आवारा पशुओं का आतंक, नगरपालिका केवल नाम मात्र और गौशाला सिर्फ दिखावा ?
जिले में आवारा पशुओं का दबदबा, गौशाला का बोर्ड लगा हुआ पर शादी और पार्टिओ के लिए सिर्फ
जालोर, यहां मामले जालोर जिले यहीं नही बल्कि पुरे राजस्थान के साथ में पुरे भारत से जुडे मामला है ।एक तरफ गौ माता बता रहे है तो दुसरी तरफ उसकी जमीन पर कब्जा करने मे लगें हूआ है । ऐसी कोई जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने के मामले सामने आ रहा है । जालौर मुख्यालय पर होटल गिटको के पीछे , स्काउट गाईट के सामने बनी श्री गौशाला पंचमहाजन जालोर के नाम गौशाला बनी हूआ , गौशाला के बाहर के नाम भी लिखा पडा है । इस गौशाला में एक भी गाय देखने को नही मिलगी । क्योंकि शादियों कि सीजन में यहां पर पार्टी और कार्यक्रम आयोजन होता है जिसके कारण आवारा पशुओं भुखें - प्यासे गली मौहल्लें , सडकों पर घुमतें रहते है । और प्लास्टिक की थाली और कचरा खाकर अपने पेट भलती है । परन्तु वर्तमान में जालोर में जमीन पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा का मामला लगातार बढ रहा है। इस सिलसिले में जालेर के गोशाला की जमीन पर भी भू-माफियाओं का कब्जा हो रहा है।इसमें नगर परिषद् और कर्मचारी की भी मिलीभगत स्पष्ट तौर पर दिख रही है। क्योंकि गेट पर तो नाम गोशाला लिखा है । और कागजों में भी गौशाला जमीन दिखा रही है उसके बावजुद भी यहा पर एक भी आवारा पशुओं देखने को नही है । यहां जमीम पर गोशाला की जमीन पर भू माफिया ने कब्जा कर रखी है ।

जालौर शहर में भले ही नगर परिषद् की ओर से आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए धड़ पकड़ अभियान चला होगा , परंतु यहां फोटो देखने के बाद में कोई भी व्यक्ति भरोसा नहीं कर सकता था , कि आवारा पशुओं को पकड़ने का काम किस प्रकार से अभियान चलाया गया होगा , इनका अनुमान लगाया जा सकता है ,किस प्रकार से कार्रवाई की गई है यहां जालौर शहर की जनता भी जानती है कि धड पकड़ अभियान में पकड़ने के बाद वापस छोड़ देते हैं जिससे आवारा पशुओं दिन और रातों को बस स्टैंड पर और , मुख्य मार्ग और आहोर चौराहा , अस्पताल चौराहा , हरिदेव जोशी सर्कल , बाईपास रोड , राजेंद्र नगर , गोडिजी मंदिर सहित पूरे जालौर शहर में आवारा पशुओं का रहता है आतंक रहते हैं जिसके कारण आम जनता को भी आवारा पशुओं से डर सताता है , नगर परिषद की ओर से कोई ध्यान नहीं दिए जा रहे हैं । नगर परिषद अभी मौन नज़र आ रही है । गौरतलब हो कि पूर्व में नगर परिषद ने नगर में घूम रहे आवारा पशुओं के संबंध में मुनादी कराकर मवेशी मालिकों को हिदायत दी थी कि वह अपने मवेशी घर में ही बांध कर रखें, अन्यथा मालिकों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। मगर, इसका कोई असर आज तक नहीं हो पाया है। शहर के रहवासी क्षेत्रों में अवैध रूप से पशुपालन किया जा रहा है। दुधारू पशुओं को घरों के आसपास रखने वाले लोग बछड़ों को शहर में छोड़ देते है। जिससे मवेशियों का सबसे ज्यादा जमावडा सडकों पर होता है ।
यहां पर लगभग पूरी सड़क पर मवेशी दिन भर खड़े रहते हैं तो कई मवेशी बीच सड़क पर ही बैठे रहते है। वाहन चालक हार्न भी बजाता है तब भी वे टस से मस नहीं होते। वाहन चालकों को नीचे उतरकर उन्हें सड़क किनारे करना पड़ता है, तभी वह आगे बढ़ते हैं। दिन हो या फिर रात यह मवेशी राहगीरों के लिए सबसे ज्यादा मुसीबत बनी हुए हैं लेकिन प्रशासन द्वारा इस ओर कोई क़दम तक नहीं उठाया है जहां पर नगर परिषद भी कार्रवाई की मुनादी कराने के बाद इस पर कोई ( अमल ) में नही लाया गया हैं । जिसके कारण से राहगीरी परेशान दिखाई देते हैं। फिर भी नगर परिषद मौन नज़र आ रही है ।
शहर की सड़कों को बेसहारा पशुओं से मुक्त कराने का कागजों में दावा किया जा रहा है, मगर हकीकत इससे उलट
जालोर जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि और नगर परिषद् की ओर से शहर की सड़कों को बेसहारा पशुओं से मुक्त कराने का कागजों में दावा किया जा रहा है, मगर हकीकत इससे उलट है। सड़कों पर बेसहारा पशुओं के झुंड हादसों को न्यौता दे रहे हैं। नगर परिषद की ओर से पशुओं को पकडे का अभियान की बात भी कही जा रही है, और जालोर जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि की ओर से बैठक लेकर पशुओं को पकडने के लिए अभियान भी चलाई होगा परंतु सच्चाई तो कुछ और बता रहीं है । जिससे पशु कल्याण पखवाड़ा अभियान कि खोखले वादा कि पोल खुला रही है । जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि और नगर परिषद् किस प्रकार से काम कर रही है आप अनुमान लगा सकते हो कि आवारा पशुओं पकडने के लिए अभियान चला रहा है । क्योकि वहीं कुछ दिनों पहले जालोर जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने दिनांक 7 जनवरी 2022 को बैठक बुलाया थी जिसमें जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने कहा कि जिले में आवारा पशुओं को स्थानीय गौशालाओं में संधारित किये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए जिससे आवारा पशुओं से होने वाली दुर्घटना से बचा जा सके । इसके एक लिए बैठक में कहा कि जिले में पशु क्रूरता निवारण के रोकथाम के लिये जन-मानस में जागृति एवं पशु क्रूरता रोकथाम के उपाय को लेकर 14 जनवरी से 31 जनवरी 2022 तक पशु कल्याण पखवाड़ा मनाया जायेगा जिसमें जन-मानस को पशु क्रूरता निवारण के लिए प्रेरित किया जायेगा एक अभियान के रूप मनाया जाएगा । परंतु यहां अभियान उल्ट पडा गया है । कहने का मतलब है कि पशु कल्याण पखवाड़ा मगर हकीकत उलट दिखाई दे रहा है । क्योकि आज 31 जनवरी 2022 को पशु कल्याण पखवाड़ा के 18 दिन बिता जाने के बाद भी आवारा पशुओं सडकों , बस स्टैण्ड , गली - मौहल्लों , मुख्य बाजार अन्य जगहों पर आवारा पशुऔं आज भी घुमते दिखाई दे रहें । कोई कार्यवाही नही किया गयी अंतिम दिनों में भी किसी प्रकार से पशुओं को पकडने का अभियान कागजों में दिखाया दिया है ।

कुछ दिन चला अभियान फिर कागजों में सिमटा
कुछ महिने पहले ही नगर पारिषद् की ओर से जालोर मुख्यालय पर विशेष टीम काउकेचर वाहन से घुमंतू मवेशियों की धरपकड़ करने का रोका छेका अभियान चलाया था और शहर के मुख्य मार्गो से सुबह और शाम को कुछ मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस भेजे गए। मवेशी छुड़ाने आए , पशुमालिकों को रोका-छेका अभियान की जानकारी देकर मवेशियों को सड़कों पर जाने से रोकने की समझाइश भी हुई लेकिन सड़कों को मवेशी मुक्त कराने सरकार का यह अभियान सिर्फ कुछ दिनों तक चला गया , बाद में अभियान कागजों में बंद करके रखा दिया गया। क्योंकि नगर परिषद् अभियान चलने का मुख्य कारण यहां था कि जालोर शहर के राजेंद नगर में एक बुजुर्ग की आवारा पशुओं से मौत होगी । जिसको लेकर यहां मामले को दबाने के लिए अपने आप को सही सबिता करने के लिए और कुछ दिनों के लिए अभियान चलाया था । उसके बाद वापस कागजो समटें दिया गया था । जब- जब कोई किसी आवारा सांड के हमले से मौत होती है तब - तब अभियान चलकर आमजन को घुमा करती है । सच्चाई पर पर्दा डाल देती है । जिससे मामला ठंड पडा जाता है । जिससे आपने आपको सही सबिता कर देता है ।
इनका कहना है
यहां पर लगभग पुरे दिन भर कई मवेशी बीच सड़क पर आकर बैठे जाते है जिससे कारण मुख्य मार्ग पर वाहन चालकों को भारी परेशानी उठनी पडती है । जिससे चलते पर कोई बार तो सडकों पर आवारा पशुओं का जमाव भी लगा जाता है । और यहां से गुजरने वालों आमजनता को भी डर सता है । कि कई हमारे ऊपर हमले नही करा दे , क्योकि आवारा पशुओं का हर दम डेरा डालकर बैठ रहते है ।
-आमजनता
यात्रियों का कहना है कि लोगों कि मानें तो जालौर शहर में कांजी हाउस होने बावजुद भी कोई कार्यवाही नही होती है और उन्हे खुला छोड देता है । जिससे यात्रियों और आमजनता को भारी परेशानी उठनी पडती है । फिर भी नगर परिषद की द्वारा इन आवारा पशुओं को कांजी हाउस भेजने की व्यवस्था नही कर रही है । तथा इन आवारा पशु पालको के विरूद्ध भी कोई करवाई नही की जाती यदि शीघ्रहि नगर परिषद द्वारा । आवारा पशुओ के विरूद्ध कोई ठोस कदम नही उठाया गया तो यहां पर कभी हादसा हो सकता है । तथा नहीं तो भविष्य में प्राईवेट बस स्टैंड पर किसी दिन आवारा पशुओं के चलते कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
- यात्रियों का कहना
सब्जियां व्यापारियों का कहना है कि आवारा पशुओं फल - सब्जियां खा जाते हैं जिससे इसका नुकसान भी उठाना पड़ा है । वहीं सब्जी व फल विक्रेता व राहगीरों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। -
सब्जियां व्यापारियों का कहना है