भाई दिवस पर महाभारत में वर्णित पांचों
भाईयों के प्रेम से ले प्रेरणा, उतारे जीवन में
पाँचों पाण्डव जन्म से लेकर अंतिम समय तक रहे साथ-देवी ममता
एक आइना भारत
संवाददाता प्रकाश इन्दलिया
नागौर। प्रसिद्ध कथा वाचिका देवी ममता ने भ्रातृत्व दिवस पर सभी को षुभकामनाएं देते हुए कहा कि भाईयोें के प्रेम का प्रमाण रामायण, महाभारत इत्यादि अनेक शास्त्रों में हमें प्राप्त होता है जिसे हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा रामायण उठा के देखो तो चारों भाईयों का प्रेम, महाभारत उठा के देखो तो पांच पाण्डवों का प्रेम समस्त संसार को यह प्रमाण देता है कि भाईयों का प्रेम अद्भुत व सर्वश्रेष्ठ है।
युधिष्ठर के सम्राट बनने पर भी पांचों भाईयों में एकता नहीं टूटी, भीम उनके रथ के सारथी बनें, नकुल और सहदेव चँवर डुला रहे थे और अर्जुन ने छत्र पकड़ा था।'' यह होता है भाईयों का प्रेम.....
पांच पाण्डव बचपन में साथ पले बड़े, लाक्षागृह में साथ, द्रोपदी के स्वंयवर में साथ, कुंती के वचनानुसार 'पांचो भाई आपस में बांट लो' तो साथ, राज्याभिषेक के समय साथ, जुए में साथ, वनवास में साथ, आज्ञातवास में साथ, कुरूक्षेत्र महासंग्राम में साथ, पुनः चक्रवर्ति सम्राट के राज्याभिषेक में साथ, हिमालय गमन अंतिम समय में साथ...
इसे कहते है भातृत्व प्रेम और आज अधिकांश अनेक भाई जन्म से लेकर मृत्यु तक साथ नहीं रहते बल्कि कई तो एक दुसरे के दुश्मन बन प्राण तक ले लेते है।
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