अधिवक्ता के साथ अभद्रता पर प्रदेशभर में उबाल, न्यायपालिका ने लिया स्वतः संज्ञान

अधिवक्ता के साथ अभद्रता पर प्रदेशभर में उबाल, न्यायपालिका ने लिया स्वतः संज्ञान

कूड़ी थाना परिसर की घटना ने उठाए पुलिस व्यवहार और विधि-व्यवस्था पर गंभीर सवाल 

जालोर (उजीर सिलावट)। कूड़ी थाना परिसर में 1 दिसंबर 2025 को एक अधिवक्ता के साथ हुई अभद्रता ने राजस्थानभर के अधिवक्ता समुदाय में तीव्र रोष पैदा कर दिया है। घटना को पुलिस शक्ति के दुरुपयोग का गंभीर मामला माना जा रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी नागरिक को प्रश्न पूछने का अधिकार है, और अधिवक्ता न्याय व्यवस्था के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं—ऐसे में उनके साथ इस प्रकार की घटना न्यायिक प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

जानकारी के अनुसार, अधिवक्ता अपने मुवक्किल की पैरवी के सिलसिले में थाने पहुँचे थे, तभी उनके साथ कथित दुर्व्यवहार किया गया। यह घटना बताती है कि कानून की जानकारी रखने वाले व्यक्ति भी निरंकुशता का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि सामान्य नागरिकों के साथ क्या व्यवहार होता होगा।

प्रदेशभर में अधिवक्ताओं का विरोध तेज

घटना के बाद प्रदेश के विभिन्न बार संघों ने एकजुट होकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। अधिवक्ता समुदाय ने राज्य सरकार और माननीय उच्च न्यायालय से तीन प्रमुख मांगें प्रस्तुत की हैं—

  1. संबंधित पुलिसकर्मियों पर निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की जाए।

  2. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएँ।

  3. अधिवक्ताओं के साथ व्यवहार को लेकर स्पष्ट और बाध्यकारी दिशा-निर्देश जारी हों।

बार एसोसिएशनों ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई नहीं होती, तब तक विरोध जारी रहेगा।

न्यायपालिका ने लिया स्वतः संज्ञान

घटना की गंभीरता को देखते हुए माननीय न्यायपालिका ने स्वतः संज्ञान (suo motu) लेते हुए मामले पर हस्तक्षेप शुरू कर दिया है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह हस्तक्षेप न केवल पीड़ित को न्याय दिलाने में सहायक होगा, बल्कि पुलिस तंत्र में भी जवाबदेही तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, केवल निलंबन जैसी कार्रवाई अस्थायी उपाय हैं। पुलिस सिस्टम में पारदर्शिता, संवेदनशीलता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संरचनात्मक बदलाव आवश्यक हैं।

अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू करने की माँग तेज

अधिवक्ता समुदाय ने भारत सरकार और राष्ट्रपति महोदय से भी निवेदन किया है कि राजस्थान सरकार द्वारा प्रस्तावित “अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम” को शीघ्र मंजूरी दी जाए। उनका कहना है कि यह कानून अधिवक्ताओं की सुरक्षा, गरिमा और कार्य के दौरान होने वाली घटनाओं पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

विश्वास बहाली के लिए आवश्यक कदम

अधिवक्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि—

  • दोषी पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई हो,

  • थानों में तकनीकी सुविधाएँ बढ़ाई जाएँ,

  • और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश लागू किए जाएँ।

राजस्थान की न्याय प्रणाली की मजबूती इसी में है कि पुलिस और अधिवक्ता दोनों परस्पर सम्मान, संयम और जवाबदेही के साथ कार्य करें। कूड़ी थाना परिसर की यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि न्यायिक व्यवस्था के सुचारु संचालन हेतु दोनों संस्थाओं में विश्वास और पारदर्शिता आवश्यक है।

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