समाज को दिशा देने का सामर्थ्य साहित्य के पास ही है - प्रो. नरेन्द्र मिश्र
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पाली। अखिल भारतीय साहित्य परिषद पाली विभाग द्वारा ''साहित्य का सामर्थ्य भविष्य का भारत'' विषय पर ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विभाग संयोजक पवन पाण्डेय ने बताया कि संगोष्ठी का शुभारंभ कवयित्री तृप्ति पाण्डेय ने मां शारदे की वंदना व परिषद गीत प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता इग्नू दिल्ली के प्रोफेसर व परिषद् के अध्यक्ष (डॉ.)नरेन्द्र मिश्र ने कहा समाज को दिशा देने का सामर्थ्य साहित्य के पास है। जब जब राजनीति लड़खड़ाती है साहित्य ही उसे सहारा देता है। हम सभी साहित्य के माध्यम से समाज को जागृत कर पायें व संस्कृति से विमुख होती नव पीढ़ी को संस्कृति की तरफ लाने का प्रयास हम सभी मिल कर करें। साहित्यकार एडवोकेट अशोक अरोड़ा ने कहा कि साहित्य भाव के साथ भाव का, भाषा से भाषा का मिलना तो है ही, मनुष्य के साथ मनुष्य का अतीत के साथ वर्तमान का, दूर से निकट का मिलन कैसा होता है यह बताने वाला भी है। मुख्य अतिथि इग्नू के जोधपुर के क्षेत्रीय निदेशक डा. अजय वर्धन आचार्य ने कहा भाषाओं को हमें आगे बढाना होगा। क्षेत्रीय भाषा को बढावा देना होगा हम सभी मिलकर देश को आगे बढाने में सहायता मिलेगी सभी साथ में आयेंगे। भाषा विज्ञान और साहित्य को एक साथ रखा जाये। विशिष्ट वक्ता किंग सऊद विष्वविद्यालय रियाद सऊदी अरब के प्रोफेसर परज शुक्ल ने कहा जब मैं भविष्य के भारत के बारे मे कल्पना करता हूँ तो पाता हूँ कि हमें बहुत तैयारी की आवश्यकता है क्योंकि जिस पीढ़ी का निर्माण हम कर रहे हैं भविष्य के भारत हेतु, वह तो कथित कल-पुर्जे की तरह सोचने व व्यवहार करने वाली बन रही है। संगोष्ठी के संयोजक व साहित्यकार पवन पाण्डेय ने कहा कि साहित्य वह है जिसमें शब्द और अर्थ की परस्पर स्पर्धामय मनोहारिणी श्लालाघनीय स्थिति हो वही साहित्य है। साहित्य का मूल कार्य समन्वय करना है। अध्यक्षता करते हुए परिषद् के जोधपुर विभाग संयोजक डा.हरिसिंह राजपुरोहित ने कहा कि साहित्य व साहित्यकारों की विशेष भूमिका देखता हूँ, चाहें वह आयु-अनुसार साहित्य के प्रारूप में नवाचार और प्रयोगात्मक आचार-विचार का समावेश हो, या फिर पुरातन चिन्तन व चेतना का आधुनिक प्रस्तुतिकरण हो। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा.शिवराज भारती ने कहा साहित्यकार को कुछ नहीं चाहिए वह सदैव सम्मान के साथ लिखना चाहता है। आभार साहित्यकार विजयसिंह माली ने प्रकट किया। संगोष्ठी में प्रांत मंत्री कर्णसिंह बेनीवाल, डा. प्रेमप्रकाश पारीक, गोरखपुर वि वि की डॉ. दमयंती तिवारी, भोपाल से डॉ. राजेश कुमार दुबे, बीकानेर से विभा पारिक, भारतीय शिक्षण मंडल के प्रो.रमन दवे, डा.कामिनी ओझा, लालाराम प्रजापत, ने भी संबोधित किया।
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