कविता: ठिठुरन में स्कूल जाते वे बच्चें




ठिठुरन में
स्कूल जाते 
वे बच्चें 
जिनके पांव नंगे है
माथे पे गरीबी है 
पीठ पर लादा 
बस्ता जो फटा है 
आसमानी मैली कमीज
जिसके बटन आधे ही है
पेंट की सिलाई ऊखड़ गई है
इन सब के बावजूद भी 
जिनके चेहरे पे रोनक है 
होठों पे मुस्कान है 
इन सबसे लगता है 
बुलंद हौंसलो जिनके
हालातों को मात देंगे
और यह ही बच्चे 
देश को दूसरा कलाम देंगे .... !
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