मुख्यपृष्ठAuthor मुक्तक: मन byAdmin -मई 10, 2017 कभी नयनो उतरु मैं , कभी मैं दिल का हो जाऊँतुम्हारे सामने आकर , जरा सा तुझ में खो जाऊँ मुझे हर रोज ढूंढेगी तुम्हारी हसरते आकर कभी मैं देर तक सोचू , तेरे नयनों में सो जाऊँभरत राज Tags Author Muktak Sahitya Facebook Twitter