नशे में डूब रहा जालौर आखिर कौन बचाएगा युवाओं को चंगुल से ?
एक आईना भारत
राजपुरोहित समाज के आराध्य संत ध्याना राम महाराज ने 3 वर्ष पूर्व अफीम रूपी कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए किए थे प्रयास
जालोर जिले के सांचौर समेत अब आस-पास बागोड़ा, भीनमाल, सायला आहोर , के गांवो में भी अफीम, का कारोबार, तेजी से बढ़ राह हैं। सबसे अधिक चिंता की बात तो यह हैं, कि अफीम कि गिरफ्त मे आने वालों में युवाओं कि संख्या दिनोदिन बढती जा रही हैं, युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढने के कारण तस्कर भी अब क्षेत्र में तेजी से सक्रिय हो रहे हैं, जानकारी के अनुसार एक समय था जब गावों में शादी या किसी की मौत पर अफीम की मनुहार होती थी, जो आज भी बदस्तूर जारी है, इस मनुहार को देखते-देखते कई गावों के युवाओं में इसके सेवन प्रति आकर्षण बढने लगा, आज स्थिति यह हैं कि शादी और मौत के मौको पर अफीम की मात्रा बढी़ ही हैं, दूसरे आयोजन पर भी अब अफीम का सेवन तेजी से बढता जा रहा है, हालाँकी डोडा व अफीम का व्यापार करना कानूनी अपराध है, लेकिन जिले के कई गावों में अफीम-डोडा का कारोबार बढता ही जा राह हैं।
*मध्यप्रदेश व चितौड़गढ़ से होती है अफीम व डोडा पोस्ट की सप्लाई*
अफीम व डोडा की सप्लाई मुख्य रुप से मध्यप्रदेश व चितौड़गढ़ के कई इलाकों से होती हैं। जाहं अफीम की खेती होने के कारण तस्कर यहा से अफीम लाकर क्षेत्र मे सप्लाई कर रहे हैं। पिछले कुछ समय से युवाओं मे बढे़ नशे को लेकर अब तस्कर भी सकिय हो चुके है। ऐसे में युवाओं को ना केवल आर्थिक नुकसान हो राह हैं बल्कि शारीरिक मानसिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है ओर वहीं लोकल तस्कर अफीम में कई प्रकार के केमिकल मिलाकर भारी, भावों में बेचते है, जिससे आर्थिक नुकसान तो होता ही है साथ साथ शरीर में भी कई प्रकार की बिमारियों पेदा होती हैं जिससे व्यक्ति कम उम्र में ही अपने बच्चों से तंग आकर यहां तो आत्महत्या लेता हैं, यहां फिर व मानसिक बिमारी से ग्रसित हो जाता हैं।
*शादी, जागरण, मृत्यु भोज में होता हैं अफीम का भरपूर उपयोग*
गावों में शादी,जागरण, मृत्यु भोज के समय अफीम का उपयोग अधिक मात्रा में होता हैं, वहीं त्यौहारों पर व शादीयों की सीजन मे अफीम तस्कर महंगें दामों पर सप्लाई करतें हैं जैसे दाम वैसा माल की तर्ज पर तस्कर जमकर तस्करी करते हैं,
*युवाओं का भविष्य खतरे में*
युवाओं का कहना है, कि गावों में अब भी अफीम की मुनहार की परम्परा चल रही हैं यह एक कुरीती हैं। जो बंद होना आवश्यक हैं। कई युवा अफीम के आदि होने लगे हैं । ऐसे में अफीम की तस्करी पर रोक लगानी आवश्यक हैं।
जालौर के जनप्रतिनिधि मौन
जनप्रतिनिधि को जनता वोट देकर विधानसभा और संसद में भेजती हैं उनका फर्ज होता है जनता के हितों की रक्षा करना और उनके क्षेत्र का हर एक व्यक्ति खुश रहे उसके लिए प्रयास करता लेकिन कई जगह आजकल नेता कार्यक्रम में शिरकत करने जाते हैं और वह उनकी उपस्थिति में भी अफीम का प्रयोग खुलेआम होता है फिर भी नेता अपना वोट बैंक बचाने के खातिर अपने मुंह से जबान भी नहीं खेलते हैं जब जनप्रतिनिधि ही मौन रहेंगे तब किस से उम्मीद रखें जिससे इस पर अंकुश लगे
*क्षेत्र में अफीम के दूध को तस्करी जोरों पर*
क्षेत्र में अफीम के नशेड़ियों की संख्या को देखते हुए तस्करों की संख्या भी बढने लगी है। पहले जाहं ठोस अफीम मिलती थी, वहीं अफीम का दूध लोगों को मुहैया हो राह है। ऐसा ही नहीं हैं कि अफीम उपलब्धता के लिए वाहं-वाहं प्रयास करने पड़ते हैं, उलट अफीम आसानी से मिलने लग गया हैं। गावों में अफीम का दूध बेचने वालें नजर रहे हैं ये लोग बड़े तस्वीरों से अफीम लेकर गावों में सप्लाई करतें हैं। जिसके मनमाने रुपए लेते हैं
राजपुरोहित समाज की राजधानी आसोतरा से भी अफीम रूपी कुप्रथा पर अंकुश लगाने के लिए किए थे प्रयास
3 वर्ष पूर्व शिवरात्रि के अवसर पर ब्रह्मधाम आसोतरा में गादीपति तुलसाराम महाराज के आशीर्वाद से अखिल भारतीय राजपुरोहित समाज का एक महासम्मेलन बुलाया गया था जिसमें तुलसाराम जी के शिष्य वेदांत आचार्य ध्याना राम महाराज ने संपूर्ण समाज से अपील की थी अफीम प्रथा का त्याग करने की उसके बाद राजपुरोहित समाज में अफीम प्रथा का उपयोग बिल्कुल ही बंद हो गया है कुछ असामाजिक तत्व जिन्हें अपने पैसो का घमंड है वह लोग अलग से छोटी सभा करके उपयोग कर रहे हैं तो एक चिंता का विषय है और जिन समाज बंधु ने आसोतरा के नियमों का उल्लंघन किया है उसके घर पर कोई न कोई अनहोनी जरूर हुई है फिर भी राजपुरोहित समाज द्वारा 3 वर्ष पूर्व किया गया प्रयास बिल्कुल ही सफल रहा धीरे-धीरे परिवर्तन हो रहा है फिर भी पुलिस प्रशासन जनप्रतिनिधि और सरकार को और कड़े कानून बनाने होंगे और बड़े युद्ध स्तर पर इन लोगों के खिलाफ अभियान चलाना पड़ेगा
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