आशियाने के सपनों पर बजरी की काली छाया
एक आईना भारत
उम्मेदपुर (विक्रमसिह पचानवा)
उम्मेदपुर कस्बे समेत आस-पास के गांवों में इन दिनों बजरी की किल्लत से लोगों का आशियाना बनाने का सपना हकीकत में नहीं बदला पा रहा है।आवश्यकता अनुसार बजरी नहीं मिलने से लोग भवन निर्माण शुरु करवाने में पीछे हट रहे है।वही जिनके पहले से निर्माण चल रहे है ।वे भी बजरी के अभाव में ठप पड़े हैं या फिर ज्यादा जैब ढ़ीली करके यहां-वहा से बजरी का बंदोबस्त कर निर्माण का कार्य चालु करा रहे है ।बजरी की किल्लत के चलते लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही हैं ।बजरी खनन पर न्यायालय की रोक जरुर है ।फिर भी चोरी छिपे जरूरत अनुसार बजरी मिल रही थी, लेकिन अब बजरी नहीं मिलने पर कई निर्माण कार्य पुरी तरह से बन्द पडे़ है। जिन लोगों के पूर्व में कार्य पहले से चल रहे थे ।वो भी बजरी के अभाव में बन्द पड़े हैं ।
बजरी नहीं मिलने से निर्माण कार्य नहीं होने ज्यादा खामियाजा मजदुर वर्ग को उठाना पड़ रहा है ।दिहाड़ी मजदुर के सामने घर -परिवार चलाने का संकट खड़ा होने लगा है।लगभग मजदूर वर्ग का हर परिवार इस कार्य से जुडे़ हुए हैं।मजदुरो ने बताया की बजरी किल्लत ने परेशानी बढ़ा रखी है ।ज्यादातर निर्माण कार्य ठप पड़े हैं।लोग भवनो का भी निर्माण भी नहीं करवा रहे है। श्रमिको के सामने भी रोटी रोजी का भी संकट खड़ा हो रहा है ।
क्या करे, क्या न करे पक्के घरों में रहने का सपना पुरा करने के लिए केन्द्र सरकार भी प्रधानमंत्री आवास योजना में लाखों रुपये का अनुदान दे रही हैं ।बजरी नहीं मिलने से सरकार की योजना भी प्रभावित हो रही हैं । समय पर आवास पूर्ण करना है लेकिन लाभाथिर्यो पर तो बजरी नहीं मिलने से लाभाथिर्यो को आवास निर्माण पूर्ण करने में काफी परेशानी आ रही है ।जिससे लाभार्थी भी परेशान दिख रहा है ।साथ में बजरी परिवहन करने वाले वाहन मालिक भी बेरोजगार हो गए हैं।बजरी की ट्रोली एक महिने पहले एक हजार रुपये मिलती थी लेकिन खनिज विभाग द्वारा पेन्लटी कुछ महिने भर पहले बढ़ाने के बाद दो हजार रुपये में भी नहीं मिल रही है लेकिन जवाई नदी से बजरी खनन करने वाले बजरी माफिया पर प्रशासन व खनिज विभाग जालोर द्वारा कार्रवाई समय समय पर कार्रवाई कर चालान बनाने पर अब बजरी माफिया हडक्म मची हुई है अब बजरी परिवहन बिल्कुल बन्द कर दी है ।अब आज की तारीक में बजरी की दो हजार में भी ट्रोली नहीं मिल रही हैं।
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