ओरण भूमि की सुरक्षा एंव अतिक्रमण से बचाने के लिए ग्राम स्तर से लेकर विभागीय स्तर पर समन्वय स्थापित कर कार्य करने के संबंध में भी चर्चा




एक आईना भारत
पाली सिटी,

 ओरण भूमि की सुरक्षा एंव अतिक्रमण से बचाने के लिए ग्राम स्तर से लेकर विभागीय स्तर पर समन्वय स्थापित कर कार्य करने के संबंध में भी चर्चा



 पाली सिटी, राजस्व विभाग की ओर से अब ओरण-गोचर भूमि का चिन्हीकरण कर उनके संरक्षण का कार्य किया जाएगा। राजस्व मंत्री हरीश चैधरी के निर्देश पर राजस्व विभाग ने इस कार्य की तैयारियां आरंभ कर दी है।
जिला कलक्टर अंश दीप ने बताया कि सदियों पहले से हमारे यहां गांवों में ओरण के रूप में विकास का परम्परागत टिकाऊ मॉडल था, जो यहां की संस्कृति, रीति नीति पर आधारित था। लेकिन कुछ कारणवश ध्यान नहीं दिये जाने से ओरण-गोचर जमीन बंजर हो रही है। इस जमीन का उपयोग होने से पलायन रूकेगा, आजीविका के अवसर मिलेंगे, बहु जैव विविधता का संरक्षण होगा, अकाल-सूखे का प्रभाव कम हो सकेगा। उन्होंने कहा कि ओरण भूमियों के संबंध में कई समस्याओं व सुझावों के संबंध में प्रदेश के पर्यावरणविदों, एवं इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगोें द्वारा अवगत करवाया गया है। 
जिला कलक्टर ने विभागीय अधिकारियों को राजस्व नियमों में ओरण भूमि को स्पष्ट परिभाषित करने, कार्ययोजना बनाकर ओरण भूमि का सर्वे करवाकर उनका सीमांकन करने के साथ ही उन्हें ओरण भूमि के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने का कार्य करने की बात कही। उन्होंने ओरण भूमि की सुरक्षा एंव अतिक्रमण से बचाने के लिए ग्राम स्तर से लेकर विभागीय स्तर पर समन्वय स्थापित कर कार्य करने के संबंध में भी चर्चा की। 
उन्होंने बताया कि राजस्थान उपनिवेशन अधिनियम 1954, राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 एवं राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 के विद्यमान प्रावधानों में सरलीकरण एवं आवश्यक संशोधन की प्रक्रिया में ओरण भूमि को स्पष्ट परिभाषित करने का प्रावधान करवाया जा रहा है।
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