बलात्कार की समस्या एवं समाधान
विगत कई दिनों से अखबार की सुर्खियाँ भरी पड़ी हैं और यह कोई नई बात भी नहीं। आए दिन बलात्कार की खबरों से अखबार एवं मीडिया की दुनिया जगमगाती रहती है। मुझे अफसोस इस बात का होता है कि आखिर इन अखबारों में या टी० वी0 चैनलों में दिखाकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। क्या सरकार एवं सरकारी तंत्र के लोग इस समस्या के तह में जाने की कोशिश क्यूँ नहीं करते।
सर्वप्रथम बलात्कार की समस्या आज बहुत बड़ी है। इस बात को मीडिया, सरकार एवं प्रशासन हर व्यक्ति को समझना पड़ेगा। ज्यादातर बलात्कार की घटनाएँ या तो शहरी क्षेत्रों के कस्बाई क्षेत्र में होती है और नहीं तो दूरस्थ आंतरिक क्षेत्रों में। दोनों क्षेत्रों में एक ही समस्या है। शिक्षा का अभाव, जागरूकता की कमी, लोगों के बीच यौन शिक्षा का अभाव एवं पुरुष सतात्मक परिवार का वर्चस्व। पहले और आज दोनों में एक ही समस्या की आखिर लड़कियों को इस वर्चस्व से बचाकर कैसे रखा जाए।
सबसे बड़ी दुःख की बात है कि शिक्षा के अभाव एवं यौन शिक्षा की कमी की वजह से चाहे वह शहर में काम करने वाला मजदूर हो या गाँव में रहने वाले जवान लड़के,उन्हें इस बात का अंदेशा ही नहीं होता कि उन्होंने जो अपराथ किया है उसकी सजा क्या है। ज्यादातर लोग इसके अंजाम को जानते ही नहीं हैं और कइ बार तो झ्स जघन्य अपराध की लिपा पोती कर उसे दबा दिया जाता है।
मीडिया अपनी तरफ से अच्छा काम कर है, लेकिन प्रतिपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लग जाते हैं और मामला राजनितिक बन जाता है जो सही नहीं है। इस तरह का अपराध करने वाले लोग न तो अखबार पढ़ते है न ही समाचार पढतें हैं और न उनका कोई सामाजिक दायरा होता है। उनकी जीवन शैली अलग ही होती है। ज्यादातर अपराधियों को डर ही नहीं होता कि इसका अंजाम क्या होगा। उनका पूरा घर परिवार और जीवन बर्बाद हो जाता है और सख्त सजा होती है। इसलिए हमें यह संदेश समाज के इस वर्ग को पहुँचाने के दूसरे रास्ते भी अपनाने चाहिए।
सरकारी तंत्र और सामाजिक संस्थाओं को ऐसे क्षेत्र चयनित करके वहाँ जाकर जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए लिसमें ऐसे अपराध करने पर डर पैदा हो। साथ ही उन्हें हर दृष्टिकोण से शिक्षित भी किया जाय।
मेरा मत है, विचार है कि इस समस्या के समाधान के लिए सबसे जरूरी है लोगों को शिक्षित करना, जागरूकता लाना एवं लड़को एवं लड़कियों को यौन शिक्षा देना। यदि हम सरकार की तरफ से , सरकारी एवं प्राइवेट संस्थानों की तरफ से बालिग एवं नाबालिग लड़के एवं लड़कियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाएँ तो इस समस्या के निदान करने की जड़ों तक हम जा सकते हैं। मेरे ख्याल से अखबार एवं मीडिया समस्या का ढोल न पीटकर उसका समाधान करने के विषय में बताए। अगर भारत की जनता मीडिया समर्थन करती है तो उनके द्वारा बताए गए समाधान पर भी अमल करेगी। देश के हित एवं हमारी बेटियों के हित में हमें इन कदमों की उठाने की सख्त जरूरत है।
ममता सिंह'अमृत
शिक्षिका, कवयित्री एवं साहित्यविद्, बैंगलुरू
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