एक आईना भारत
अगवरी
भरतसिंह राजपुरोहित
कहते हैं छोटे बच्चे भगवान का रूप होते हैं बचपन में मस्ती भी करते हैं पर खेलकूद भी करते हैं और जिद भी करते हैं और कोई बच्चे कार्टून देखते हैं कोई गेम खेलते हैं लेकिन उन सब में अलग अगवरी का 3 वर्षीय बालक मदनलाल सुथार का पुत्र पीयूष सुथार इन दिनों अपने दादा कन्हैया लाल सुथार के साथ सुथार समाज का पुश्तैनी लकड़े का कार्य अपने दादा के साथ कर कर उनका हाथ बटा रहा है इतनी छोटी उम्र में अपने परंपरागत व्यवसाय के प्रति इतनी लगन देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है कि कैसे यह बच्चा इतनी छोटी उम्र में इस प्रकार का कार्य करता होगा लेकिन वास्तव में इस बच्चे की हुनर और कला को देखकर हर कोई इस मासूम से प्रभावित है माता-पिता का भी फर्ज होता है कि बच्चे को पढ़ाई के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी सिखाया जाए इससे भविष्य में उस बच्चे को किसी भी प्रकार की कोई समस्या ना हो छोटे बालक पियुष सुथार का इस प्रकार कार्य करना काबिले तारीफ है जिससे हर किसी बच्चे को इस प्रकार की प्रेरणा लेनी चाहिए कि कैसे हम समय का सदुपयोग करें
अगवरी
भरतसिंह राजपुरोहित
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3 वर्ष का पीयूष सुथार लॉक डाउन में कर रहा हैं अपने दादा की मदद |
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