जोधपुर संभागीय आयुक्त समित शर्मा के तबादले के बाद सरकारी कार्यालयों की फिर बिगड़ी व्यवस्था
बहुत से कार्यालयों में समय पर नहीं पहुंचते हैं अधिकारी और कर्मचारी
कोरोना के केस कम हुए लेकिन अफसर कर्मचारी अभी जनता के काम को लेकर नहीं बरत रहे गंभीरता
एक आईना भारत
जालोर कोरोना धीरे-धीरे खत्म होने के बाद सभी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे पर पटरी पर आ रही है और सरकार का आदेश है सरकारी विद्यालयों के लिए अध्यापकों सुबह 10:00 बजे विद्यालय में प्रवेश करना पर 4:00 बजे विद्यालय से निकलना यह परंपरा काफी लंबे समय से कोरोना के बाद चल रही है जब जोधपुर के संभागीय आयुक्त समित शर्मा जी थे तब उन्होंने जालोर में दौरा भी किया था तब जालौर के जिला शिक्षा अधिकारी ने टीमें बनाकर औपचारिक रूप से निरीक्षण भी किया था लेकिन जब से समित शर्मा जी का तबादला हो गया है उसके बाद शिक्षा विभाग की व्यवस्था वापस ढाक के तीन पात बन गई है आहोर के कई विद्यालयों की तो ऐसी खबरें मिली है की स्टाफ 10:30 से 11:00 बजे आता है तीन 3:30 बजे चला जाता है और बहुत सारे स्टाफ वैसे भी हैं सुबह हस्ताक्षर करके चले जाते हैं पर फिर दूसरे दिन आकर हस्ताक्षर करते हैं ना तो उन्हें प्रधानाध्यापक कोई कहता है ना उन्हें संभागीय आयुक्त का डर है और बहुत से विद्यालय की ऐसी भी शिकायतें मिली है के बहुत बार स्टाफ के साथ साथ प्रधानाध्यापक भी अपने कार्यों के प्रति लापरवाह दिखाई दे रहे हैं जब विद्यालय का संचालन करने वाला ही समय का पाबंद नहीं होगा तो फिर एक साधारण कर्मचारी से क्या उम्मीद रख सकते हैं
समय-समय पर विद्यालयों का औचक निरीक्षण करना है जरूरी
समय-समय पर विद्यालयों का औचक निरीक्षण करना बहुत जरूरी है लेकिन औपचारिक रूप से कभी कबार निरीक्षण किया जाता है और खानापूर्ति कर दी जाती है अगर सही तरह से निरीक्षण किया जाए तो कई कमियां बाहर आएगी लेकिन यह तो कहावत उल्टी हो रही है जब सैंया भए कोतवाल तो हमें काहे का डर अध्यापक अध्यापिका अपनी मस्ती में है और जिम्मेदार लोग अपनी मस्ती में है
जालौर जिले के दूसरे कार्यालय का भी यही हाल है
जिले में तहसील कार्यालय हो उपखंड अधिकारी कार्यालय हो या पंचायत समिति कार्यालय हो कार्यालय का स्टाफ कार्यालय में कम और चाय की होटल पर ज्यादा बैठा मिलता है लगता है कर्मचारियों को किसी का डर नहीं है समित शर्मा जी यहां पर पोस्टेड थे पूरे संभाग की व्यवस्था के सही तरीके से चल रही थी लेकिन उनका तबादला होने के बाद सब अपनी मस्ती में मस्त हैं और लोगों को अपने काम के लिए निराश होकर घर लौटना पड़ता है शिक्षा विभाग के कार्यालय को छोड़कर बाकी कार्यालयों का समय 9:45 से लेकर 6:00 बजे तक है लेकिन 10:00 बजे से पहले एक आध कर्मचारी आ जाता है और 5:00 बजे के बाद मतलब छुट्टी से 1 घंटे पहले ही एक आद कर्मचारी मिलता है मतलब एक कितना बड़ा खेल चल रहा है और कितनी बड़ी लापरवाही हैं लेकिन किसी को भी किसी भी कार्रवाई का कोई डर नहीं है अगर डर होता तो सभी लोग समय पर आते हैं समय रहते जनप्रतिनिधियों को भी समय-समय पर करना चाहिए विद्यालयों का निरीक्षण क्योंकि जनता उन्हें वोट देती है और उनसे उम्मीद रहती है लेकिन जनप्रतिनिधि अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं
इनका कहना
अपने मीडिया के माध्यम से मुझे यह मामला अवगत करवाया है इस मामले को लेकर मैंने पूर्व भी कलेक्टर से बात की है एक बार फिर यह मामला कलेक्टर और अधिकारियों वापस इस मामले में अवगत करवा लूंगा
देवजी पटेल सांसद जालौर सिरोही
समित शर्मा जी जब जालोर रहे थे तभी हम ने बहुत लोगों को नोटिस दिए थे इस मामले में और कार्रवाई भी की थी समय-समय पर हमारी कार्रवाई जारी है सोमवार को फिर से निरीक्षण की कार्रवाई तेज कर दी जाएगी अनुशासन हीन कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी हमारा शिक्षा विभाग बहुत बड़ा है अधिकारियों की कमी है फिर भी व्यवस्था सुधारने के विशेष प्रयास किए जाएंगे
अशोक कुमार
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी जालोर
बहुत से लोग अपने कार्यों के लिए दोपहर के बाद सरकारी कार्यालय में जाते हैं उस समय बहुत सारे कर्मचारी नहीं मिलते हैं और वह कहां गए हैं वह भी सूचना हमें नहीं मिलती है जिससे हमें परेशान होना पड़ता है और दूसरे दिन वापस आना पड़ता है जिले के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को समय-समय पर सरकारी कार्यालय का निरीक्षण करना चाहिए और जो सरकार द्वारा समय निर्धारित किया गया है तब मांग तक उन्हें बैठने के लिए पाबंद करना चाहिए जिसे जनता का काम समय पर हो सके और लोगों को निराशा हाथ ना लगे
भरतसिंह राजपुरोहित मोदरान
सामाजिक कार्यकर्ता
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