आस्था के साथ किया गया। नगर में ढोल-थाली और गूंजते नगाड़ों के बीच मेघनाथ, कुंभकर्ण और रावण के विशालकाय पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दिया गया।


शोभायात्रा ने बढ़ाया उत्सव का आकर्षण

श्री चारभुजा ठाकुरजी मंदिर से आराध्य प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान एवं वानर सेना की शोभायात्रा पूरे धूमधाम से रवाना हुई। यह शोभायात्रा नगर के मुख्य बाजार, महाराणा प्रताप चौक से गुजरते हुए रावण चौक पहुंची। पूरे मार्ग में भक्तों ने जयघोष कर स्वागत किया। नन्हें-मुन्ने बच्चों ने वानर रूप धारण कर उत्सव की शोभा को और भी आकर्षक बना दिया।


जनप्रतिनिधि व अधिकारी रहे मौजूद

रावण दहन कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष ललित रांकावत, कार्यकारी अधिकारी मगराज चौधरी, तखतगढ़ थानाधिकारी प्रवीण कुमार आचार्य, जनप्रतिनिधि रतनलाल सांखला, भैराराम मीणा, पार्षद सुरेश सुथार, दारामी देवी, दिनेश कुमावत, जगदीश दमामी, ठाकुरजी सेवा समिति अध्यक्ष नरसाराम कुमावत, संघवी केसरी उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य गजेंद्रसिंह तंवर, जी.ए.एन. अधिकारी आकाश त्रिवेदी, सफाई निरीक्षक सूरज चौधरी, मुकेश सुथार, मुकेश माली, जमादार धीरज वाल्मीकि सहित समस्त पार्षदगण एवं नगरवासी उपस्थित रहे।
सभी अतिथियों का नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा माल्यार्पण एवं साफा पहनाकर स्वागत-सम्मान किया गया।




मंच पर हुआ प्रभु श्रीराम का तिलक

कार्यक्रम के मंच पर सर्वप्रथम आराध्य प्रभु श्रीराम का तिलक कर पुष्पमाला अर्पित की गई। इसके बाद पूरे उत्साह के साथ रावण दहन की औपचारिक शुरुआत हुई।


आतिशबाजी ने सजाया आसमान

रंग-बिरंगी आतिशबाजी के बीच प्रभु श्रीराम के हाथों रावण दहन सम्पन्न हुआ। आग की लपटों के साथ रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले धधक उठे तो वातावरण “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा।
हालांकि इस वर्ष आतिशबाजी पूर्व वर्षों की अपेक्षा उतनी भव्य नहीं रही, जिससे नगरवासियों में कुछ निराशा भी दिखाई दी।


विजयदशमी का संदेश

विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक पर्व है। त्रेतायुग में इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध कर धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना की थी। तभी से यह पर्व असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देते हुए प्रतिवर्ष उल्लास और आस्था के साथ मनाया जाता है।

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