अपनों को छोड़ परायो के पीछे सरकार, घर की माई को डायन कोई नही कहता कहावत गहलोत सरकार के लिए सही??

 अपनों को छोड़ परायो के पीछे सरकार




विवाह कार्यक्रम में 100 से ज्यादा होने पर 25000 फाइन और चुनाव प्रचार में सैकड़ों की तादाद में कार्यकर्ता पर कोई एक्शन ना रिएक्शन



भारत देश हमेशा ही विकास एवं सामाजिक तौर पर मजबूत एवं सुदृढ़ रहा है परंतु जब बात यहां की राजनीति के विषय में आती है तब प्रशासन एवं राजनेता आम जनता को दुखों के सागर में छोड़ केवल अपने लोगों अर्थात पार्टी के कार्यकर्ता अथवा कोई प्रशासनिक अधिकारी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने लोगों के साथ खड़ा रहता है । कहावत में कहा गया है कि घर की माई को डायन कोई नहीं कहता यह कहावत गहलोत सरकार द्वारा एक अच्छे एवं सुंदर तरीके से लोगों के सामने पेश की गई है । हम बात कर रहे हैं राज्य सरकार द्वारा लगाए गए कोविड-19 के तहत नियमों एवं आदेशों के विषय में जिन आदेशों में गहलोत सरकार द्वारा किसी शादी एवं धार्मिक आयोजन में 100 से अधिक व्यक्ति होने पर जुर्माना वसूला जाता है परंतु प्रथम द्वितीय तृतीय एवं चतुर्थ चरण के चुनाव में प्रत्याशियों एवं राजनेताओं द्वारा सैकड़ों की तादाद में कार्यकर्ताओं एवं लोगों को इकट्ठा करना ओर आम सभाये करना इनके लिए सही है इस पर सरकार द्वारा कोई पाबंदी नहीं, नहीं कोई कार्यवाही ओर बड़ी बात तो यह कोरोना संक्रमण आम जनता के कार्यक्रमो से फैलता है राजनेताओ के कार्यक्रमो से यह उल्टा कंट्रोल होता है शायद से यहाँ कोरोना संबंधित नियम तो यहा जैसे घर के मेहमान हो।


एक सामान्य परिवार अपने पुत्र या पुत्री की शादी में कार्यक्रम का आयोजन करता है ओर सग्गे सम्बन्धियो कप न्योता यह सोच कर देता है कि वह उनके पुत्र या पुत्री को कार्यक्रम में आकर आशीर्वाद दे और वहा प्रशासन पहुंच उसे कोविड-19 नियम बताते हुए 25000 का फाइन वसूल करता है वही प्रत्याशियो द्वारा सैकड़ों की तादाद में कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करने ओर आम सभाओ का आयोजन करने पर प्रशासन चुप्पी साधे बैठा रहता है ।


 क्या यह नियम केवल आम जनता के लिए लागू होते हैं अथवा प्रशासनिक अधिकारी एवं राजनेताओं के लिए भी यही नियम है  । यह सवाल आज हर आम आदमी के मन मे शायद चल रहा हो। 


कोरोना संक्रमण के चलते लगे लोक डाउन ने आम आदमी की  कमर पहले ही तोड़ दी है वही आज आयोजनों पर कुछ रिश्तेदारों को बुलाने पर वसूली उन्हें ओर गहरा आघात दे रही है ।

आम सभा एवं लोगों को संबोधित करते वक्त यह वायरस उतना असर नहीं करता जितना शादी ब्याह में 100 से एक व्यक्ति भी बढ़ जाने पर संक्रमण फैलाता है शायद इसी बात की वजह से सरकार जनता के लिए दयमराज का कार्य कर रही है । 


अभी वायरल होते एक फोटो में गहलोत सरकार के करीबी सालेह मोहम्मद द्वारा आम सभा के दौरान सैकड़ो लोगो को इकट्ठा करना कोविड को रोकने का कार्य करता है और शादी में 100 से 1 भी अधिक व्यक्ति का संक्रमण को बढ़ावा देता है गहलोत सरकार के राजनेता अगर एकत्रित होकर कोई आम सभा करें तो कोविड के नियम और गाइडलाइन इनके मायने नहीं रखते और आम जनता करे तो सीधा सरकारी फंड तैयार होना शुरू हो जाता है  । 



प्रथा

राजस्थान का इतिहास एवं यहां की मिट्टी की यह एक विशेषता रही है कि प्रथा एवं संस्कारों के प्रति आज भी लोग प्राचीन संस्कारों एवं प्रथम को अपने जीवन में अहम भूमिका देते हैं चाहे वह कोई धार्मिक आयोजन हो पारिवारिक आयोजन हो अथवा व्यापारिक आयोजन उदाहरण के तौर पर कहीं भी नए कार्य की शुरुआत पर भगवान श्री गणेश की स्थापना एवं उनका पूजन उसके पश्चात ही सारे कार्य प्रारंभ होते हैं उसी तरह पारिवारिक आयोजनों में रिश्तेदार एवं अपने लोग भी उसी तथा एवं संस्कार का एक अहम हिस्सा है प्रथा एवं संस्कारों को निभाते हुए जब उन रिश्तेदारों को आमंत्रण देना बिना भी उनके लिए आज सोचने का विषय बन गया है सामान्य परिवार से संबंधित लोग आज किसी रिश्तेदार को न्योता नहीं दे सकते परंतु वहीं दूसरी ओर गहलोत सरकार अपने प्रत्याशियों एवं चुनाव लड़ने वाले अन्य पार्टी के आयोजनों एवं आम सभाओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहा ना ही कोई प्रशासनिक कार्यवाही की जा रही है उल्टा प्रशासन वहां खड़े होकर उनके आयोजनों में सहभागिता निभाता है ।




व्यंग गजेंद्र गहलोत ।

संपादक एक आईना भारत ।

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