केंद्र अहंकार त्याग काले कृषि कानूनों को वापस करें : जागरवाल

केंद्र अहंकार त्याग काले कृषि कानूनों को वापस करें : जागरवाल 

एक आईना भारत /


खरोकडा /पाली जिला किसान संघर्ष समिति  (टिकेत) के पाली ज़िलाध्यक्ष मदनसिंह जागरवाल ने केंद्र सरकार द्वारा तीन काले कृषि कानून की बरसी पर बयान जारी कर बताया की केंद्र की किसान विरोधी मोदी भाजपा सरकार ने तीन क्रूर काले कृषि अध्यादेश आज से एक वर्ष पुर्व 5 जून, 2020 को लेकर आई थी। देश के प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि महामारी की आपदा के समय वे इन काले कानून से अन्नदाता के लिए अवसर लिख रहे हैं। सही मायने में उन्होंने 25 लाख करोड़ सालाना के कृषि उत्पादों के व्यापार को अपने सहयोगियों उद्योगपति के लिए 'अवसर' लिखा और 62 करोड़ किसानों के हिस्से में उन्होंने 'अवसाद' लिख दिया।
इन काले कानूनों में भाजपा सरकार ने अपने कुछ पूँजीपति घरानों के लिए अनाज का भंडारण - जमाखोरी - कालाबाजारी का 'प्रतिसाद' लिख दिया और किसानों के हिस्से में लाठीचार्ज, पानी की बौछार और आँसू गैस के गोलों की 'प्रताड़ना' लिख दी।जागरवाल ने कहा इन तीनों काले कानूनों से मोदी ने कुछ पूँजीपति घरानों के लिए मनमाने दामों पर फसलों को खरीदने का 'इनाम' लिख दिया और किसान भाइयों के भविष्य को रौंद कर अनाज मंडी की समाप्ति का 'फरमान' लिख दिया। इन काले कानूनों से मोदी सरकार ने किसानों पर इस तरह कहर बरपाया है कि वो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के अनैतिक प्रावधानों के माध्यम से अन्नदाता भाईयों को चंद पूँजीपतियों का 'बंधुआ मज़दूर' बनाना चाहती है। ऐसा प्रतीत होता है कि 2014 में जन्मी, मोदी सरकार को जिस प्रकार चंद पूँजीपतियों ने सत्ता का झूला झुलाया था, वो आज तक भी उनका कर्ज अदा कर रही है। 
भाजपा  ने सत्ता में आते ही 2014 में अध्यादेश के माध्यम से किसानों की जमीन हड़पने की कोशिश की। फिर 2015 में सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दे दिया कि किसानों को लागत के 50 प्रतिशत मुनाफा कभी भी समर्थन मूल्य के तौर पर नहीं दिया जा सकता। फिर खरीफ 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आए, जिससे चंद बीमा कंपनियों ने 26,000 करोड़ रु. का मुनाफा कमाया। यही नहीं, अपने पूंजीपती मित्रों का तो लगभग दस लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया पर जो चुनावो में वादा किया हुआ किसानो का सम्पूर्ण  कर्जमाफी के नाम पर मुंह मोड़ लिया। रही सही जो कसर बची थी, वो डीज़ल पर 820 प्रतिशत एक्साईज़ ड्यूटी बढ़ा तथा खेती पर टैक्स लगा पूरी कर दी। 73 साल के इतिहास में देश में पहली बार खाद पर 5 प्रतिशत, कीटनाशक दवाई पर 18 प्रतिशत, ट्रैक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी टैक्स लगा डाला। मोदी सरकार इतने से ही बाज नहीं आई। 5 जून, 2020 को तीन काले कानूनों के माध्यम से किसानों की आजीविका पर फिर से डाका डालना चाहती है। 
जिला अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आज इन काले कानूनों की बरसी पर केंद्र की भाजपा सरकार को चाहिए कि वो अपने निर्णय को वापस ले और इन कानूनों को शीघ्र खारिज करे। अन्यथा जब भी 'प्रजातंत्र की देवता - देश की जनता' की अदालत में इन 'क्रूरताओं और बर्बरताओं' का मुकदमा चलेगा तब 500 से अधिक किसानों की शहादतें, लाखों किसानों की राह में बिछाए गए 'कील और काँटे', महीनों सड़कों पर पड़े रहने की वेदनाएं और 62 करोड़ किसान-मजदूरों की असहाय पीड़ा इसकी गवाह बनेंगी। प्रजातंत्र के देवता - देश की जनता का फैसला एक नज़ीर बनेगा, ताकि भविष्य के भारत में फिर कभी कोई सरकार अन्नदाता के खिलाफ ऐसा दुःसाहस नही करेगी
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