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एक प्रण

एक प्रण, हर वृक्ष मे छुपा भगवान है, उसकी छावँ मे सनेह विधमान है, कयोँ हम सब भूल जाते हैं, वृक्षो…

जिंदगी की हक़ीकत

कभी कहकहों से गुजारा गया कबूतर  पानी  में  उतारा  गया इल्जाम सर किसके रखा जाये उसे अभी  सूली से …

मुक्तक: मन

कभी नयनो उतरु मैं , कभी मैं दिल का हो जाऊँ तुम्हारे सामने आकर , जरा सा तुझ में खो जाऊँ  मुझे  हर…

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