रासलीला में महिलाओं ने डांडिया नृत्य करके उठाया आनंद श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह में झूमे श्रद्धालु



रासलीला   में महिलाओं ने डांडिया नृत्य करके उठाया आनंद श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह में झूमे श्रद्धालु
 
डरने की बजाए आत्मनिर्भर बने देश की नारियां  -महामण्डलेश्वर

मरुधर आईना / नागौर 

नागौर। जोधपुर रोड स्थित गो चिकित्सालय, नागौर में हनुमान बेनीवाल,  राबड़ियाद द्वारा आयोजित  कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में गोहितार्थ श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम् दिवस की कथा सुनाते हुए कथा वाचिका देवी ममता ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ऐसी मधुर बांसुरी बजाते थे, जिसकी धुन सुनकर ब्रज की सभी गोपियां अपना कार्य बीच में छोड़कर उनकी तरफ खिची चली आती थी। देवीजी ने गोपी शब्द पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जिन गोपियों के साथ भगवान ने महारास किया है वे गोपी कोई स्त्री या पुरुष नहीं है। गोपी तो एक भाव है, जिसका प्रत्येक इंद्रिय एवं रोम-रोम परमात्मा को समर्पित है। परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण भाव को ही गोपी कहते हैं। जिसका रोम-रोम गोविंद के लिए तरसती, तड़पती व चिंतन करती है। जो दिन रात प्रभु की याद में खोया रहता है वही गोपी है। जीवात्मा एवं परमात्मा का अद्भुत मिलन ही महारास लीला है।
देवीजी ने बताया कि शरद पूर्णिमा को धवल रात्रि में भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला की थी। उन्होंने कहा रास को श्रवण करने के लिए बुद्धि नहीं हृदय की आवश्यकता होती है। भोले बाबा भी गोपी बनकर महारास लीला में प्रवेश किया भगवान कृष्ण उन्हें गोपी के रूप में देखकर बहुत प्रसन्न हुए। रास में गोपी रूप धरने के कारण महादेव गोपेश्वर कहलाए।
तत्पश्चात् कथा वाचिका ने श्री कृष्ण का रुक्मणी के साथ विवाह का सुन्दर चरित्र-चित्रण किया। कथा के दौरान 'राधा को मुरली पर धारण', 'गोपियों के साथ रासलीला' व  'रुकमणी कृष्ण विवाह' की दिव्य सजीव झांकियों को दर्शाया गया। महारास के दौरान महिलाओं और पुरुषों ने कृष्ण भजनों पर डांडिया नृत्य कर आनंद उठाया। भगवान श्री कृष्ण व रुक्मणी के विवाह की झांकी को देखने के लिए श्रद्धालु लालायित नजर आये।  महामण्डलेश्वर ने कथा के दौरान  'वीर बालिका पदमा' का प्रसंग सुनाया  इसके पश्चात गो चिकित्सालय में 3 माह का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके 7 पशु कम्पाउण्डरों को मंच पर अनुभव प्रमाण पत्र देकर सह सम्मान विदाई दी गयी।  
 कथा प्रभारी श्रवण सेन ने बताया कि कथा के छठे दिन यजमान हनुमान बेनीवाल व उनकी धर्मपत्नी संतु देवी, संत गोविंदराम महाराज, संत ताराचंद महाराज, संत रूपनाथ महाराज, साध्वी मीरा बाईसा, साध्वी कृष्णा कंवर बाईसा, दामोधर शर्मा और पंडित शंकरलाल पारीक इत्यादि भागवत आरती में उपस्थित रहे। हरिराम बाबा सेवा समिति, लाखाराम गोलिया, तारूराम मेघवाल, रामनिवास जागीड़ सहित अनेक दानदाताओं ने गोहितार्थ सहयोग किया। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कथा लाइव के दौरान रामनिवास जाखड़, प्रकाशचद कांकरीया, कमलचन्द दुग्गड़, मदन जैन, राजेन्द्र बौहरा इत्यादि गो भक्तों ने देश के अलग-अलग जगह से ऑनलाइन सहयोग किया। 
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