मां को खून की जरूरत थी यशोदा राजपुरोहित ने रक्तदान को बनाया अपना मिशन
एक आईना भारत /
अगवरी की 22 वर्षीय युवती यशोदा राजपुरोहित जिसने 2 दिन पूर्व अपने गांव में शिविर में प्रथम बार रक्तदान करके पूरे गांव की मिसाल बनी इससे पहले गांव में किसी भी महिला ने रक्तदान नहीं किया था जब यशोदा ने रक्तदान किया तब उसको देख कर दूसरी 14 महिलाओं ने भी रक्तदान किया कोरोना के समय
मुंबई के अस्पताल में जब यशोदा को अपनी माता के लिए रक्त की जरूरत पड़ी तब उन्हें पहली बार पता चला कि रक्तदान कितना जरूरी है।
यशोदा को जब रक्त के लिए मुंबई के अस्पतालों और रक्त केंद्र में गए तब उन्हें रक्तदान के बारे में जानकारी हुई। कई जगहों पर और कई अस्पतालों मैं जाकर उन्हें पता चला कि ऐसे आपातकालीन स्थिति में जब रक्त की जरूरत होती है मुश्किल से मिलता है और अपनी माता को जरूरत थी तब ब्लड बड़ी मुश्किल से मिला तबसे यशोदा ने हर 4 महीने में रक्तदान करने का फैसला लिया
उन्होंने रक्तदान के बारे में और भी जानकारी साझा की कैसे रक्तदान किया जाता है तथा हमारे शरीर में उसके कितने फायदे हैं और उम्र के हिसाब से एक युवा को साल में कितनी बार रक्तदान करना चाहिए और अगवरी गांव में महावीर हॉस्पिटल के द्वारा रक्तदान शिविर कैंप का आयोजन किया गया तो महिला युवाओं में यशोदा राजपुरोहित कैंप शुरू होने के बाद सबसे प्रथम आकर उन्होंने रक्तदान किया और इस मुहिम में अपना सहयोग दिया और गांव के कई लोगों को उन्होंने रक्तदान की जानकारी भी प्रदान की और कई युवाओं को और कई लोगों को उन्होंने रक्तदान की अहमियत बताई।
हम ऐसे युवाओं का यशोदा राजपुरोहित का तहे दिल से हर्ष उल्लास के साथ शुक्रिया अदा करते हैं। उनकी सोच की भी हम सराहना करते हैं और आशा करते हैं इसी तरह यशोदा राजपुरोहित की तरह और भी कई युवा इनसे इनकी सोच से प्रेरणा ले और रक्त दान करें।
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