भक्त के लिए विष्णु ने लिया नृसिंह अवतार-देवी ममता
वैष्णव परिवार ने किया गोहितार्थ 2 लाख चेक भेंट, सुराणा परिवार ने दिए टिन शेड के लिए 90 हजार
अच्छी व बुरी संगति का असर मनुष्य के जीवन पर जरूर पड़ता है- महामण्डलेश्वर
मरुधर आईना / नागौर
नागौर। विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, नागौर में हनुमान बेनीवाल ग्राम राबड़ियाद द्वारा आयोजित महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में गोहितार्थ भागवत कथा के तृतीय दिवस की कथा में कथा वाचिका देवी ममता ने जड़ भरत चरित्र एवं भगवान के परम भक्त प्रहलाद के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। देवीजी ने बताया कि ऋशभदेव के पुत्र भरत के नाम से ही हमारे देश का नाम 'भरतखण्ड़' पड़ा। देवीजी ने भक्त प्रहलाद का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान के परम भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए व हिरण्याकश्यप का वध करने के लिए भगवान विष्णु स्वंय नृसिंह अवतार धारण किया और भक्त की रक्षा की। देवीजी ने कहा कि पुत्र हो तो प्रहलाद जैसा हो जिसने अपने परिवार कुल देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया और 21 पीढिय़ों का तारा। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में माता पिता अपने पुत्र को धनवान बनने की शिक्षा देते हैं। विद्वान चरित्रवान गुणवान बनने की नहीं इसलिए धनवान की अपेक्षा अपने पुत्र पुत्रियों को विद्वान चरित्रवान बनाओ। जब व्यक्ति के सत्कर्म होते हैं तो धन,पद ,यश अपने आप ही प्राप्त हो जाता है। व्यक्ति धन,पद से जाति से बड़ा नहीं होता अपितु व्यक्ति सत्कर्म गुणों से महान बनता है। महाराज भरत व भक्त प्रहलाद के प्रसंगानुसार 'भरत की काली माँ द्वारा की गई रक्षा' व हिरण्यकश्यप का वध करते हुए 'भगवान नृसिंह अवतार' की सुंदर मनमोहक सजीव झांकियों का प्रस्तुतिकरण दिया गया। कथा के दौरान महामण्डलेश्वर ने 'शिकारी' का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि एक बार शिकारी घने जंगल में शिकार करने के लिए गया, उसे कोई शिकार नही मिला तो वह थक हार कर एक छायादार पेड़ के निचे आराम करते हुए सो गया। वहां से एक हंस उड़ता हुआ जा रहा था। हंस बड़ा दयालु स्वभाव का था उसने देखा की इस सोते हुए व्यक्ति पर कभी छांव आ रही है कभी धुप उसने अपने उस टहनी पर पंख फेलाकर छांव करदी। तभी अचानक उसी टहनी पर कौआ आ बैठा और बींठ करके उड़ गया। जिससे शिकारी की निंद टुट गयी। शिकारी ने आंव देखा न ताव उसने अपना धनुष उठाया और हंस पर चला दिया। मरते वक्त हंस ने पुछा मेने तो आप पर छांव की थी। बींठ तो कौआ ने की थी। तब शिकारी ने कहा की यह संगत का असर है कौआ आपके पास आया उसकी संगत में आने से आप पर बाण चल गया। उन्होंने बताया कि जीवन में अच्छी व बुरी संगति का असर मनुष्य के जीवन पर जरूर पड़ता है। इसी दौरान गो चिकित्सालय में कार्यरत 7 पशु कंपाउंडरों की पदोन्नती की गयी और उन्हें मंच पर सम्मानित किया गया। कथा प्रभारी सैन ने बताया की कथा के दौरान 31 वर्षीय गो पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा के संचालक संत गोपालानंद सरस्वती सहित अनेक संतों का आगमन हुआ उन्होंने गो चिकित्सालय का निरीक्षण किया उसके पश्यात नंदा कामधेनु की पुजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया इसी दौरान हरिशंकर वैष्णव ने आगामी कथा के लिए 2 लाख का चेक भेंट किया, बैंगलोर से पधारे कानराज सुराणा ने टीन शेड हेतु 90 हजार का सहयोग किया, भोजराज भादू ने 70 कार्टुन गुड़ और प्रेम सोलंकी ने 1 गाड़ी सब्जी पीड़ित गोवंश हितार्थ भेंट की। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ पर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
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