डिजिटल मार्केटिंग फील्ड में पूरी दुनिया में नाम कमा रहे हैं वर्ल्ड के सबसे यंगेस्ट डिजिटल एंटरप्रेन्योर्स में शामिल मनीष सिंह

-- सोशल मीडिया पर "मार्केटिंग गुरु" के नाम से रखते हैं पहचान, कंपनी का टर्नओवर डेढ़ से दो करोड़ सालाना।
-- अपने होम टाउन बिहार में है डिजिटल यूनिवर्सिटी ओपन करने की प्लानिंग, होम मिनिस्ट्री ने स्वीकार किया आवेदन।

किसी की कॉपी मत करो, खुद से मेहनत करो और अपनी पहचान बनाओ यह कहना है विश्व के सबसे कम उम्र के डिजिटल एंटरप्रेन्योर्स में शुमार मनीष सिंह का।मनीष बिहार के मुजफ्फरपुर के निवासी हैं। मनीष इन दिनों सोशल मीडिया पर मार्केटिंग गुरु के नाम से जाने जाते हैं। गौरतलब है कि मनीष वर्तमान में चार कंपनियों के सीईओ हैं और मशहूर व टैलेंटेड डिजिटल एंटरप्रेन्योर के रूप में अपनी पहचान रखते हैं 
मनीष सिंह ने बताया कि उन्होंने डीएवी से दसवीं की पढाई की और फिलहाल वह दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक से बी टेक की स्टडी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता एक पेट्रोल पंप पर काम करते हैं और उनके माता पिता ने शुरुआत से ही उनको काफी सपोर्ट किया है।


डिजिटल एंटरप्रेन्योर के तौर पर अपनी जर्नी की स्टार्टिंग के बारे में मनीष ने बताया कि उन्होंने आज के इस डिजिटल युग में अपनी खुद की मार्केटिंग कंपनी जेड मीडिया को लॉन्च कर अपने सफर की शुरुआत की। आज मनीष की देश विदेश में कंपनियां हैं और इस फील्ड में वह अपनी उम्मीद से अच्छा काम कर रहे हैं और खूब नाम कमा रहे हैं। महज दो साल में ही इस कंपनी का टर्न ओवर एक लाख से डेढ़ करोड़ तक पहुँच गया। उनकी इस कंपनी का हैड ऑफिस बिहार के मुजफ्फरपुर में है और इसके जरिए उन्होंने वहाँ के कई लोकल लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है।


कंपनी के बढ़ते क्रेज व फॉलोवर्स को देखते हुए गूगल ने उनके नाम को दुनिया के सबसे कम उम्र के डिजिटल एंटरप्रेन्योर की लिस्ट में शामिल किया और साथ ही विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने उनको ब्लू टिक से भी नवाजा।


मनीष अपने जीवन का टर्निंग पॉइन्ट कनाडा के पॉप सिंगर ड्रेंक की मार्केटिंग करने में मिली सफलता को बताते हैं। इसी सफलता के बाद मनीष को कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशों के कई कलाकारों ने मार्केटिंग का ऑफर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने एक बड़ी म्यूजिक कम्पनी के साथ भी टाई अप किया है।
मनीष का सपना मुजफ्फरपुर में डिजिटल यूनिवर्सिटी खोलने का है जिसका आवेदन गृह मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है। मनीष बताते हैं कि इस काम में विदेशों की तकनीकी संस्थाओं को शामिल करना होता है इसलिए गृह मंत्रालय से अनुमति लेना जरुरी है।

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