एक आईना भारत
सेतरावा
महेन्द्रसिंह भाटी (रायसर)
बिना शस्त्र लड़ रहे हैं मैदान में, फिर भी कोरोना योद्घाओ में गिनती नहीं ।
इस कोरोना जैसी भयंकर महामारी में सरकार द्वारा डीलर तक पहुंचाई जा रही खाद्य सामग्री को आमजन तक पहुंचाने का काम कर रहा है राशन डिलर, इसके बावजूद डिलर सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहा हैं, जिसको ना तो कोई तनख्वाह दी जाती है ना ही कोई मानदेय ।
केवल कमीशन भी है तो ऊंट के मुंह में जीरे जैसा ।
वहीं राशन डिलरो को ना पर्याप्त सैनेटाइजर दिया जा रहा है और ना ही मास्क अथवा हैंड ग्लव्ज उपलब्ध करवाये जा रहे हैं ।
सभी कर्मचारियों को 50 लाख के बीमा पैकेज की घोषणा हो रखी है मगर राशन डीलर जो आमजन से निरंतर संपर्क में आए बगैर कार्य पूर्ण नहीं कर पाता है।
राशन कार्ड में एंट्री करनी हो तो भी सावधानी बरतनी पड़ती है, आधार के हाथ लगाना हो चाहे गेहूं देने हेतु बैग के हाथ लगाना हो चाहे खाद्य सामग्री की होम डिलीवरी करनी हो मेडिकल कर्मचारियों की तरह आमजन के निरंतर संपर्क में आना पड़ता है ।
फिर भी इनके परिवार की सोचने वाला कोई नहीं है,
राशन डिलर बताते हैं कि केवल गेहूं वितरण के कमीशन से परिवार नहीं पल सकता, यह सरकार भी बखूबी जानती है ।
सभी डीलरों को साईड बिजनेस, अन्य प्रकार के धंधे भी करने पड़ते हैं तब जाकर के परिवार का भरण पोषण होता है । वर्तमान में सभी धन्धे पूर्णतया ठप्प है अतः सरकार को राशन डीलरों के लिए भी कोई पैकेज की घोषणा करनी चाहिए ।
(ट्रांजैक्शन करने में भी कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है :-)
जैसे कि पूर्व में राशन कार्ड की सूची थी तो राशन जल्दी खुल जाता था, समय कम लगता था । अब आधार से राशन खोलने में देरी का सामना करना पड़ता है फिर ओटीपी सेंड होने के बाद मोबाइल में आने में देरी का सामना। ज्यादातर उपभोक्ताओं के सिम कार्ड बदल देना। कई खाद्य सुरक्षा के पात्र नहीं होते हुए भी उनके पास सिम कार्ड नया है जो पूर्व में किसी जन आधार से सीडेड था उनके भी कंही से ओटीपी आती है तो वह सीधा डीलर को फोन करके बोलता है कि मेरे ओटीपी आई है तुम हमें राशन क्यों नहीं देते जबकि उनका वर्तमान का सिम कार्ड पूर्व में किसी भामाशाह अथवा जन आधार के साथ सीडिगं था उसमें डीलर का क्या दोष है, फिर बार-बार फोन करने पर राशन डीलरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कई उपभोक्ता आधार कार्ड साथ नहीं लाते, कई उपभोक्ता ऐसे भी होते हैं जिनका आधार सीडेड नहीं है तो राशन नहीं खुलता बार-बार विभिन्न आदेशों की पालना करने में उपभोक्ता एवं डीलरों के बीच कटुता उत्पन्न होती है ।
उपरोक्त सभी कठिनाइयों का सामना करके भी मुसीबत की इस घड़ी में सरकार व आमजन का राशन डीलर साथ दे रहा है, एसे में सरकार को इन राशन डिलरो हेतु भी 50 लाख के बीमे की घोषणा करते हुए कमिशन राशी को बढाना चाहिए ।।
सेतरावा
महेन्द्रसिंह भाटी (रायसर)
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कोरोना महामारी की इस दुखद घड़ी में सबसे ज्यादा उपेक्षा का शिकार हो रहा हैं राशन डीलर |
इस कोरोना जैसी भयंकर महामारी में सरकार द्वारा डीलर तक पहुंचाई जा रही खाद्य सामग्री को आमजन तक पहुंचाने का काम कर रहा है राशन डिलर, इसके बावजूद डिलर सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहा हैं, जिसको ना तो कोई तनख्वाह दी जाती है ना ही कोई मानदेय ।
केवल कमीशन भी है तो ऊंट के मुंह में जीरे जैसा ।
वहीं राशन डिलरो को ना पर्याप्त सैनेटाइजर दिया जा रहा है और ना ही मास्क अथवा हैंड ग्लव्ज उपलब्ध करवाये जा रहे हैं ।
सभी कर्मचारियों को 50 लाख के बीमा पैकेज की घोषणा हो रखी है मगर राशन डीलर जो आमजन से निरंतर संपर्क में आए बगैर कार्य पूर्ण नहीं कर पाता है।
राशन कार्ड में एंट्री करनी हो तो भी सावधानी बरतनी पड़ती है, आधार के हाथ लगाना हो चाहे गेहूं देने हेतु बैग के हाथ लगाना हो चाहे खाद्य सामग्री की होम डिलीवरी करनी हो मेडिकल कर्मचारियों की तरह आमजन के निरंतर संपर्क में आना पड़ता है ।
फिर भी इनके परिवार की सोचने वाला कोई नहीं है,
राशन डिलर बताते हैं कि केवल गेहूं वितरण के कमीशन से परिवार नहीं पल सकता, यह सरकार भी बखूबी जानती है ।
सभी डीलरों को साईड बिजनेस, अन्य प्रकार के धंधे भी करने पड़ते हैं तब जाकर के परिवार का भरण पोषण होता है । वर्तमान में सभी धन्धे पूर्णतया ठप्प है अतः सरकार को राशन डीलरों के लिए भी कोई पैकेज की घोषणा करनी चाहिए ।
(ट्रांजैक्शन करने में भी कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है :-)
जैसे कि पूर्व में राशन कार्ड की सूची थी तो राशन जल्दी खुल जाता था, समय कम लगता था । अब आधार से राशन खोलने में देरी का सामना करना पड़ता है फिर ओटीपी सेंड होने के बाद मोबाइल में आने में देरी का सामना। ज्यादातर उपभोक्ताओं के सिम कार्ड बदल देना। कई खाद्य सुरक्षा के पात्र नहीं होते हुए भी उनके पास सिम कार्ड नया है जो पूर्व में किसी जन आधार से सीडेड था उनके भी कंही से ओटीपी आती है तो वह सीधा डीलर को फोन करके बोलता है कि मेरे ओटीपी आई है तुम हमें राशन क्यों नहीं देते जबकि उनका वर्तमान का सिम कार्ड पूर्व में किसी भामाशाह अथवा जन आधार के साथ सीडिगं था उसमें डीलर का क्या दोष है, फिर बार-बार फोन करने पर राशन डीलरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कई उपभोक्ता आधार कार्ड साथ नहीं लाते, कई उपभोक्ता ऐसे भी होते हैं जिनका आधार सीडेड नहीं है तो राशन नहीं खुलता बार-बार विभिन्न आदेशों की पालना करने में उपभोक्ता एवं डीलरों के बीच कटुता उत्पन्न होती है ।
उपरोक्त सभी कठिनाइयों का सामना करके भी मुसीबत की इस घड़ी में सरकार व आमजन का राशन डीलर साथ दे रहा है, एसे में सरकार को इन राशन डिलरो हेतु भी 50 लाख के बीमे की घोषणा करते हुए कमिशन राशी को बढाना चाहिए ।।
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