मनरेगा श्रमिकों को दी बाल विवाह रोकों के अभियान की जानकारी





मनरेगा श्रमिकों को दी बाल विवाह रोकों के अभियान की जानकारी                   


आहोर पंचायत समिति के उम्मेदपुर ग्राम पंचायत के मोरु गांव में मंगलवार को नरेगा कार्य स्थल पर राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौर के अपर जिला न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार मीणा के आदेशानुसार गांव के नरेगा कार्य स्थल पर बाल विवाह रोको-अभियान के तहत विधिक साक्षरता व जागरूकता शिविर आयोजित कर कानूनी जानकारी दी गई। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा के आहोर पंचायत समिति के पीएलवी राजेशकुमार मीणा ने बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक अभिशाप एवं कानूनी अपराध है। भारत में विशेषकर राजस्थान में बच्चों की छोटी उम्र में शादी की कुरीतियों को रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 कानून बनाकर तैयार कर इसे लागू किया गया। जिसमें विवाह के लिए सरकारी नियमानुसार युवक की आयु 21वर्ष तथा युवती की आयु कम से कम 18वर्ष होनी चाहिए। इससे कम उम्र में की गई शादी-बाल विवाह की श्रेणी में आती है। जो कानूनी अपराध है, वहीं अपराध साबित होने पर 2 वर्ष की सजा और एक लाख रुपए जुर्माना भरना पड़ सकता है। अतः राष्ट्र हित में ध्यान रखते हुए बाल विवाह रोकें। साथ ही  राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 व राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, वही सामाजिक कुरीतियों जैसी मृत्यु भोज निवारण अधिनियम, दहेज प्रथा, नशाखोरी के दुष्प्रभाव व चिरंजीवी योजना में पंजियन कराने सहित जानकारी दी।इस अवसर पर एलडीसी थानाराम व नया कुमारी मीणा व वार्ड पंच सहित नरेगा श्रमिक मौजूद थे।
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