तखतगढ़ से पादरली-थुंबा-चान्दराई मार्ग बना हादसों का अड्डा

 तखतगढ़ से पादरली-थुंबा-चान्दराई मार्ग बना हादसों का अड्डा — टूटी पुलिया और उखड़ी सड़कें दे रही मौत को दावत, प्रशासन बना मूकदर्शक




रिपोर्ट : सोहनसिंह रावणा, तखतगढ़

तखतगढ़। पाली जिले के तखतगढ़ से पादरली, थुंबा और चान्दराई तक जाने वाला मुख्य मार्ग इन दिनों अपनी बदहाल स्थिति के कारण हादसों का अड्डा बन गया है। वर्षों से इस मार्ग की मरम्मत नहीं होने और पुलिया की दीवार टूटे रहने के चलते रोजाना वाहन चालक जान जोखिम में डालकर गुजर रहे हैं। मगर हैरानी की बात यह है कि इस स्थिति से प्रशासन और जनप्रतिनिधि दोनों बेखबर बने हुए हैं।



⚠️ टूटी पुलिया पर जान जोखिम में

तखतगढ़ सरहद के पास धवलिया चौकी क्षेत्र में नहर पर बनी पुलिया की दीवार लंबे समय से टूटी हुई है। पुलिया के पास “विकट मोड़” का बोर्ड जरूर लगा है, लेकिन उसकी उपयोगिता सिर्फ दिखावे तक सीमित है। पिछले कुछ वर्षों में यहां दर्जनों हादसे हो चुके हैं — कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि कई गंभीर रूप से घायल होकर अपंगता का शिकार हो गए। इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग से लेकर स्थानीय प्रशासन तक किसी ने सुधारात्मक कदम नहीं उठाए।

🚧 नहर सफाई अभियान में भी नहीं दिखा ध्यान

हाल ही में जब ‘नहर सफाई अभियान’ चलाया गया था, तब कई अधिकारी और कर्मचारी इसी मार्ग से होकर गुजरे। बावजूद इसके, किसी की नजर टूटी पुलिया पर नहीं पड़ी। पुलिया अब भी मौत को न्योता देती खड़ी है। स्थानीय लोग बताते हैं कि जब कोई अनजान वाहन चालक रात के समय इस मोड़ पर आता है, तो सीधे नहर में गिरने का खतरा बना रहता है।

🌊 बरसात में तालाब का पानी भरने से मार्ग बंद

पादरली गांव के समीप बरसात के दौरान तालाब का पानी सड़क पर भर जाता है, जिससे दो से तीन महीने तक मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध रहता है। मजबूर होकर ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर उसी रास्ते से गुजरते हैं। वहीं पादरली से नारणवा-कंवराड़ा रोड भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। पादरली श्मशान के पास तो बरसात के दौरान सड़क पूरी तरह पानी में डूब जाती है, जिससे लोगों को श्मशान तक पहुंचने में भी कठिनाई होती है।



🏗️ नई बनी सड़क एक महीने में ही टूटी

नवाखेड़ा फाल से चान्दराई तक हाल ही में बनाई गई सड़क एक महीने के भीतर ही टूटने लगी है। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण कार्य में निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन विभागीय स्तर पर न तो जांच हुई और न ही किसी ठेकेदार पर कार्रवाई की गई। अब सवाल उठता है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन — आमजन या ठेकेदार?

🗣️ जनप्रतिनिधि और प्रशासन दोनों मौन

आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित और सुमेरपुर विधायक एवं कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत तक यह समस्या कई बार पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। स्थानीय पंचायतों और प्रधानों ने भी इस विषय पर कोई प्रस्ताव नहीं भेजा। आमजन का कहना है कि यह मार्ग वर्षों से मरम्मत की बाट जोह रहा है, मगर शासन और प्रशासन दोनों की आंखें बंद हैं।



🚨 जनता की मांग — तुरंत हो सुधार कार्य

ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन इस मार्ग की पुलिया की दीवार को तुरंत दुरुस्त करे, सड़क पर गड्ढों की मरम्मत करवाए और हादसों से बचाव के लिए रिफ्लेक्टर व चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं। अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो यह लापरवाही किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

“यह सड़क अब मौत का रास्ता बन चुकी है। प्रशासन जागे, इससे पहले कि किसी और की जान जाए।”
— स्थानीय निवासी, पादरली

अब सवाल उठता है — आखिर कब खुलेगी प्रशासन की आंखें?
क्या किसी और हादसे का इंतजार है ताकि इस खतरनाक सड़क को सुरक्षित बनाया जा सके?

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